खून की मंडी: अयोध्या ब्लड बैंक बना दलालों का अड्डा!, दलाल बोले हम दिला देंगे ब्लड... बस 7 हजार देने होंगे…

समीर शाही, अयोध्या। रामनगरी अयोध्या का जिला अस्पताल अब सेवा नहीं, दलाली का केंद्र बनता जा रहा है। यहां इंसानियत का खून सूख गया है और सिस्टम की नब्ज़ ठंडी पड़ी है। जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में “ब्लड डोनर” के नाम पर खुलेआम लूट हो रही है, और जिम्मेदार अधिकारी या तो आंखें मूंदे हैं या हर बार की तरह “जांच” की चादर ओढ़कर सो रहे हैं।
ताजा मामला रुदौली के अरविंद कुमार का है, जिनकी भाभी को सीएचसी मवई से जिला महिला अस्पताल रेफर किया गया था। डॉक्टर ने एक यूनिट ब्लड की ज़रूरत बताई, लेकिन जब अरविंद जिला अस्पताल के ब्लड बैंक पहुंचे, तो डोनर न होने का हवाला देकर उन्हें खून देने से मना कर दिया गया।
खेल वहीं शुरू हुआ जहां सिस्टम खत्म होता है
जैसे ही अरविंद ब्लड बैंक से बाहर निकले, वहां दो-तीन लड़कों ने उन्हें घेर लिया। कहा, “हम दिला देंगे ब्लड... बस 7 हजार देने होंगे।” मजबूरी थी, भाभी की जान का सवाल था अरविंद ने दिए... पूरे सात हज़ार रुपए, वो भी ऑनलाइन!
ये वही अयोध्या है जहां हर गली में रामराज की बात होती है, लेकिन अस्पताल के बाहर खून का सौदा हो रहा है। न रसीद, न रजिस्टर, न पहचान बस पीड़ित की बेबसी और दलालों का डिजिटल धंधा।
शिकायत सीएमएस और सीएमओ तक पहुंची। सीएमओ डॉ सुनील कुमार बनियान ने बताया कि मामला संज्ञान में आ चुका है, आरोपी की पहचान कर ली गई है और जल्द कार्रवाई होगी।लेकिन सवाल ये है ये पहला मामला नहीं है। और ये भी साफ है कि ये कोई अकेले लड़कों की हरकत नहीं, बल्कि एक संगठित रैकेट का हिस्सा है जो ब्लड बैंक के इर्द-गिर्द सक्रिय है।
स्वदेश का सवाल
- ब्लड बैंक के बाहर घूम रहे ये “डोनर दलाल” आखिर कौन हैं?
- क्या इनका कोई अंदरूनी संरक्षण है?
- अगर हर बार “जांच” होती है, तो हर बार ये धंधा कैसे चलता है?
स्वदेश पूछता है – क्या अयोध्या के सिस्टम में सचमुच कोई “खून” बचा है? जवाब जांच से नहीं, कार्रवाई से चाहिए। वरना कल किसी और की मजबूरी फिर किसी नए दलाल की कमाई बन जाएगी।
