लखनऊ: सपा के पोस्टर एवं होर्डिंग में बाबासाहेब के अपमान पर भड़की भाजपा, प्रदेशव्यापी प्रदर्शन…

लखनऊ। सपा के पोस्टर एवं होर्डिंग में बाबासाहेब डॉ.भीमराव अम्बेडकर के चित्र से आधा चेहरा हटाकर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का चेहरा जोड़ने से आक्रोशित भाजपा कार्यकर्ताओं ने बुधवार को प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन किया। राजधानी में अटल चौक स्थित बाबासाहेब प्रतिमा के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में राज्य मंत्री विजय लक्ष्मी गौतम, प्रदेश महामंत्री गोविंद नारायण शुक्ला, राज्यसभा सांसद बृजलाल, एमएलसी डॉ.लालजी निर्मल, मुकेश शर्मा, लखनऊ महानगर अध्यक्ष आनंद द्विवेदी एवं जिलाध्यक्ष विजय मौर्या उपस्थित रहे। सभी जिला मुख्यालयों पर कार्यकर्ताओ ने अनुसूचित मोर्चा के नेतृत्व में बाबासाहेब प्रतिमा के समक्ष विरोध प्रदर्शन कर सपा मुखिया अखिलेश यादव द्वारा किए गए बाबा साहब के अपमान के विरोध में प्रदर्शन किया।
प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने कहा कि बाबासाहेब ने शिक्षा, समानता और संवैधानिक मूल्यों के लिए जीवनभर संघर्ष किया। जीवन में सिर्फ परिवारवाद की राजनीति करने वाले सपा प्रमुख अखिलेश यादव बाबासाहेब के बराबर खड़े होने का दुस्साहस कर रहे हैं। सपा की होर्डिंगों और पोस्टरों में बाबासाहेब की आधी तस्वीर काटकर उसमें अखिलेश यादव का चित्र जोड़ना बाबा साहब का अपमान है।
क्या सपा और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को यह नहीं पता कि संविधान शिल्पी बाबासाहेब न किसी जाति के थे, न किसी पार्टी के? वे विचारधारा थे। सपा प्रमुख अखिलेश यादव को उनके समक्ष प्रस्तुत करना सीधे तौर पर दलितों, वंचितों के संघर्ष का अपमान है। बाबा साहब का पूरा जीवन समाजिक न्याय और अधिकारों की लड़ाई में बीता जबकि अखिलेश यादव का पूरी राजनीति अपने पिता द्वारा दी गई कुर्सी बचाने में लगी रही। परिवारवाद का सबसे बडे़ उदाहरण सपा ने क्या कभी किसी दलित नेता को मुख्यमंत्री बनाया? क्या किसी को समाजवादी पार्टी ने संगठन का शीर्ष नेतृत्व सौंपा?
राज्य मंत्री विजय लक्ष्मी गौतम ने कहा कि सपा का इतिहास दलितों के विश्वासघात से भरा है। अब बाबा साहब की छवि से दलितों को छलने की कोशिश हो रही है। यह राजनीतिक धोखाधड़ी है। सपा की राजनीति मुस्लिम तुष्टीकरण, जातीय ध्रुवीकरण पर आधारित रही है, ये जनता समझ चुकी है। उन्होंने कहा कि बाबा साहब का अपमान करने वालों को जनता कभी भी माफ नहीं करेगी। अनुसूचित मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष रामचन्द्र कनौजिया ने कहा कि दलितों की राजनीति करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अब सिर्फ प्रतीकों की शरण में है क्योंकि उनके पास न नीति है, न नीयत।
पोस्टर और भाषणों से ना तो दलितों का भला होता है और न ही इतिहास बदला जा सकता है। राज्यसभा सांसद बृजलाल ने कहा कि दलित समाज जानता है कि अखिलेश यादव को सिर्फ दो चीजों की चिंता है। मुस्लिम वोट बैंक और अपने परिवार की विरासत। यही वजह है कि वे कभी भी किसी दलित को अपनी सत्ता और संगठन में शीर्ष पद नहीं देते। डॉ.लालजी निर्मल ने कहा कि सपा प्रमुख को बाबासाहेब का अपमान करने वाले इस शर्मनाक प्रयास के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।
