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उप्र में अगले 6 माह तक हड़ताल बंद का फरमान कर्मचारी संगठनों को मंजूर नहीं

उप्र में अगले 6 माह तक हड़ताल बंद का फरमान कर्मचारी संगठनों को मंजूर नहीं
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लखनऊ। अपर मुख्य सचिव मुकुल सिंघल के उत्तर प्रदेश में लोकसेवा, निगम और प्राधिकरण से जुड़े कर्मचारी, अधिकारी द्वारा अगले 6 माह तक कोई हड़ताल ना करने के आदेश पर कर्मचारी नेताओं, संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कर्मचारी संगठनों को यह आदेश मंजूर नहीं है।

मजदूरों और कर्मचारियों की लड़ाई कार्यालय से लेकर सड़क तक लड़ने वाले संगठन भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश सह संगठन मंत्री जगदीश बाजपेयी ने कहा कि प्रदेश सरकार कर्मचारियों को मार रही है और रोने भी नहीं देना चाहती है। पुरानी पेंशन बंद करना, डीए रोकना, 6 भत्ते बंद कर देना, आम कानूनों में अस्थाई 3 वर्ष की छूट देना, 12 घंटे ड्यूटी किया जाना और इन सब के बाद हड़ताल भी ना करना का आदेश इसी कि वह इशारा कर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को भय है उनके द्वारा दिए गए विभिन्न आदेशों से कर्मचारी हड़ताल पर जाने को विवश होगा। इसके लिए हड़ताल रोकने का आदेश जारी कर दिया गया है।

उत्तर प्रदेश पीडब्ल्यूडी मिनिस्ट्रियल एसोसिएशन के प्रांतीय महामंत्री ज्योति प्रकाश पाण्डेय ने कहा क़ि वर्तमान महामारी के समय सरकार के द्वारा आम जनता के लिए किए जा रहे प्रयासों को जनता तक पहुंचाने का कार्य सरकारी कर्मचारी कर रहे हैं। सरकारी कर्मचारी ही दिन रात अपनी जान जोखिम में डालकर अपने परिवार की जान जोखिम में डालकर इस महामारी में हर एक नागरिक तक सरकार की उपलब्धियां और सुविधाएं पहुंचा रहे हैं। सरकार द्वारा 1 दिन का वेतन मांगे जाने पर पूरे प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों ने 1 दिन का वेतन कटा कर करोड़ों रुपए सरकारी कोष में मुख्यमंत्री के सहायता कोष में जमा किया। 1 वर्ष के लिए डीए फ्रीज कर दिया गया, उस पर भी सरकारी कर्मचारी कुछ नहीं बोले।

उन्होंने कहा कि इस भीषण महामारी एवं आर्थिक संकट के दौर में हम कर्मचारियों के द्वारा हर प्रकार की अप्रत्यक्ष रूप से सरकार को मदद की गयी। हम 1 वर्ष तक डीए नहीं बढ़ाएंगे परंतु जब हमारे वेतन के कुछ लाभ जो हमें बहुत समय से मिल रहे हैं उनको समाप्त कर दिया गया। वित्त विभाग द्वारा गलत तर्क दिए गए। इस कारण कर्मचारियों में रोष उत्पन्न हुआ वित्त विभाग ने मुख्यमंत्री जी को गलत तरीके से परिभाषित कर के कर्मचारियों के भत्ते समाप्त किए। वर्तमान समय में कई संगठनों द्वारा सांकेतिक विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था, जैसे कि बांह पर काली पट्टी बांधी गई परंतु कार्य करने के अवधि में कोई परिवर्तन नहीं किया गया। पूरी निष्ठा के साथ कार्य किया जा रहा है अगर शांतिप्रिय तरीके से किए गए विरोध प्रदर्शन जिसमें सरकार के कार्य में 1 मिनट भी गतिरोध नहीं उत्पन्न हो रहा है, उस पर इस तरीके के राज आज्ञा करना बहुत ही गलत है।

स्वायत्त शासन कर्मचारी संगठन के प्रांतीय महामंत्री अशोक कुमार गोयल ने कहा कि यूपी सरकार के 6 माह तक समस्त तरह की हड़ताल पर रोक लगाया जाना लोकतंत्र का गला घोटने के समान है। स्वायत्त शासन कर्मचारी संगठ़न उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री से मांग करता है कि लोक प्रिय सरकार कर्मचारी महासंघों, परिसघों के बीच वार्ता करें। भत्तो पर रोक लगाये जाने का कारण स्पष्ट करे, क्योंकि देश में फैली कौरोना जैसी महामारी की लड़ाई में प्रदेश के राज्य कर्मचारी, पुलिस प्रशासन, स्वास्थ सेवा कर्मी, निकायों के सफाई कर्मीयों सहित अन्य सवंर्ग के कर्मी अपनी जान हथेली पर रख सेवा भाव का कार्य कर रहे।

उन्होंने कहा कि सरकार के हठवादिता के फल स्वरूप कर्मचारी और सरकार में टकराव जैसी स्थिति उत्पन्न होगी। प्रदेश सरकार का 6 माह तक हड़ताल रोके जाने का आदेश सरासर गलत है।

उप्र पंचायती राज ग्रामीण सफाई कर्मचारी संघ की अमेठी शाखा के अध्यक्ष अंकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा कर्मचारियों का भत्ता समाप्त किया जा रहा है और कर्मचारियों के साथ अन्याय, उत्पीडन किया जा रहा है। कर्मचारी संगठनो द्वारा कर्मचारियों के हित में विरोध, आन्दोलन और हडताल एक आवश्यक कदम होता है। सरकार द्वारा 6 माह हड़ताल बन्द करना लोकतंत्र की हत्या करना है। मैं इसका पुरजोर विरोध करता हूँ।

इसी प्रकार से एलडीए, राजकीय निर्माण निगम, यूपी परिवहन, उप्र आवास विकास से जुड़े कर्मचारी और अधिकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी 6 माह हड़ताल पर रोक पर नाराजगी व्यक्त करते हुए अपनी तीखी प्रतिक्रियाएं दी है।

Updated : 23 May 2020 8:22 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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