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कुंडों के सौंदर्यीकरण के नाम पर ब्रज फाउंडेशन ने किया करोड़ों का घोटाला

-गिरिराज परिक्रमा संरक्षण संस्थान ने विनीत नारायण पर लगाए गंभीर आरोप, याचिका पर एनजीटी ने दिए सरकार को जांच के आदेश

कुंडों के सौंदर्यीकरण के नाम पर ब्रज फाउंडेशन ने किया करोड़ों का घोटाला
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मथुरा। गिरिराज परिक्रमा संरक्षण संस्थान द्वारा दाखिल याचिका में पत्रकार विनीत नारायण के एनजीओ ब्रज फाउंडेशन द्वारा ब्रज के कुंडों के सौंदर्यीकरण पर गंभीर सवाल उठाए गए है।

याचिकाकर्ता बाबा आनंद गोपाल दास ने ब्रज फाउंडेशन के अध्यक्ष विनीत नारायण पर आरोप लगाया कि ब्रज फाउंडेशन व विनीत नारायण ने यूपी की पिछली सरकारों के साथ सांठगांठ करके बड़े घोटालों को अंजाम दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करते हुए ब्रज के प्राचीन, पौराणिक महत्व के कुंडों के सौंदर्यीकरण में उनके मूल भाव से छेड़छाड़ की गई। सरकारी धन का दुरुपयोग कर ब्रज के कुंडो व जल स्त्रोतों को बिगाड़कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया गया है।

स्थानीय होटल में आयोजित पत्रकार वार्ता में याचिकाकर्ता बाबा आनंद गोपाल दास ने ब्रज फाउंडेशन व विनीत नारायण पर आरोप लगाते हुए कहा कि वर्ष 2008 में रेवेन्यू बोर्ड की फुल बेंच ने ब्रज फाउंडेशन के खिलाफ फैसला सुनाया था। विनीत नारायण ने इस आदेश को छुपाकर तत्कालीन सरकार को गुमराह क्यों किया।

बाबा आनंद गोपाल दास ने आरोप लगाते हुए कहा कि जब ग्राम प्रधान कुंडों पर कार्य करने की अनुमति देने के लिये आधिकारिक नहीं है तो कैसे ग्राम प्रधानों की अनुमति लेकर सरकारी संपत्ति को इतना बड़ा नुकसान पहुंचाया गया और कुंडो का स्वरूप बदल कर ब्रज के जल स्रोतों को सीमेंटिड स्विमिंग पूल बना कर छोड़ दिया गया।

एनजीटी में दाखिल याचिका में कहा गया है कि आखिर किस की अनुमति से कुंडों की खुदाई कर ब्रज फाउंडेशन ने सरकारी संपत्ति को खुर्द बुर्द किया तथा उसमें से निकाली गई सैकड़ों टन मिट्टी को कहां और किसको बेचा गया। गूगल इमेज से साफ नजर आता है कि ब्रज फाउंडेशन के द्वारा बनाये गए सभी कुंड पहले काफी बड़े- बड़े थे, जिनको ब्रज फाउंडेशन ने छोटा कर दिया व वहां सीमेंटेड पत्थर लगा कर पानी का जो वास्तविक स्त्रोत था उसको नष्ट कर दिया।

विनीत नारायण ने पिछली और तात्कालिक सरकार को धोखे में रखते हुए व न्यायालय के आदेशों को छुपाते हुए बिना किसी की अनुमति से सरकार के साथ मिल कर करोड़ो का चूना लगाया है। याचिका में सभी दस्तावेजों को दाखिल करते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई है। इस पर एनजीटी ने सरकार को नोटिस देते हुए निष्पक्ष जांच करने को कहा है।

ब्रज फाउंडेशन ने कब्जाई सरकारी संपत्तियां

याचिकाकर्ता ने अपने शिकायती प्रार्थना पत्र में कहा है कि ब्रज फाउंडेशन व विनीत नारायण ने मथुरा वृंदावन व गोवर्धन में कई सरकारी सम्पतियों पर भी कब्जा कर रखा है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सार्थक चतुर्वेदी व राहुल शुक्ला ने एनजीटी के सामने याचिकाकर्ता का पक्ष रखते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने 1984 के अपने आदेश एमसी मेहता बनाम यूनियन आॅफ इंडिया में साफ कहा है कि कुंड व तालाब सब सरकार की संपत्ति हैं और इनके रख रखाव की जिमेदारी भी सरकार की है। पूर्व में कुंडो और तालाबों पर कब्जा करने वाले भूमाफियाओं पर कड़ी कार्यवाही की गई है। याचिका में न्यायालय को अवगत कराया कि वर्ष 2013 में भी ब्रज फाउंडेशन द्वारा एनजीटी में एक याचिका दाखिल की गई थी, जिसको एनजीटी ने निरस्त करते हुए ब्रज फाउंडेशन को कड़ी फटकार लगाई थी।

याचिका में कहा कि जब विनीत नारायण व उसकी संस्था की करोड़ों की हेरा फेरी पर न्यायालय द्वारा रोक लगने लगी तो वो बौखला गया है और अब गलत तरीके से सरकारी व कुछ निजी जगहों पर कब्जा करने में लगा है। याचिकाकर्ता ने बताया कि ऋणमोचन कुंड, रुद्र कुंड, चंद्र सरोवर, जय कुंड, रामताल जैसे अनेकों कुंडो से भारी मात्रा में मिट्टी का खनन कर सरकारी संपत्ति को करोड़ों का चूना लगाया गया है।

सुंदरता दिखाने के नाम पर मूर्तियां लगाई गई व अपने व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिये कुंडों पर कमरे तक बनाए गए। याचिकाकर्ता ने अपने प्रार्थना पत्र में न्यायालय से मांग की है कि इतने बड़े घोटाले व ब्रज व गोवर्धन की धरती के जल स्त्रोतों को नष्ट करने के लिए उच्च स्तरीय जांच हो और ब्रज को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही हो।

Updated : 28 Nov 2019 3:39 AM GMT
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स्वदेश मथुरा

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