Home > राज्य > उत्तरप्रदेश > मथुरा > कोरोना : सच हो रही है देवरिया बाबा की भविष्यवाणी

कोरोना : सच हो रही है देवरिया बाबा की भविष्यवाणी

कोरोना : सच हो रही है देवरिया बाबा की भविष्यवाणी
X


विजय कुमार गुप्ता

मथुरा। ब्रह्मलीन संत देवराहा बाबा जिन्हें पुराने बुजुर्ग लोग देवरिया बाबा भी कहते आए हैं द्वारा कई दशकों पूर्व कोरोना की महामारी के बारे में की गई भविष्यवाणी सच हो गई।

बाबा कहते थे कि मांस, मछली, अंडा व शराब आदि उच्छिष्ट और त्याज्य वस्तुओं का सेवन करने वालों की बहुत बड़ी शामत महामारी के रूप में आयेगी जो अब प्रत्यक्ष दिखाई दे रही है। उन्होंने कहा कि जब यह आपदा आएगी तब समूची दुनिया में हा-हाकार मचेगा। चीन के वुहान शहर से उपजी यह प्राण लेवा बीमारी चमगादड़ों के खाने से फैली है इसके विषाणु चमगादड़ो और सांप में ही पाए जाते हैं, ऐसा जानकारों का कहना है।

बताते हैं कि मरने वालों में ज्यादातर मांसाहारी लोग हैं, यदि कोई एकाध शाकाहारी होगा भी तो वह एक दूसरे से विषाणु के द्वारा फैली बीमारी के कारण ही होगा।

महान संत देवराहा बाबा देवरिया जिले के रहने वाले थे इसीलिए उनका नाम देवरिया बाबा भी पड़ गया। उन्होंने अब तक जितनी भी भविष्यवाणी की, वे सभी सच साबित हुई। उनकी उम्र के बारे में कुछ पता नहीं है। एक अनुमान के अनुसार लगभग तीन-चार सौ वर्ष के तो रहे होंगे क्योंकि पीढ़ी दर पीढ़ी उनको लोग ऐसी अवस्था में ही देखते आए हैं।

प्रथम राष्ट्रपति डाॅ. राजेंद्र प्रसाद जी बाबा के भक्त थे। राजेंद्र प्रसाद के पूर्वजों में बाबा, नाना, परबाबा, परनाना आदि भी इसी स्वरूप में देखते आए थे। देश विदेश की अनेक हस्तियां उनके दर्शनार्थ आती रहती थी जो सर्व विदित है। बाबा कहते थे कि गौ माता के अंदर सभी देवी देवता विराजमान रहते हैं। उसकी हत्या का कलंक अभिशाप बनकर जन्म जन्मांतर और पीढ़ी दर पीढ़ी तक पीछा नहीं छोड़ता तथा उसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है। वह कहते थे कि गौमाता तो केंद्र बिंदु है। वह तो सचमुच ही माँ के समान है। उसकी हत्या अपनी माँ की हत्या के समान है किन्तु अन्य किसी प्राणी की हत्या करना भी कम अपराध नहीं है। आखिर ईश्वर ने उन्हें भी तो अपना जीवन जीने के लिए पृथ्वी पर भेजा है। हम मनुष्यों को भगवान ने एक से बढ़कर एक खाने की वस्तुऐं दी हैं। उनका सेवन करना ना सिर्फ स्वास्थ्य बल्कि आचार-विचार और संस्कारों के लिए भी सुंदर है। शाकाहार से आगे की पीढ़ी भी संस्कारवान बनती है।

महान संत देवराहा बाबा का सानिध्य एवं आशीर्वाद मुझे अनेक बार मिला। यह सौभाग्य उनके परम प्रिय शिष्य शैलजाकांत मिश्र जो कि स्वयं भी ग्रहस्थ के संत हैं की वजह से ही प्राप्त हुआ। मिश्रा जी लगभग 3 दशक पूर्व जब मथुरा के पुलिस कप्तान थे, एक दिन मुझे बाबा के पास ले गए और उनसे कंठी जनेऊ के साथ गुरु दीक्षा दिलवाई। उस समय मथुरा के तत्कालीन जिलाधिकारी डाॅक्टर रमेश यादव भी साथ में थे।

यादव जी भी बाबा के परम भक्तों में थे तथा मिश्रा जी के साथ आक्सर बाबा का आशीर्वाद लेने जाया करते थे। बाबा के आशीर्वाद के कारण ही दोनों अधिकारियों के समय मथुरा की प्रशासनिक व्यवस्था बहुत अच्छी रही। दोनों में तालमेल सगे भाइयों जैसा रहता था। उस जमाने को लोग आज भी याद करते हैं। तभी से मैं भी बाबा के यहां जाने लगा, बाबा मुझे गुप्ता भगत कहा करते थे।

एक रोचक किस्सा बताना चाहूंगा जब बाबा की कृपा से मैं मेरी पत्नी और दोनों बच्चों की जान बची। एक बार मैं अपनी पत्नी तथा दोनों बच्चों को लेकर लूना (विक्की) से बाबा के दर्शनार्थ गया। वृंदावन के तटीय स्थान से आगे पौंटून पुल के निकट पहुंचा ही था कि लूना अचानक खराब हो गई। बहुत ही कोशिश की लेकिन स्टार्ट ही नहीं हुई, देखते-देखते दिन मुद गया।

वे दिन वर्षा ऋतु के थे, सुनसान स्थान पर मैं घबराने लगा कि अब कैसे क्या होगा? मोबाइल उन दिनों थे नहीं जो किसी को बुलाता। खैर अचानक किसी गाड़ी की सर्च लाइट दिखाई दी। मैंने हाथ देकर गाड़ी को रोका तो देखा कि वह गाड़ी सीओ सिटी एसएन सिंह की थी। सीओ सिटी भी बाबा के यहां जा रहे थे। उन्होंने कहा कि आप मेरे साथ चलिए तथा अपने एक सिपाही से कहा कि लूना को ठीक करके मथुरा ले जाओ।

