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कभी टूटी सी साइकिल की सवारी और आज ये जलवे, चमत्कारिक व्यक्तित्व के धनी रामकिशोर की राम कहानी

जन्मदिन पर विशेष

कभी टूटी सी साइकिल की सवारी और आज ये जलवे, चमत्कारिक व्यक्तित्व के धनी रामकिशोर की राम कहानी
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विजय कुमार गुप्ता

मथुरा। कभी टूटी सी साइकिल की सवारी करने वाले रामकिशोर जी के आज ऐसे जलवे होंगे, ऐसा पहले किसी ने सोचा भी नहीं होगा। शायद रामकिशोर जी ने भी कभी ऐसी कल्पना नहीं की होगी। कृष्ण की नगरी को उच्च शिक्षा की रंग-बिरंगी रोशनी से जगमग करने वाले रंगीले रामकिशोर 9 फरवरी को अपना 67वां जन्मदिन मना रहे हैं।

उड़ती चिड़िया के पर गिनने और बंद लिफाफे का मजमून भांप लेने जैसी महारत के स्वामी डाॅक्टर रामकिशोर अग्रवाल ने शिक्षा जगत में कदम एक मास्टर की हैसियत से रखा था। वे मथुरा से रोजाना बस द्वारा सादाबाद पहुंचते और सादाबाद से टूटी सी साइकिल पर सवार होकर सहपऊ के एक स्कूल में पढ़ाने जाते थे।

इसके बाद वह व्यापार जगत में उतरे तथा सोने चांदी के कारोबार में सोने की तरह चमके और सर्राफा एसोसिएशन के महामंत्री बने, फिर बीएसए काॅलेज के मंत्री बनकर उन्होंने बीएसए इंजीनियरिंग काॅलेज की स्थापना की और काफी समय तक उसके चेयरमैन रहे।

बीएसए इंजीनियरिंग काॅलेज मथुरा का सबसे पहला इंजीनियरिंग काॅलेज था। इससे पहले इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए विद्यार्थियों को बाहर बड़े शहरों में जाना पड़ता था। इसके बाद उन्हें ऐसा जुनून सवार हुआ कि पूछो मत। शिक्षा के जगत में क्रांति लाने की उनके अंदर निराली सनक सवार हो गई। फिर उन्होंने पीछे मुड़कर भी नहीं देखा और मथुरा से लेकर नोएडा तक शिक्षा के मंदिरों की एक के बाद एक बाढ़ सी ला दी और शिक्षा जगत के पितामह कहलाने लगे।

इनकी धाक ऐसी जमी की मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम जैसी विश्वविख्यात हस्ती ने भी इनका लोहा माना और नोएडा स्थित जीएल बजाज काॅलेज के दीक्षांत समारोह में आकर इनकी पीठ थपथपाई।

रामकिशोर जी का नाम तो राम है लेकिन कभी-कभी वह परशुराम भी बन जाते हैं। जब कोई व्यक्ति संस्थान के साथ धोखा या जयचंद जैसी किसी भी प्रकार की गद्दारी करता है तो आगा-पीछा न सोचकर उसे छोड़ते नहीं और उसे रुई की तरह धुन डालते हैं। 1-2 केस ऐसे भी हो चुके हैं जिनमें इनके शिकार एसएन मेडिकल काॅलेज तक रेफर हो गए और बमुश्किल उनकी जान बची।

कई बार यह गिरकर गंभीर रूप से चोटिल हुए हैं। एक बार तो पैर की हड्डियां भी बुरी तरह टूटी और वह कई माह तक बिस्तर में पड़े रहे। उसके बाद जब कुछ ठीक हुए तो व्हीलचेयर और वाॅकर की सहायता से चलने लगे। पिछले वर्ष तो ऐसी नौबत आ गई और वह बमुश्किल कई माह में ठीक हो पाए। हो सकता है कि उन पीड़ितों की हाय लगी हो जिन्हें इन्होंने एसएन तक की हवा खिलाई।

एक बार इनके ऊपर भूत सवार हो गया। भूत जो सवार हुआ था वह भूत प्रेत वाला भूत नहीं, वह तो चुनावी भूत था। इनको एमएलए बनने की लालसा जागृत हुई। राजनीति में तो यह पहले से ही थे। कट्टर कांग्रेसी और जुगाड़ु होने के कारण इनकी राष्ट्रीय स्तर के कुछ दिग्गज कांग्रेसी नेताओं से अच्छी सेटिंग थी। इन्होंने जोड़-तोड़ से ऐसी गोट बिछाई की सीटिंग एमएलए प्रदीप माथुर की भी जड़ें हिल गई तथा एक बार तो ऐसा लगा कि इन्हीं को टिकट मिल जाएगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। प्रदीप माथुर खेले खाए तेजतर्रार व्यक्ति हैं और सीधे पीएम हाउस में उनकी गहरी पैठ थी। अतः इनकी दाल नहीं गली और टिकट प्रदीप माथुर को ही मिली।

इसके बाद तो इन्हें इतना गुस्सा आया कि कांग्रेस से बगावत करके निर्दलीय चुनाव लड़े तथा ऐसा समझने लगे कि अब तो मैं विधायक बन ही जाऊंगा। खैर जैसे जैसे चुनाव निकट आए वैसे वैसे इन्हें यह महसूस होने लगा कि यह मेरी भूल थी। चुनाव के बाद तो स्थिति साफ हो गई कि यह हार रहे हैं और जब मतगणना हुई तो स्थिति बड़ी शर्मनाक हो गई। रामकिशोर जी चारों खाने चित्त जाकर गिरे। बुरी तरह पराजय हुई और जमानत भी नहीं बचा पाए। बस यहीं रामकिशोर जी गच्चा खा गए और फिर तो इन्होंने राजनीति से ही पल्ला झाड़ लिया।

इनकी सबसे अच्छी बात यह है कि नोटबंदी और जीएसटी के बाद जिस प्रकार अन्य बड़े-बड़े लोगों ने एक दूसरे की रकम मारी और गरीबों तक को नहीं बख्शा। ठीक उसके विपरीत उन्होंने किसी की रकम नहीं मारी। भले ही इनकी करोड़ों की रकम लोग मार बैठे। उसकी इन्होंने उफ तक नहीं की। जिनका देना था, सभी का चुकाया भले ही मोटी रकम की ब्याज देनी पड़ रही हो। उसके लिए इन्हें साधुवाद। इसका श्रेय इनके पिता स्वर्गीय श्री हरिदास अग्रवाल को जाता है जो हमेशा इनसे यह कहते थे कि बेटा किसी के साथ बेईमानी मत करना वरना गधा-घोड़ा बनकर कर्ज चुकाना पड़ेगा। पिता के इस उपदेश को इन्होंने आत्मसात कर लिया।

रामकिशोर जी यारों के यार जीदार मस्त मौला हैं। इस बात को मानना पड़ेगा कि जिसके अपने हैं उसके अपने और जिसके बेगाने हैं उसके बेगाने। अपनी मोहब्बत निभाने के लिए तो यह किसी भी हद तक चले जाते हैं और जिससे आर-पार हो गई तो फिर अपनी मूंछे नीचे नहीं होने देते भले ही खुद मूंछ नहीं रखते। इनके जज्बे को सलाम ईश्वर इन्हें शतायु करे।

Updated : 9 Feb 2020 3:43 AM GMT
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स्वदेश मथुरा

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