लखनऊ: भीषण गर्मी में छायादार हरे पेड़ों की कटाई कर, लकड़कट्टे उजाड़ रहे पशु-पक्षियों के आशियाने!

लखनऊ: इस भीषण गर्मी के इस दौर में जब प्रशासन खुद लोगों से अपील कर रहा है, कि वे धूप और लू से बचने के लिए अनावश्यक रूप से घर से बाहर न निकलें।वहीं हरे छायादार पेड़ों की इस तरह की अंधाधुंध कटाई ने सरकारी दिशा-निर्देशों की अवहेलना का संकेत दे रहें हैं।
तो वहीं इस भीषण गर्मी में वन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से क्षेत्र के लकड़कट्टे बड़े-बड़े प्रतिबंधित हरे छायादार पेंड़ों की कटाई कर सैकड़ों पशु-पक्षियों के आशियाने छीनने का काम कर रहें हैं।
ताज़ा मामला राजधानी के इटौंजा थाना क्षेत्र के पृथ्वीनगर व बेहड़ करौदी गांवों का है। जहां बगैर परमिट नीम, गूलर, पाकड़ जैसे बड़े छायादार हरे भरे पेड़ों पर आरा चला दिया गया। स्थानीय नागरिकों ने इस पर नाराजगी जताते हुए सवाल उठाया है, कि जब पर्यावरण संरक्षण को लेकर शासन सख्त कदम उठा रहा है, तो ऐसे पेड़ों की कटाई की अनुमति किसने दी? गांव में आने वाले सैकड़ों पशु-पक्षियों के लिए ये पेड़ राहत का जरिया एवं उनके आशियाना थे।
लेकिन अब जिम्मेदारों की मेहरबानी से इस भीषण गर्मी एवं चिलचिलाती धूप में उनके आशियानें उजड़ जाने के बाद पर्यावरण प्रेमियों और सामाजिक संगठनों ने इस मामले की मुख्यमंत्री से जांच करवाने की मांग की है, और कहा है कि इटौंजा क्षेत्र में लंबे समय से अनवरत जारी अंधाधुंध हरे फल व छायादार पेड़ों की कटाई को रोकने तथा पुनः वृक्षारोपण करवाने की मांग की है।
बता दें कि वृक्षों की कमी के चलते गर्मी बहुत अधिक बढ़ रही है, कुछ वर्ष पहले बीकेटी फलपट्टी क्षेत्र व उसके आसपास वृक्षों की संख्या बहुत अधिक थी। परंतु देखा जा रहा है, कि कुछ समय से पेड़ों की संख्या कम होती जा रही है।
इससे साफ नजर आ रहा है, कि वन कर्मियों एवं स्थानीय थानों की पुलिस की मिलीभगत से इस भीषण गर्मी में लकड़कट्टो द्वारा हरेभरे छायादार वृक्षों की कटाई लगातार की जा रही है। वृक्ष लगाएं, जीवन बचाएं, वृक्ष हमारी धरोहर है, वृक्षों के बिना हमारा जीवन संभव नहीं। यह बातें मात्र अधिकारियों द्वारा मीटिंग व कार्यशालाओं तक ही सीमित रहती है।
परंतु जब किसी वृक्ष को काटा जाता है, तब यह उनकी नजरों में दिखाई नहीं देता। वहीं, क्षेत्र में हो रही हरे वृक्षों की कटान के लिए वन विभाग को पुलिस जिम्मेदार ठहराती है। वहीं, वन विभाग हमेशा स्टाफ व संसाधनों का रोना रोते हुए पुलिस को जिम्मेदार ठहराती है। लेकिन दोनों विभागों का आपसी तालमेल न होने से इस भीषण गर्मी में लकड़कट्टे क्षेत्र के प्रतिबंधित छायादार और फलदार पेड़ों के दुश्मन बन रहें हैं। वन रेंज क्षेत्र में वर्ष भर में अब तक कई हजार पेड़ों पर आरा चल चुका है। यहीं नहीं, पर्यावरण सुरक्षा की शपथ लेने वाले ही इसका क्षरण कर रहे हैं। कटान में वनकर्मियों की संलिप्तता उजागर हो रही है। इसके सापेक्ष वन विभाग कई लाख पौधे रोपित करने का दावा कर रहा है।
