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पुरानी नींव पर नव निर्माण करती 'युवा शक्ति'

—गोविंद जी

पुरानी नींव पर नव निर्माण करती युवा शक्ति
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युवा शक्ति देश और समाज की रीढ़ होती है। युवा देश और समाज को नए शिखर पर ले जाते हैं। युवा देश का वर्तमान हैं, तो भूतकाल और भविष्य के सेतु भी हैं। युवा देश और समाज के जीवन मूल्यों के प्रतीक हैं। किसी भी युग में जब भी बड़ा परिवर्तन हुआ है, तो उसमें बड़ी भूमिका युवाओं की रही है। ऐसा भी कह सकते हैं कि हर युग के परिवर्तन में युवाओं का उल्लेख बहुत आवश्यक है। चाहे वह सतयुग में राजा हरिश्चंद्र का युग हो, त्रेता में मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम का,द्वापर में योगीराज श्रीकृष्ण और कलयुग में भगवान बुद्ध व शंकराचार्य का। इनके अतिरिक्त भी कई क्षेत्रों में इतिहास बनाने वाले युवा ही होते हैं। युवा शब्द के अक्षरों को जब उल्टा पढ़ते हैं, तो वायु होता है। अर्थात वायु की तरह जिसकी गति हो, सोच हो, कार्य करने की क्षमता हो, वह युवा है और चट्टान को तोड़ने की ताकत, हर संघर्ष को जीतने का उत्साह, कोई भी चुनौती स्वीकार करने की शक्ति युवाओं में होती है।

विश्व में सर्वाधिक युवाओं का देश-भारत

जब युवा समस्त परिस्थितियों को समझ कर किसी श्रेष्ठ कार्य, 'राष्ट्रहित' के लिए खड़ा होता है, तो सारी सृष्टि उसके साथ खड़ी दिखाई देती है। भारत दुनिया के सभी देशों में सर्वाधिक युवाओं वाला देश है। 2020 में भारत की औसत युवा आयु 29 से 30 वर्ष है। अर्थात भारत सबसे अधिक युवाओं वाला देश है। जो देश की बदलती हुई तस्वीर में रंग भरता हुआ हमको सर्वत्र दिखाई देता है। युवावस्था के सिद्धार्थ ने जब संकल्प लिया तो वह दुनिया को करुणा, दया और सत्य का मार्ग बताकर भगवान बुद्ध हो गए। 29 वर्ष की अवस्था में वह राज दरबार से चले गए। आदि शंकराचार्य मात्र 16 वर्ष में की अवस्था में ज्ञान की गंगा प्रवाह कर गए। स्वामी दयानंद युवावस्था में संकल्प लेकर 'कृण्वंतोविश्वमार्यम्' करने चले। स्वामी विवेकानंद जी ने 39 वर्ष की अवस्था में विश्व को भारतीय संस्कृति से परिचित कराया। युवा सन्यासी के कालजयी विचारों का सामथ्र्य ही है कि देशवासी उनकी जयंती युवा दिवस के रूप में मनाते हैं। 23 वर्ष में ही भगत सिंह और उनके क्रांतिकारी साथियों ने देश को युवा शक्ति के साहस का अनुमान ब्रिटिश सरकार को करवाया था।

भारत की ताकत को युवाओं ने किया जाग्रत

वीर सावरकर, चंद्रशेखर आजाद, मदनलाल ढींगरा, रामप्रसाद बिस्मिल, सुभाष चंद्र बोस आदि युवा क्रांतिकारियों ने भारत की छिपी युवा ताकत को जाग्रत किया है और देश के लिए अपने जीवन को आहुत किया है। चाणक्य ने भी अखंड भारत के सपने को पूरा करने के लिए चंद्रगुप्त की युवा ताकत का सदुपयोग किया। क्योंकि उनको भी यह लगता था कि बिना युवा ताकत के यह सपना सिर्फ सपना ही रह जायेगा। गणित के चमत्कारी सूत्र बताने वाले श्री रामानुजम, पौधों में जीवन और रेडियो विज्ञान के संस्थापक डॉ. जगदीशचंद्र बसु, प्रकाश की मूल इकाई बोसोन में जिसकी यादें है ऐसे डॉ. सत्येंद्र नाथबोस, इन सब की खोज युवा मस्तिष्क की खोज है।

अन्याय का अंधेरा मिटाना है

एक युवा निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की फिल्म 'बुद्ध इन ए ट्रेफिक जाम' परिवर्तन सोच के प्रदर्शित करती है। मराठी फिल्म 'कोर्ट' के युवा निर्देशक चैतन्य तन्हाणे बहुत चर्चा में रहे हैं, इस फिल्म में ऑस्कर के लिए भी नामित किया गया है। अन्याय का अंधेरा मिटाना है ऐसा सोच कर छत्तीसगढ़ के नक्सली इलाकों में उनके अधिकार के लिए ईशा खंडेलवाल, गुरमीत कौर, परिजात भारद्वाज, अरुणिमा सिन्हा, विशाल सिक्का, सुपर थर्टी के संस्थापक आनंद कुमार, धाविका हेमा दास युवा सोच के उदाहरण हैं।

युवा उत्तर है, प्रश्न नहीं

आज राजनीति के क्षेत्र में भी विश्व के सबसे बड़े विद्यार्थी संगठन का नेतृत्व 36 वर्षीय आशीष चैहान कर रहे हैं। देश के सबसे बड़े राज्य उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ देश के चहेते और युवाओं को आकर्षित करने वाले मुख्यमंत्री हैं। भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या बेंगलुरु से सांसद भी हैं और 30 वर्ष की अवस्था में युवा विंग का नेतृत्व कर रहे हैं।

हवाओं के रूख को मोड़ देता है युवा

लोग युवाओं को देखते हैं तो एक अलग प्रकार का जोश जाग्रत होता है। हाथों की बैसाखी भी छूट जाती है। एक अलग उत्साह की तरंग चारों ओर होती है। क्योंकि युवा उत्तर है, प्रश्न नहीं। युवा शक्ति है, निराशा नहीं। युवा समाधान है, समस्या नहीं। युवा बहता है, रुकता नहीं। युवा निर्णय है, संशय नहीं। युवा हवाओं के रुख को मोड़ देता है। युवा चट्टानों को तोड़ देता है। युवा धाराओं को बदल देता है। 'आंधियों से कह दो कि वे औकात में रहे, हमने पंख से नहीं हौसलों से उडना सीखा है। अतएव बड़े बुजुर्ग नीति निर्धारक बनकर युवाओं को उचित मार्गदर्शन देंगे, तो निश्चित ही युवा भारत में नए रंग भरने में संपूर्ण दुनिया का नेतृत्व करेगा। दसों दिशाओं में जाएं, दल बादल से छा जाएं। उमड़ घुमड़ कर इससे पृथ्वी पर नंदनवन सा सरसाये।


-लेखक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मथुरा के विभाग प्रचारक हैं।

Updated : 24 Nov 2020 1:30 PM GMT
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स्वदेश आगरा

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