फिर वह हम चारों को लेकर देवराहा बाबा आश्रम की ओर बढ़े, जैसे ही पुल के निकट पहुंचे तो देखा कि पूरा का पूरा पैंटून पुल कुछ देर पहले (उसी समय जब लूना खराब हुई थी) ही बह चुका है क्योंकि यमुना में अचानक बहुत बड़ी मात्रा में पानी आ गया था। मैंने ईश्वर और बाबा का आभार व्यक्त किया कि अगर लूना खराब नहीं हुई होती तो पुल से पता नहीं गुजरते समय हम चारों का क्या हश्र होता?

खैर इस चमत्कार के बाद तो मेरी बाबा के दर्शनों की इच्छा और भी बलवती हो गई। फिर हम सभी लोग मांट के रास्ते बाबा के आश्रम पहुंचे, वहां शैलजाकांत जी पहले से ही मौजूद थे। बाबा को सारी बात बताई बाबा मुस्करा उठे जैसे उन्हें सब पता था। बाबा ने हम सभी को प्रसाद दिलवाकर मिश्रा जी से कहा कि शैलेश भगत गुप्ता भगत को अपनी गाड़ी में अपने साथ ले जाओ और खुद घर छोड़ कर आना।

एक और चमत्कार की बात यह रही कि जिस लूना को ठीक करने में मैंने काफी मशक्कत की और फिर भी सफलता नहीं मिली वही लूना उस सिपाही से चुटकियों में स्टार्ट हो गई। एक नहीं अनेक ऐसे चमत्कृत करने वाले बाबा के किस्से हैं जिन्हें सुनकर रोमांच हो जाता है। ऐसी दुर्लभ विभूति को शत-शत नमन।


जब बाबा ने मुझ में झाड़ लगाई

बात लगभग साढे चार दशक पूर्व की है। उस समय उपराष्ट्रपति बीडी जत्ती देवराहा बाबा का आशीर्वाद लेने वृंदावन स्थित उनके आश्रम में पहुंचे। वहां सैकड़ों लोगों की भीड़ थी। बाबा ने भीड़ से तो कह दिया कि भगत लोगों तुम भगवान का कीर्तन करो और फिर खुद उपराष्ट्रपति से गुफ्तगू यानी बातचीत करने लगे।

उन दिनों मेरे ऊपर एक जुनून सवार था कि रेल के पुराने पुल पर पैदल वालों के लिए रास्ता बनवाओ। क्योंकि आए दिन पटरियों के बीच में चलने के कारण लोग कट-कट कर मर रहे थे। अतः कोई भी नेता आए, मैं उससे मिलकर पुल पर गैलरी बनवाने की मुहिम छेड़े हुए था। क्योंकि पुल मेरे घर के सामने था और आए दिन लाशों को देखकर मैं इसमें जुट गया।

इसी श्रंखला में जब बाबा और उपराष्ट्रपति की निजी बातचीत चल रही थी, तब मैं भरी भीड़ में चिल्लाया कि बाबा रेल के पुल पर आए दिन लोग कट-कट कर मर रहे हैं। पुल पर पैदल रास्ता बनवाने की भी इनसे कहो। बस फिर क्या था बाबा एकदम गुस्से में आ गए और कर्री वाली झाड़ लगाते हुए बोले कि ओ बच्चा, का रेल-रेल चिल्लावत है। चुप कर मैं सिटपिटा गया और फिर बाद में जब बाबा की बात समाप्त हो गई। तब वह उपराष्ट्रपति से बोले कि बचबा ने क्या कहा सुन और समझ लिया। इस पर उन्होंने स्वीकारोक्ति में कहा कि हां बाबा सुन लिया।

खैर इस मुहिम में मुझे चार-पांच वर्ष तो लगे किंतु ईश्वर कृपा पूर्वजों और बाबा के आशीर्वाद से मुझे सफलता मिली तथा पुल पर पैदल रास्ता बना और फिर लोगों का कट कट कर मरना बंद हो गया।

जब शैलजाकांत जी ने डबल गेम खेला

बात उस समय की है जब लगभग तीन दशक पूर्व ब्रह्मलीन संत देवराहा बाबा ने अपनी देह त्यागी थी। उस समय शैलजाकांत मिश्र पुलिस कप्तान थे और मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री।

बाबा के शरीर त्यागने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव वृंदावन स्थित बाबा के आश्रम पहुंचे। उनके पहुंचने के पहले ही शैलजाकांत मिश्र ने मुझसे चुपचाप यह कहा कि मुख्यमंत्री से पूछना कि क्या सरकार यहां पर बाबा की समाधि बनायेगी?

जैसे ही मुख्यमंत्री हेलीकाॅप्टर से उतरे और आश्रम की ओर बढ़ने लगे तो मैंने झटपट मुलायम सिंह यादव से पूछा कि क्या सरकार बाबा की स्मृति में यहां समाधि बनाएगी? मुलायम सिंह कुछ बोलें, उससे पहले ही शैलजाकांत जी ने मुझे डपट दिया कि यह सब बातें यहां करने की नहीं है, बाद में पूछना जो भी पूछना हो।

चोर से कहा चोरी करियो और शाह से कहा जागता रहियो यानी डबल गेम खेला। मिश्रा जी भी छुपे रुस्तम हैं।

Updated : 25 March 2020 10:55 AM GMT
author-thhumb

स्वदेश मथुरा

Swadesh Digital contributor help bring you the latest article around you


Next Story
Top