लेकिन गत वर्ष जो पौध रोपित किए गए थे, उनमें से अधिकाश नष्ट हो चुके हैं। टूटे ट्री-गार्ड वन विभाग के दावों को मुंह चिढ़ा रहे हैं। इटौंजा थानाक्षेत्र के पृथ्वी नगर, बेहड़ करौदी व अन्य गांवों में ऐसा ही चल रहा है।इटौंजा क्षेत्र के गांवों विगत लंबे समय से वृक्षों की कटाई का सिलसिला निरंतर जारी है।
परंतु संबंधित विभाग इस विषय पर मौन है,आखिर क्यों? जबकि विभिन्न सामाजिक संस्थाओं द्वारा समय-समय पर पौधरोपण आदि कार्यक्रमों का आयोजन कर सामाजिक जनचेतना को जगाने का प्रयास किया जाता है। परंतु समाज के लोग उस चेतना को गर्त में डालने का प्रयास कर रहें है। आज के समय में वृक्षों को काटने का कारण है, कि मौसम में आए दिन बदलाव आ रहे हैं।
मौसम में परिवर्तन होने से जहां आम जनमानस हलाकान परेशान है वहीं प्राकृतिक संतुलन भी गड़बड़ा जाता है। स्थानीय नागरिकों को वन विभाग के आलाधिकारियों अधिकारियों से अपेक्षा है कि इन वृक्षों को काटने वालों पर कड़ी कार्रवाई करें। जिससे आगामी समय में होने वाली परेशानियों से बचा जा सके।
रक्षक से भक्षक बने रेंजर के संरक्षण में हो रही है हरे पेड़ों की अवैध कटान
पर्यावरण संरक्षण को लेकर सरकार प्रतिवर्ष करोड़ों खर्चकर लोगों को जागरूक कर रही है।वहीं हाईकोर्ट से लेकर शासन स्तर तक हरे पेड़ न काटने के लिए सख्त दिशा निर्देश जारी है। जबकि वन विभाग की परमिशन के बिना हरे पेड़ों की कटान कोई भी आम जनमानस में नहीं कर सकता है।
जब तक उस पेड़ को वन विभाग के द्वारा काटने का परमिट नहीं बनाया जाता है। लेकिन राजधानी के बीकेटी वनरेंज में वन विभाग के रेंजर एवं वन दरोगा और फॉरेस्ट गार्ड अवैध कटान कराकर अपनी जेब भरने के लिए हरे पेड़ों की कटान को नजर अंदाज कर दे रहे हैं।
ग्रामीणों के मुताबिक बीकेटी रेंज के रेंजर अनुज प्रताप सिंह को कई बार सूचना देने के बाद भी हरे पेड़ों की कटान पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। पिछले एक महीने में बीकेटी रेंज के अंतर्गत लगभग सैकड़ों हरे पेड़ों की कटान हो चुकी है। वन विभाग की तरफ से कोई कार्रवाई ना किया जाना वन विभाग के ऊपर संदेह पैदा करता है।
आखिर क्यों वन विभाग इतना लाचार हैं? क्या वनकर्मी द्वारा सुविधाशुल्क लेकर इनकी कटान करवाई जा रही है। आखिरकार कब तक चलती रहेगी हरे पेड़ों की कटान? वन विभाग के अधिकारी कब तक सोते रहेंगे?
इनका कहना है
मामला संज्ञान में आया है, जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी।
शीतांशु पांडेय, डीएफओ, लखनऊ
