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यूपी में 1.25 लाख स्मार्ट फोन खरीदने में गड़बड़ी का आरोप, राज्य मंत्री स्वाति सिंह और अफसर भिड़े

दोनों के बीच का यह विवाद अब मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच गया है। कमीशन के हिस्से और आपसी अदावत ने बच्चों का कुपोषण दूर करने के लिए शुरू होने वाले अभियान को बट्टा लगा दिया है।

यूपी में 1.25 लाख स्मार्ट फोन खरीदने में गड़बड़ी का आरोप, राज्य मंत्री स्वाति सिंह और अफसर भिड़े
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लखनऊ (अतुल कुमार सिंह): उत्तर प्रदेश की महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार स्वाति सिंह और प्रमुख सचिव वी. हेकाली झिमोमी के बीच 1.25 लाख स्मार्ट फोन के टेंडर प्रक्रिया को लेकर विवाद शुरू हो गया है। दोनों के बीच का यह विवाद अब मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच गया है। कमीशन के हिस्से और आपसी अदावत ने बच्चों का कुपोषण दूर करने के लिए शुरू होने वाले अभियान को बट्टा लगा दिया है।

मामला पोषण मिशन के तहत राज्य में खरीदे जा रहे 1.25 लाख स्मार्ट फोन के टेंडर से जुड़ा हुआ है। यह फोन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दिए जाने हैं। इसका टेंडर जारी किया गया था। इस टेंडर प्रक्रिया से मोबाइल बनाने वाली कंपनी लावा बाहर हो गई थी। जिसके बाद कंपनी ने पूरी प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े करते हुए इसकी शिकायत राज्य मंत्री स्वाती सिंह से कर दी। स्वाती सिंह ने इसी शिकायत के आधार पर पूरे टेंडर प्रक्रिया को निरस्त करने करने के लिए प्रमुख सचिव वी. हेकाली झिमोमी को आदेशित किया। प्रमुख सचिव ने टेंडर निरस्त करने से साफ इंकार कर दिया। प्रमुख सचिव ने मंत्री से साफ कह दिया कि टेंडर प्रक्रिया में कहीं से कोई गड़बड़ी नहीं है। इसलिए इसे निरस्त नहीं किया जाएगा।

सीएमओ ने मांगी रिपोर्ट, पीएमओ तक शिकायत : प्रमुख सचिव की ओर से टेंडर निरस्त न करने पर राज्य मंत्री ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से कर दी। मुख्यमंत्री कार्यालय ने मामले में निदेशक राज्य पोषण मिशन कपिल सिंह से रिपोर्ट मांगी थी। निदेशक ने भी शासन को रिपोर्ट भेज दी है कि टेंडर प्रक्रिया में कोई अनियमितता नहीं बरती गई है। मंत्री द्वारा उठाए गए बिंदु निराधार हैं।

फाइनेंशियल बिड भी खोल दी गई : सूत्रों के मुताबिक, टेक्निकल बिड के बाद अब फाइनेंशियल बिड भी खोल दी गई है। हालांकि, राज्य मंत्री के दबाव में अभी तक किसी कंपनी को टेंडर आमंत्रित नहीं किया जा सका है। प्रमुख सचिव वी. हेकाली झिमोमी का कहना है कोई भी प्रक्रिया नियम विरुद्ध नहीं हैं।

राज्य मंत्री और प्रमुख सचिव आमने-सामने : स्मार्ट फोन खरीद के टेंडर को लेकर विभाग की राज्य मंत्री स्वाति सिंह और प्रमुख सचिव वी. हेकाली झिमोमी आमने सामने आ गई हैं। यह स्मार्टफोन पोषण मिशन के तहत आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के लिए खरीदे जाने हैं। टेंडर में अनियमितता की शिकायत को लेकर विभागीय मंत्री और प्रमुख सचिव आमने-सामने आ गए हैं। टेंडर से बाहर हुई कंपनी की शिकायत पर मंत्री ने टेंडर रुकवाने के लिए पत्र लिखा था। शासन से टेंडर निरस्त न करके फाइनेंशियल बिड खोलने से मंत्री बेहद नाराज हैं। पहले चरण में 51 जिलों में सवा लाख स्मार्टफोन दिए जाने हैं।

नीति आयोग और पीएमओ में भी की शिकायत : प्रमुख सचिव वी. हेकाली झिमोमी के बारे में चर्चा है कि वह बेहद ईमानदार अधिकारी हैं। यह भिड़ंत और खेला इसीलिए हो रहा है। इससे उत्तर प्रदेश में कुपोषण को खत्म करने के अभियान को झटका लग चुका है। आरोप है कि कमीशन का हिस्सा न दिए जाने को लेकर तकरार बनी हुई है। सरकार से करोड़ों रुपये का बजट स्वीकृत होने के बाद भी अधिकारी उसको दबाए बैठे हैं। इससे पहले भी स्मार्ट फोन, आधार किट, जीएमडी, प्री स्कूल किट की खरीदारी नहीं हो सकी और बजट खजाने में ही पड़ा रहा।

स्वीकृत बजट के खर्च की अधिकारियों ने नहीं दी अनुमति : केंद्र और राज्य सरकार की सहभागिता से कुपोषण दूर करने के लिए बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार (आईसीडीएस) और राष्ट्रीय पोषण मिशन निदेशालय के माध्यम से कई कार्यक्रमों का संचालन हो रहा है। हर वित्तीय वर्ष में सरकार के स्तर से बजट का भी प्रावधान होता रहा है। बीते दो वित्तीय वर्ष से इन कार्यक्रमों के लिए स्वीकृत बजट को शासन के अधिकारियों ने खर्च करने की अनुमति ही नहीं दी है। कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के लिए उपकरण और संसाधनों की खरीद न हो पाने से बजट खाते में ही पड़ा रह गया है। इस तरह विभाग के अधिकारियों ने कुपोषण खत्म करने के अभियान को बट्टा लगाया।

शुरू तक नहीं हो सका शबरी संकल्प अभियान

मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश की सत्ता संभालते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अति कुपोषित बच्चों की सेहत सुधारने के लिए शबरी संकल्प अभियान की घोषणा की थी। योगी सरकार ने इसे अति महत्वाकांक्षी श्रेणी में रखते हुए पहली कैबिनेट में ही 200 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया था। शासन में बैठे अधिकारियों ने अभियान शुरू करने की अनुमति ही नहीं दी। बीते तीन साल सरकार की घोषणा फाइलों में दबी रही और स्वीकृत बजट भी बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के खाते में ही पड़ा रहा। मुख्यमंत्री की प्राथमिकता वाले अभियान भी मंत्री और अधिकारियों की अदावत में दम तोड़ रहे हैं।

Updated : 27 May 2021 12:38 PM GMT
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Swadesh Lucknow

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