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उप्र ने पूर्व जजों की निगरानी में लखीमपुर हिंसा की जांच को दी सहमति

उप्र ने पूर्व जजों की निगरानी में लखीमपुर हिंसा की जांच को दी सहमति
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लखीमपुर। लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा जांच की निगरानी के लिए पूर्व जज की नियुक्ति पर सहमति जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस जज को नियुक्त करना है, उससे पहले उसकी सहमति लेने के लिए एक और दिन का समय चाहिए। उसके बाद हम आदेश पारित करेंगे। मामले की अगली सुनवाई 17 नवंबर को होगी।

उत्तर प्रदेश के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि हमने निर्देश ले लिया है। सुप्रीम कोर्ट जिन्हें भी ठीक समझे, निगरानी के लिए नियुक्त कर दे। साल्वे ने कहा कि मेरा सुझाव है राज्य का या राज्य के बाहर का जज न कहा जाए। यह काफी है कि सुप्रीम कोर्ट एक ज़िम्मेदार व्यक्ति को नियुक्त करेगा। तब कोर्ट ने कहा कि जांच टीम मजबूत करना ज़रूरी है। उसमें कुछ ऐसे आईपीएस हों जो उप्र. कैडर के हों परन्तु मूलरूप से वहां के न हों। कल शाम तक नाम सुझाएं। आठ नवंबर को कोर्ट ने केवल एक आरोपित का मोबाइल जब्त करने पर सवाल उठाया था। कोर्ट ने संकेत दिया था कि पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस रंजीत सिंह या जस्टिस राकेश कुमार को जांच का जिम्मा दिया जा सकता है। कोर्ट ने कहा था कि क्या बाकी आरोपित मोबाइल इस्तेमाल नहीं करते।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि हम किसानों, पत्रकार और पार्टी कार्यकर्ता की हत्या सहित तीनों मामलों में निष्पक्ष जांच चाहते हैं। सुनवाई के दौरान घटना में मारे गए भाजपा कार्यकर्ता श्याम सुंदर की पत्नी के वकील ने कहा था कि हमारे केस की सीबीआई जांच हो। हमें पुलिस पर भरोसा नहीं है। तस्वीर देखिए, पुलिस हिरासत में जाने तक वह जीवित थे। उप्र. पुलिस की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि पुलिस ने उन्हें भीड़ से बचाने की कोशिश की थी, मगर बचा नहीं सकी।

सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने कहा था कि हमें लगता है कि एसआईटी तीनों मामलों में अंतर नहीं कर पा रही है। हम किसी दूसरे हाई कोर्ट के पूर्व जज को निगरानी का ज़िम्मा देना चाहते हैं। पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस रंजीत सिंह या जस्टिस राकेश कुमार को ज़िम्मा दिया जा सकता है। वह देखेंगे कि तीनों केस में चार्जशीट दाखिल हो। 26 अक्टूबर को कोर्ट ने उप्र. सरकार को निर्देश दिया था कि गवाहों को सुरक्षा मुहैया कराई जाए। कोर्ट ने कहा था कि मृतक श्याम सुंदर और पत्रकार की मौत पर राज्य सरकार स्टेटस रिपोर्ट पेश करे। कोर्ट ने निर्देश दिया था कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत गवाहों के मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान तेज़ी से दर्ज किए जाएं।

उल्लेखनीय है कि लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर को हुई हिंसा में आठ लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में दर्ज एफआईआर में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा को आरोपित किया गया है। आशीष मिश्रा पर आरोप है कि उनकी गाड़ी से कुचलकर चार लोगों की मौत हो गई।

Updated : 17 Nov 2021 10:22 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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