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गांव बचाने के लिए खुद की आहुति दे गया लखनऊ का लाल

लखनऊ का लाल

गांव बचाने के लिए खुद की आहुति दे गया लखनऊ का लाल
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गुजरात के जामनगर में जगुआर विमान की उड़ान के दौरान हुए हादसे में मंगलवार को एयर कमोडोर संजय चौहान की मौत से पूरा मैनपुरी शोक में है। बेवर थाना क्षेत्र के गांव जासमई खास में उनकी मौत की खबर पहुंचते ही ग्रामीण शोक में डूब गए। पूरी रात संजय चौहान की बहादुरी की चर्चा हुई। सुबह होते ही उनके आवास पर पारिवारिक सदस्यों से शोक जताने वालों की भीड़ पहुंचने लगी। एक साल पहले संजय चौहान परिवार की लड़की की शादी में भाग लेने कानपुर आए थे।

बुधवार को सुबह होते ही संजय चौहान की मौत की खबर की जानकारी पाकर ग्रामीणों की भीड़ उनके पैतृक आवास पर पहुंचने लगी। हालांकि संजय चौहान का परिवार पिछले 20 सालों से लखनऊ में रह रहा है। उनके पिता कर्नल नत्थू सिंह चौहान की बहादुरी के किस्से ग्रामीणों की जुबान पर पूरे दिन बने रहे। इकलौते पुत्र होने के बाद भी कर्नल नत्थू सिंह ने अपने पुत्र को एयर फोर्स में भर्ती कराया। अपने काम के प्रति बेहद समर्पित रहने वाले संजय वर्तमान में एयर कमांडर बन गए थे। वायु सेना ने उन्हें एयर मार्शल के पद पर प्रोन्नति देने की तैयारी कर ली थी। लेकिन तब तक उनकी मौत की खबर आ गई।

गांव के युवाओं को देश सेवा के लिए करते थे प्रेरित

ग्राम जास्मई खास निवासी उनके चचेरे भाई चंद्र प्रकाश सिंह चौहान बताते हैं कि वे जब भी गांव आते थे गांव के युवाओं को देश की सेवा के लिए प्रेरित करते थे। अपने दोस्तों के बीच में फौजी के रूप में चर्चित संजय का कहना था इस दुनिया में सीमाओं की रक्षा करने से बड़ा कोई धर्म नहीं है। बचपन से ही उन्हें जहाज चलाने का शौक था। सेना में नौकरी करने के बाद उनकी इच्छा पूरी हो गई।

लखनऊ में रहता हैं परिवार, दो बहिनें अमेरिका में

एयर कमोडोर संजय के इकलौते पुत्र अभिषेक चौहान ने बीटेक कर लिया है और अमेरिका की एक कंपनी से उनका करार हुआ है। उनकी पत्नी अंजलि चौहान पुत्र के साथ लखनऊ रहती हैं। संजय की बहन सरोज लखनऊ में प्रोफेसर हैं और उनके पति भी सेना में ब्रिगेडियर हैं। इसके अलावा उनकी दो अन्य बहनें अंजलि और रंजना अमेरिका में इंजीनियर हैं और वे दोनों वही शिफ्ट हो गई हैं। अब उनका पुत्र अभिषेक भी अमेरिका जाने की तैयारी कर रहा है।

अब पैतृक मकान में रह गई हैं उनकी यादें

गांव में उनकी दो बीघा जमीन और एक पैतृक मकान है। जिसमें कोई नहीं रहता। परिवार के अन्य सदस्य दूसरे मकान में रहते हैं। बचपन मे वे गांव आते थे। परिवारीजन बताते हैं कि संजय का जन्म लखनऊ में हुआ। उस समय उनके पिता लखनऊ में तैनात थे। इसके बाद उनकी स्कूली पढ़ाई लखनऊ और मेरठ में पूरी हुई। पिता की इच्छा के चलते संजय ने सेना की कॅरियर के रूप में चुना और वायुसेना में भर्ती ही गए। पूरा परिवार इस घटना की खबर आने के बाद सदमे में हैं। परिवारीजन अंतिम संस्कार में भाग लेने के लिए लखनऊ जा रहे हैं।

3,800 घंटे से ज्यादा की उड़ान का अनुभव था | रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष ओझा ने बताया, जामनगर से नियमित प्रशिक्षण मिशन पर निकला जगुआर विमान सुबह करीब साढ़े दस बजे दुर्घटनाग्रस्त हो गया। 50 वर्षीय चौहान को 16 दिसंबर, 1989 को वायुसेना के युद्धक दस्ते में शामिल किया गया था और वह एक क्वालीफाइड फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर (क्यूएफआई) और एक्सपेरिमेंटल टेस्ट पायलट थे। उनके पास वायुसेना के पायलट के रूप में 3,800 घंटे से ज्यादा की उड़ान का अनुभव था। उन्हें 2010 में वायु सेना पदक मिला था।

17 प्रकार के विमान उड़ा चुके थे

एक अधिकारी ने कहा, अपनी सेवा के दौरान चौहान टेस्ट पायलट स्कूल के प्रमुख जैसे कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे। वह वायुसेना के एक लड़ाकू दस्ते के भी प्रमुख के रूप में सेवा दे चुके थे। अधिकारी ने कहा, वह एक अनुभवी पायलट थे और जगुआर, मिग-21, हंटर, एचपीटी-32, इस्कारा, किरण, एवरो-748, एएन-32 एवं बोइंग 737 सहित वायुसेना के 17 प्रकार के विमान उड़ा चुके थे। चौहान के पास राफेल, ग्रिपेन एवं यूरो फाइटर जैसे कई आधुनिक लड़ाकू विमान उड़ाने का भी विशिष्ट अनुभव था।







Updated : 15 Jun 2018 5:52 PM GMT
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Vikas Yadav

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