Home > राज्य > उत्तरप्रदेश > लखनऊ > टेंडर पाम हॉस्पिटल ने 10.75 लाख न देने पर शव कब्जाया

टेंडर पाम हॉस्पिटल ने 10.75 लाख न देने पर शव कब्जाया

जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने सोमवार को अस्पताल प्रशासन को फटकार लगाई। इसके अलावा मीडिया का भारी दबाव के बाद अस्पताल प्रशासन ने 12 घंटे बाद मंगलवार सुबह आठ बजे परिजनों को शव दे दिया।

टेंडर पाम हॉस्पिटल ने 10.75 लाख न देने पर शव कब्जाया
X

लखनऊ: राजधानी लखनऊ में एक बार फिर निजी टेंडर पाम अस्पताल की गुंडागर्दी देखने को मिली। यहां कोरोना मरीज की मौत के बाद करीब 11 लाख रुपये न देने पर डॉक्टरों ने शव को अपने कब्जे में ले लिया। जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने सोमवार को अस्पताल प्रशासन को फटकार लगाई। इसके अलावा मीडिया का भारी दबाव के बाद अस्पताल प्रशासन ने 12 घंटे बाद मंगलवार सुबह आठ बजे परिजनों को शव दे दिया।

उन्नाव जनपद के जोतपुर राजा बाजार के रहने वाले अनिल कुमार ने बताया कि लखनऊ के गोसाईंगंज स्थित टेंडर पाम अस्पताल में एक मई को उन्होंने अपनी पत्नी गयावती को भर्ती कराया था। परिजन जे कनिष्क के अनुसार वेंटिलेटर और आईसीयू के लिए आठ लाख रुपये जमा कराए गए और उनका कोरोना का इलाज शुरू हुआ। कुछ दिन बाद गयावती की तबियत ठीक बताकर उन्हें नॉन कोविड वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया।




पीड़ित परिजनों ने आरोप लगाते हुए कहा, डॉक्टरों ने रविवार को अचानक गयावती की तबियत खराब बताकर उन्हें दोबारा वेंटिलेटर पर रख दिया। इसके साथ ही एक लाख रुपये की मांग की। जब वह पैसे की व्यवस्था करके अस्पताल वापस आए तो डॉक्टरों ने गयावती के निधन की सूचना दी। उन्होंने बताया कि उनके मरीज की मौत रात आठ बजे के आसपास हुई थी। इसके बाद अस्पताल ने गयावती के शव को अपने कब्जे में ले लिया।

मामला जब मीडिया में आया तो हॉस्पिटल में हड़कंप मच गया। टेंडर पाम हॉस्पिटल के रिसेप्शनिस्ट अविनाश पांडेय से पूछा गया तो वह गोल-मोल जवाब देने लगा। हालांकि, बाद में अस्पताल प्रशासन शव देने के लिए तैयार हो गया। इसके बाद भी वह सुबह तक पीड़ित पर रुपये जमा करने का दबाव बनाता रहा। आखिरकार जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश की फटकार और मीडिया के भारी दबाव से परिजनों को मंगलवार सुबह आठ बजे शव मिल गया।

रात भर हॉस्पिटल प्रबंधन के कब्जे में रहा शव :

अपनी गुंडई पर उतारू टेंडर पाम अस्पताल प्रशासन ने मृतका के शव को रात भर अपने कब्जे में रखा। परिजनों के रोने, गिड़गिड़ाने के बाद भी अस्पताल प्रबंधन को तरस नहीं आया। कनिष्क के अनुसार अस्पताल प्रबंधन 75,0000 रुपये फार्मेसी और 3,25000 रुपये हॉस्पिटल चार्ज सहित कुल 10,75000 रुपये मांगने लगा। साथ ही धमकी भी दी कि जब तक पैसा नही मिलेगा, तब तक शव भी नहीं दिया जाएगा। अनिल कुमार ने जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश से सहयोग की अपील की जिसके बाद परिजनों को शव मिल सका।

जमीन-घर बेचकर जुटाए थे आठ लाख रुपये :

तीमारदार कनिष्क ने बताया कि आठ लाख रुपये की रकम के लिए उन्होंने अपना घर और जमीन बेचकर एकत्रित की थी। इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने फिर से 10 लाख 75 हज़ार की मांग की। ऐसे में वह घबरा गए और उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था। इसके साथ ही मरीज की मौत ने परिजनों को अंदर से तोड़ दिया था। इन सबके बाद भी अस्पताल प्रबंधन अपनी मनमानी करता रहा।

Updated : 31 May 2021 7:43 AM GMT
Tags:    
author-thhumb

Swadesh Lucknow

Swadesh Digital contributor help bring you the latest article around you


Next Story
Top