Sawan Kamika Ekadashi 2025: सावन के दूसरे सोमवार पर बन रहा एकादशी का दुलर्भ संयोग, जानिए इस दिन कैसे करें पूजा?

Sawan Kamika Ekadashi 2025: सावन के महीने में महादेव की अपने भक्तों पर विशेष कृपा होती है। जिसकी वजह से सभी भक्तों के द्वारा मंदिरों में जलाभिषेक किए जाने के लिए भीड़ लगी रहती है। इस महीने महादेव को प्रसन्न करने के लिए भक्त अपनी श्रृद्धा के आधार पर सोमवार का व्रत रखते हैं। जिसमें सावन के महीने में भक्तों के द्वारा पूरे विधि विधान से महादेव का अभिषेक किया जाता है। वहीं, इस बार एकादशी और सावन सोमवार का व्रत एक साथ 21 जुलाई को किया जाएगा, सालों में एक बार दुर्लभ संयोग बनता है।
सावन में बन रहा दुर्लभ संयोग
सावन में इस बार सोमवार को बहुत दुर्लभ संयोग बन रहा है, जिसमें सावन में पहली बार दूसरा सोमवार और वही चातुर्मास की दूसरी एकादशी समान दिन पर आ रही है। आपको बता दें की ऐसा संयोग सालों में एक बार बनता है। जैसे की हम सभी को पता है कि एकादशी भगवान श्रीकृष्ण को अति प्रिय है। इस दिन श्रीकृष्ण से प्रेम करने वाले भक्तों के द्वारा एकादशी का व्रत रखा जाता है। वहीं सावन के सोमवार महादेव के प्रिय है, जिस दिन महादेव को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखा जाता है।
संयुक्त व्रत को लेकर भक्तों की असमंजसता
एकादशी को शास्त्रों में लिखा हुआ है कि इस दिन अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। वहीं सावन के सोमवार के दिन कई भक्तों के द्वारा फलाहारी व्रत रखा जाता है। इसमें कई भक्तों के द्वारा एक समय अन्न ग्रहण करके व्रत का पालन करते हैं। लेकिन इस बार दुर्लभ संयोग की वजह से भक्त इन दोनों व्रत को लेकर असमंजस में पड़ गए है। ऐसा इसलिए क्योंकि दोनों व्रत में से कौन से व्रत को विशेष महत्व दें। कई लोग सावन के सोमवार में एक समय अन्न ग्रहण करके अपना व्रत खोलते है। जिस वजह से उन्हें समस्या आ रही है। क्योंकि अगर वो सोमवार के व्रत को फलाहारी करते हैं, तो उनको आगे के सोमवार भी फलाहारी करने पड़ेगें। वहीं एकादशी में अन्न ग्रहण पर सख्त मनाही होती है।
संयुक्त व्रत की पूजा विधि
सावन के सोमवार में ऐसा जरूरी नहीं कि आप सावन का एक व्रत फलाहारी करने शेष बचे सोमवार व्रत फलाहारी ही करें। बल्कि आप एकादशी का व्रत करने के बाद भी अपने सोमवार के व्रत को फिर से एक समय अन्न ग्रहण करके रख सकते हैं।वहीं इन दोनों व्रत में आप इस दिन विशेष पालन एकादशी करें और अन्न ग्रहण ना करें। वहीं, शिवलिंग का जलाभिषेक और श्रीकृष्ण की पूजा को साथ में कर सकते हैं। वैसे भी स्वंय महादेव के आराध्य श्रीकृष्ण है, जिसकी वजह से इस दिन महादेव और श्रीकृष्ण की कृपा भक्तों को साथ में मिलेगी।
