Home > राज्य > उत्तरप्रदेश > लखनऊ > जो देश अपनी भाषा खो देता है, वह अपना मौलिक चिंतन भी खो देता है

जो देश अपनी भाषा खो देता है, वह अपना मौलिक चिंतन भी खो देता है

वाराणसी में 'अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन' को संबोधित किया

जो देश अपनी भाषा खो देता है, वह अपना मौलिक चिंतन भी खो देता है
X

नईदिल्ली। "जो देश अपनी भाषा खो देता है, वह अपनी सभ्यता, संस्कृति और अपने मौलिक चिंतन को भी खो देता है। जो देश अपने मौलिक चिंतन को खो देते हैं, वे दुनिया को आगे बढ़ाने में योगदान नहीं कर सकते हैं।" केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को वाराणसी में दो दिवसीय अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन का उद्घाटन करते उक्त बातें कहीं।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पहले हिंदी भाषा के लिये बहुत सारे विवाद खड़े करने का प्रयास किया गया था, लेकिन वह वक्त अब समाप्त हो गया है। देश के प्रधानमंत्री ने गौरव के साथ हमारी भाषाओं को दुनिया भर में प्रतिस्थापित करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि देश की नई शिक्षा नीति का एक प्रमुख बिंदू भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के साथ राजभाषा का संरक्षण एवं संवर्धन करना भी है। नई शिक्षा नीति में राजभाषा और मातृभाषा पर बल दिया गया है। प्रधानमंत्री ने यह जो नया परिवर्तन किया है, वह भारत के भविष्य को परिवर्तित करने वाला होगा।

गृह मंत्री शाह ने कहा कि दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली लिपिबद्ध भाषाएं भारत में हैं। उन्हें हमें आगे बढ़ाना है। भाषा जितनी सशक्त और समृद्ध होगी, उतनी ही संस्कृति एवं सभ्यता विस्तृत और सशक्त होगी। अपनी भाषा से लगाव और अपनी भाषा के उपयोग में कभी भी शर्म मत कीजिए। यह गौरव का विषय है। आजादी के अमृत महोत्सव की चर्चा करते हुये केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मैं देश के सभी लोगों का आह्वान करना चाहता हूं कि स्वभाषा के लिए हमारा एक लक्ष्य जो छूट गया था, हम उसका स्मरण करें और उसे अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। उन्होंने कहा कि हिंदी और हमारी सभी स्थानीय भाषाओं के बीच कोई अंतरविरोध नहीं है।

वे अपने दो दिवसीय वाराणसी दौरे के अन्तिम दिन शनिवार को बड़ालालपुर स्थित पं. दीनदयाल हस्तकला संकुल (ट्रेड फैसिलिटी सेंटर) में भारतीय राजभाषा सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में अपनी बात रख रहे थे। तीन-तीन सत्रों में चलने वाले सम्मेलन में हिंदी के प्रगामी प्रयोग को बढ़ाने के विषय में विचार-मंथन हो रहा है। पहले सत्र में स्वतंत्रता संग्राम और स्वतंत्र भारत में संपर्क भाषा एवं जनभाषा के रूप में हिंदी की भूमिका तथा दूसरा सत्र राजभाषा के रूप में हिंदी की विकास यात्रा और योगदान विषय पर आयोजित किया जा रहा है।


Updated : 15 Nov 2021 8:14 AM GMT
Tags:    
author-thhumb

स्वदेश डेस्क

वेब डेस्क


Next Story
Top