Malegaon Blast Case: 'मेरी जिंदगी के 17 साल बर्बाद हुए', जानिए कोर्ट में भावुक हुई साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने क्या - क्या कहा

Malegaon Blast Case
All Accused Acquitted in Malegaon Blast Case : ईश्वर उन्हें दंड देगा जिन्होंने भगवा को बदनाम करने की कोशिश की। मेरी जिंदगी के 17 साल बर्बाद हुए - यह बयान भाजपा की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के हैं। वे मालेगांव बम धमाके केस में आरोपी थीं।
मुंबई की एक विशेष एनआईए कोर्ट ने 2008 के मालेगांव बम धमाके केस में बड़ा फैसला सुनाते हुए साध्वी प्रज्ञा समेत सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया है। अदालत ने कहा कि 'आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, क्योंकि कोई भी धर्म हिंसा की वकालत नहीं करता है।' कोर्ट ने मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये मुआवजा देने का आदेश भी दिया है।
जज के सामने भावुक हुईं साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर :
बरी हुए आरोपियों में पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, अजय राहिरकर, सुधाकर धर द्विवेदी और समीर कुलकर्णी शामिल हैं। फैसले के बाद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर कोर्ट में भावुक हो गईं और जज लाहोटी के सामने उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। उन्होंने कहा कि, 'मैंने वर्षों तक अपमान सहा, कई बार संघर्ष किया। मुझे तब कलंकित किया गया जब मैं दोषी नहीं थी।
भगवा और हिंदुत्व की जीत हुई :
एनआईए कोर्ट में जज को संबोधित करते हुए, सांधवी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा, "मैंने शुरू से ही कहा था कि जिन्हें भी जांच के लिए बुलाया जाता है, उसके पीछे कोई आधार होना चाहिए। मुझे जांच के लिए बुलाया गया और मुझे गिरफ्तार करके प्रताड़ित किया गया। इससे मेरा पूरा जीवन बर्बाद हो गया। मैं एक साधु का जीवन जी रही थी लेकिन मुझे ही आरोपी बना दिया गया और कोई भी स्वेच्छा से हमारे साथ खड़ा नहीं हुआ। मैं जीवित हूं क्योंकि मैं एक संन्यासी हूं। उन्होंने एक षड्यंत्र के तहत भगवा को बदनाम किया। आज भगवा की जीत हुई है, और हिंदुत्व की जीत हुई है, और ईश्वर दोषियों को सज़ा देगा। हालांकि, भारत और भगवा को बदनाम करने वालों को आपने गलत साबित नहीं किया है।"
इसके लिए किसी संगठन को दोष नहीं देती :
"मैं आपको धन्यवाद देती हूं कि आपने मुझे उसी दृढ़ विश्वास के साथ अपने देश और अपने संगठन की सेवा करने का मौका दिया जैसा मैं इस मामले में फंसने से पहले कर रही था। मैं इसके लिए किसी संगठन को दोष नहीं देती। जांच एजेंसियों जैसे संगठन गलत नहीं हैं, बल्कि संगठनों के अंदर के लोग ही गलती कर रहे हैं। मैं आपको धन्यवाद देती हूं कि आपने आम आदमी का सिस्टम में विश्वास फिर से बहाल किया है।"
आरोपी के वकील रंजीत नायर ने कहा, "इस मामले में आरोपियों को बरी कर दिया गया है। मैं आरोपी नंबर 11, सुधाकर चतुर्वेदी का वकील था। कोर्ट ने कहा कि घटनास्थल पर मिले मोबाइल फोन और गाड़ियों के मालिक का कोई सबूत नहीं है। एटीएस ने इस मामले की जांच की थी। कोर्ट ने कहा कि, बिना किसी अनुमति के फोन टैप किए गए। उस समय एनसीपी-कांग्रेस सत्ता में थी। उन्हें अपना राजनीतिक फायदा उठाना था। अब सब कुछ साफ है कि, आरोपियों के खिलाफ कोई गवाह नहीं है।"
