कच्चे तेल को लेकर दुनिया त्रस्त, लेकिन भारत मस्त: भारत संकट से सुरक्षित, क्या भारत के ये फैसले दुनिया के लिए मिसाल?

भारत संकट से सुरक्षित, क्या भारत के ये फैसले दुनिया के लिए मिसाल?
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नई दिल्‍ली: बहुत से लोगों को भ्रम है के ईरान-भारत के शीर्ष नेतृत्व में गहरे रिश्ते हैं जबकि ऐसा हरगिज भी नहीं है ईरान का शीर्ष नेतृत्व आज तक कभी भी भारत के साथ सीधे संपर्क में नहीं रहा। आयतुल्ला खुमैनी हो या आयतुल्ला खामनई हो इन दोनों के भारत से सौहार्द पूर्वक संबंध नहीं रहे।

1979 के बाद वाले इस्लामिक ईरान में सिर्फ एक रफसानजानी ही ऐसा राष्ट्रपति होता था जो भारत के साथ संबंधों के पक्ष में था, अन्यथा ईरान सरकार में कभी भी भारत हितैषी नेता नहीं रहा। हमारे आपसी संबंध केवल मजबूरी के हैं वो भी तब जब ईरान पर दुनिया भर से सैंक्शन लगे, ईरान अनाज/भोजन और तेल के खरीददार ग्राहकों को तरसने लगा तो भारत को तेल बेचना उसकी मजबूरी था।

वहीं दूसरी तरफ रूस, चीन और पाकिस्तान के आर्मी चीफ के साथ आयतुल्ला खामनई के रिश्तों को देखो, किस गर्मजोशी से ईरानी आयतुल्ला इनसे मिलता है और मौजूदा स्थिति में ये साफ़ है कि अगर विश्व युद्ध होता है तो इन देशों का रूख किस तरफ़ होगा।

ईरान जो सऊदी, दुबई से भी अमीर है और जिसके पास तेल/गैस के भंडार खाड़ी देशों से जरा भी कम नहीं है लेकिन आख़िर क्यों फिर भी ईरान के लोग गरीबी और पिछड़ी आर्थिक हालात के शिकार हैं ? इसलिए क्योंकि ईरान में मुल्ला खामनाई के रेजीम में दुनिया भर के प्रॉक्सी/आतंकियों का खर्चा ईरान उठाता है। तेल/गैस से कमाया पैसा देश और जनता पर नहीं आतंकवाद पर खर्च करता है ईरान। यानि ईरान सरकार अपनी आमदनी का 80% हिस्सा दुनिया भर के इस्लामिक आतंकवाद पर खर्च कर देती है।

जबकि शाह ईरान के समय तेल/गैस का पैसा देश और जनता पर लगता था और जनता वहाँ की शरीयत से नहीं बल्कि मानवता के लिए जीती थी इसीलिए तब ईरान के रिश्ते इसराइल और पश्चिम के देशों से अच्छे थे।

लेकिन इस मौजूदा युद्ध की स्थिति में ईरान ने एक बार फिर चालाकी दिखाते हुए दुनिया की नब्ज पर हाथ रख दिया है। ईरान में होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद कर दिया गया है। लेकिन इस स्थिति में भी भारत अपनी कूटनीति से इस परेशानी और ईरान के जाल। से बाहर है। होर्मुज ही वो रास्ता है जिससे दुनिया का तेल गुजरता है।इस रास्ते के बंद होने से अब पूरी दुनिया खौफ में है, लेकिन भारत ने इस स्थिति के लिए पहले से तैयारी कर ली थी।

आइए जानते है यूरोप कैसे तेल के लिए मछली की तरह तड़पेगा और भारत की तैयारी क्या है?

होर्मुज जलडमरूमध्य एक बहुत ही संकुचित लेकिन सबसे अहम समुद्री रास्ता है, जहां से दुनिया का लगभग एक चौथाई तेल व्यापार होता है।ये रास्ता केवल 33 किलोमीटर चौड़ा है, लेकिन इसका कोई दूसरा विकल्प नहीं है। अगर यह बंद होता है, तो पूरी दुनिया की तेल आपूर्ति लड़खड़ा सकती है।यूरोप अमेरिका समेत ईरान के इस कदम के पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था डगमगा सकती है। खबर है कि ईरान यहाँ बारूद बिछाने जा रहा है।

ईरान ने एक और बड़ा कदम उठाते हुए बाब अल मंडेब नामक चोकपॉइंट को भी नियंत्रित कर लिया है। ये वह रास्ता है जिससे अफ्रीका से तेल आता है। लेकिन इस पर ईरान समर्थित हूथियों ने कब्जा कर लिया है। इसका मतलब है कि अब तेल की कीमतें तेजी से बढ़ेंगी और महंगाई पूरी दुनिया में आग की तरह फैल सकती है। अमेरिका तो सर्वाइव कर जाएगा क्योंकि उसके पास तेल भंडार है। लेकिन पूरे यूरोप का क्या होगा ये सबसे बड़ा सवाल बनता जा रहा है। अगर स्थिति ज्यादा बिगड़ती है, तो यह पूरी दुनिया के लिए आर्थिक आपदा बन सकती है। कई देश जहां पहले से ही आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं, उनके लिए यह एक झटका होगा।महंगाई, मंदी और अस्थिरता एक साथ आएगी मानों बड़ती हुई वैश्विक अर्थव्यवस्था की हत्या कर दी गई हो।

सवाल ये है कि क्या भारत इससे अछूता रह पाएगा। तो यहाँ यह जानना जरूरी है कि क्या भारत सरकार ने पहले ही इन खतरों को भांप लिया था। जब बाकी देश तेल के लिए लड़ाई में उलझे थे, तब भारत ने चुपचाप अपनी रणनीति बना ली थी। भारत रूस और अमेरिका से बड़ी मात्रा में तेल मंगवा रहा था , वो भी भारी छूट पर। रोज़ाना 2.2 मिलियन बैरल से भी ज्यादा क्रूड ऑयल भारत में आ रहा है, जो पिछले दो सालों का सबसे बड़ा आंकड़ा है।

यही नहीं रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर पश्चिमी देशों ने भारत पर दबाव डाला था कि वह रूस से तेल न खरीदे। लेकिन भारत ने इस दबाव को सिरे से खारिज कर दिया था और रूस से भारत ने सस्ते दामों पर भरी मात्र में तेल ख़रीदे थे। नतीजा यह है कि आज जब दुनिया परेशानी में है, भारत के पास तेल का भरपूर स्टॉक है और तेल का दाम भी काबू में हैं।इतना ही नहीं, भारत ने 40 अलग-अलग देशों से तेल आपूर्ति के विकल्प बनाए हैं।

इससे यह सुनिश्चित किया गया है कि कोई एक देश आपूर्ति रोक भी दे, तो भारत की ऊर्जा जरूरतें प्रभावित न हों। आज भारत न सिर्फ इस वैश्विक संकट से सुरक्षित है, बल्कि अपने फैसलों से दुनिया को रास्ता भी दिखा रहा है।

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