Home > राज्य > उत्तरप्रदेश > अयोध्या > राममंदिर निर्माण का 50 फीसदी कार्य पूरा, मकर संक्रांति से ढाई लाख श्रद्धालु हर रोज कर सकेंगे दर्शन

राममंदिर निर्माण का 50 फीसदी कार्य पूरा, मकर संक्रांति से ढाई लाख श्रद्धालु हर रोज कर सकेंगे दर्शन

राममंदिर निर्माण का 50 फीसदी कार्य पूरा, मकर संक्रांति से ढाई लाख श्रद्धालु हर रोज कर सकेंगे दर्शन
X

अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण का कार्य युद्धस्तर पर जारी है। निर्माण कार्यों का अवलोकन दीपोत्सव के शुभारंभ के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था। श्रद्धालु मकर संक्रांति 2024 से रामलला के दर्शन जन्मभूमि मंदिर के गर्भगृह से कर सकेंगे। इस तरह की व्यवस्था बनाई जा रही है कि हर दिन लगभग ढाई लाख श्रद्धालु 10 घंटे में दर्शन कर सकें। मंदिर निर्माण का 50 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। यह बातें श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्र ने कही हैं।

ट्रस्ट ने मंगलवार को श्रीराम मंदिर के निर्माण कार्यों से अवगत कराने के लिए मीडियाकर्मियों को आमंत्रित किया था। इस अवसर पर डॉ. अनिल मिश्र के साथ ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय एवं मंदिर निर्माण से जुड़े इंजीनियर भी उपस्थित रहे। डॉ. मिश्र ने पत्रकारों को बताया कि मंदिर का परकोटा मंदिर की चौड़ाई से 27 मीटर दूरी पर 14 मीटर का होगा। इसमें रामलला के अलावा मंदिर के चारों कोनों पर चार मंदिर होंगे, जिसमें गणेश, शिव, दुर्गा, विष्णु भगवान का मंदिर होगा। सीता रसोइ में अन्नपूर्णा एवं दूसरी तरफ हनुमान जी का मंदिर भी होगा। उन्होंने बताया कि दीपोत्सव के मौके पर प्रधानमंत्री ने मंदिर निर्माण कार्य का अवलोकन कर कुछ सुझाव भी दिए। प्रधानमंत्री ने मंदिर में श्रद्धालुओं के एंट्री प्वाइंट और एग्जिट के बारे में कुछ सुझाव दिए हैं। इसके मद्देनजर पहले परकोटे से एंट्री दी जाएगी, फिर दर्शन के बाद उत्तर दिशा से होते हुए परकोटे से ही साउथ ईस्ट से बाहर निकलेंगे।

डॉ. मिश्र ने बताया कि राम मंदिर निर्माण का 50 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। श्रद्धालुओं के लिए मंदिर का प्रमुख प्रवेश द्वार ''सिंह द्वार'' होगा। 02.77 एकड़ के मंदिर क्षेत्र में ग्रेनाइड पत्थरों का इस्तेमाल हो रहा। दिसंबर 2023 तक गर्भगृह का कार्य पूरा हो जाएगा और 2024 जनवरी तक मंदिर में रामलला विराजमान होंगे। राम मंदिर में 392 स्तम्भ होंगे और कुल 12 द्वार का निर्माण होगा। भूकंप रोधी मंदिर में सागौन की लकड़ी के द्वार होंगे। मंदिर में सरिया का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं हो रहा है। तांबे की पत्तियों से पत्थरों को जोड़ने का कार्य हो रहा है।

Updated : 25 Oct 2022 11:16 AM GMT
Tags:    
author-thhumb

स्वदेश डेस्क

वेब डेस्क


Next Story
Top