24 घंटों के लिए खुले भगवान नागचन्द्रेश्वर के कपाट, साल में एक दिन होते है दुर्लभ प्रतिमा के दर्शन

उज्जैन। महाकालेश्वर मंदिर के शीर्ष शिखर पर स्थित नागचन्द्रेश्वर भगवान के साल में एक बार खुलनेे वाले पट सोमवार की रात्रि 12 बजे खुले। कोरोना काल के दो साल बाद भक्तों को भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन हुए। मन्दिर के पट मंगलवार की रात्रि 12 बजे बन्द होंगे। इस दौरान भगवान नागचंद्रेश्वर महादेव के लगातार 24 घंटे लाखों श्रद्धालु दर्शन करेंगे। इसे देखते हुए प्रशासन ने व्यापक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की हैं।
महाकालेश्वर भगवान के मंदिर के शीर्ष पर स्थित नागचन्द्रेश्वर भगवान के पट खुलने के पश्चात पंचायती महानिर्वाणी अखाडे के महंत विनीत गिरी एवं मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ द्वारा प्रथम पूजन व अभिषेक किया गया। नागचन्द्रेश्वर भगवान की प्रतिमा के पूजन के पश्चात वहीं गर्भगृह स्थित शिवलिंग का भी पूजन किया गया।
नागपंचमी पर्व पर लाखों श्रद्धालु लेंगे दर्शन-लाभ -
नागपंचमी पर्व पर आज (मंगलवार को) महाकालेश्वर मन्दिर परिसर में महाकाल मन्दिर के शीर्ष शिखर पर स्थित नागचंद्रेश्वर भगवान के पूजन-अर्चन के लिये लाखों श्रद्धालु उज्जैन पहुंचेंगे। भक्तों को पहली बार फुटओवर ब्रिज के रास्ते नागचंद्रेश्वर मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा। हिंदू धर्म में सदियों से नागों की पूजा करने की परंपरा रही है। हिंदू परंपरा में नागों को भगवान का आभूषण भी माना गया है। भारत में नागों के अनेक मंदिर स्थित हैं, इन्हीं में से एक मंदिर है उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर का, जो की उज्जैन के प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर के शीर्ष शिखर पर स्थित है।
अद्भुत प्रतिमा -
नागचंद्रेश्वर मंदिर में 11 वीं शताब्दी की एक अद्भुत प्रतिमा है। प्रतिमा में फन फैलाए नाग के आसन पर शिव-पार्वती बैठे हैं। माना जाता है कि पूरी दुनिया में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें भगवान विष्णु की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शय्या पर विराजमान हैं। मंदिर में स्थापित प्राचीन मूर्ति में श्री शिवजी, माँ पार्वती श्रीगणेश जी के साथ सप्तमुखी सर्प शय्या पर विराजित हैं साथ में दोनों के वाहन नंदी एवं सिंह भी विराजित है। शिवशंभु के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं। कहते हैं यह प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी। उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है।
