तारिक मंसूर के बहाने भाजपा की मुस्लिम वोट बैंक पर नजर, जानिए है कौन

लखनऊ। साल 2024 के लोकसभा चुनाव में भले अभी एक साल का समय हो लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने तैयारियां शुरू कर दी है। इसी कड़ी में आज भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपनी नई टीम का ऐलान किया है। जिसमें सर्वाधिक लोकसभा सीटों वाले राज्य उतरप्रदेश से आठ नेताओं को जगह मिली। जिसमें सबसे ज्यादा चौकाने वाला नाम तारिक मंसूर का है, जिन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है। वे इस पद पर पहुंचने वाले पहले मुस्लिम नेता है।
तारिक मंसूर वर्तमान में उप्र विधान परिषद के सदस्य है। इससे पहले वे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के कुलपति भी रहे चुके हैं। उन्हें नई टीम में शामिल कर मुस्लिम समाज को बड़ा संदेश देना है। दरअसल 80 लोकसभा सीटों में से 29 सीटें मुस्लिम बाहुल्य हैं और बीजेपी के लिए ये सबसे बड़ा चैलेंज है। इनमें ज्यादातर सहारनपुर, मेरठ, कैराना, बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, संभल, बुलंदशहर, अलीगढ़ पश्चिम उत्तर प्रदेश में आती हैं। इनमें भी सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा, संभल, मुरादाबाद, नगीना भाजपा से पास नहीं हैं। वैसे 2019 में रामपुर भी भाजपा की पास नहीं थी। उपचुनाव में उसने यहां जीत हासिल की थी। इसी तरह से आजमगढ़ की सीट भी है।
वोटकटवा समीकरण से निजात पाने का प्रयास होगा कारगर -
राजनीतिक विश्लेषकों की राय है कि बीजेपी का हमेशा से दर्द यह रहा है कि आज भी उसे मुस्लिम बाहुल्य सीट पर जीत का कांफिडेंस नहीं रहता है। चुनाव में वोट कटवा समीकरण पर ध्यान लगाना पड़ता है। हाल ही में हुए आजमगढ़ उपचुनाव पर ही नजर डालें तो बीजेपी के निरहुआ कांटे की टक्कर के बाद सपा के धर्मेंद्र यादव को हरा सके। बीजेपी की इस जीत से ज्यादा चर्चा बसपा के गुड्डू जमाली को मिले वोट की हुई। माना गया कि मुस्लिम मतदाता वहां बंट गया, जिस कारण भाजपा जीत दर्ज कर सकी। अब भाजपा का थिंक टैंक इस स्थिति को बदलना चाहता है। यही कारण है कि पसमांदा मुसलमान जो आर्थिक, सामाजिक तौर पर पिछड़ा है और उसके पास मजबूत राजनीति नेतृत्व भी नहीं है, उसे भाजपा सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के रास्ते और पसमांदा सम्मेलन कर समाज से ज्यादा से ज्यादा जुड़कर अपने पाले में करने की कोशिश में है।
जानिए कौन है .तारिक मंसूर -
प्रो.तारिक मंसूर अलीगढ़ के ही निवासी हैं। 20 सितंबर 1956 को जन्म हुआ। पिता हफीज-उर-रहमान एमएमयू में विधि विभाग के चेयरमैन और डीन रहे। पत्नी प्रो.हमीदा जेएन मेडिकल कॉलेज में हैं। प्रो.तारिक की शुरुआती पढ़ाई रामघाट रोड स्थित अवर लेडी फातिमा में हुई। 1978 में उन्होंने एएमयू के जेएन मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया फिर 1982 में एमएस पूरा किया। 1983 से दो साल वह मेडिकल कॉलेज में सीएमओ रहे, फिर सऊदी अरब चले गए। वहां काम करने के बाद एक साल बाद भारत लौटे और 1986 से 1993 तक जेएन मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर रहे। 2001 तक एसोसिएट प्रोफेसर और बाद में 11 साल तक प्रोफेसर रहे। 2013 में वह मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल और सीएमएस रहे। 2017 में वह एएमयू के कुलपति बने।
