यूनेस्को में गूंजा शिवाजी का स्वराज्य: विश्व धरोहर बनी मराठा सैन्य शक्ति की पहचान

विश्व धरोहर बनी मराठा सैन्य शक्ति की पहचान
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"राजा नहीं, सेवक", "धर्म नहीं, मातृभूमि सर्वोपरि", और "रणनीति नहीं, स्वराज्य लक्ष्य है" यही शिवाजी हैं।

अनुराग तागड़े, इंदौर। 12 जुलाई 2025 का दिन भारतीय इतिहास में सुनहरे अक्षरों से दर्ज हो गया, जब यूनेस्को ने छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा विकसित "मराठा मिलिट्री लैंडस्केप" को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया। इन 12 दुर्गों में भारत की सैन्य प्रतिभा, सांस्कृतिक गौरव और प्रशासनिक कुशलता का ऐसा अनूठा संगम दिखाई देता है, जो न केवल महाराष्ट्र, बल्कि सम्पूर्ण भारत के लिए गौरव की बात है।

यह न केवल एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, बल्कि छत्रपति शिवाजी महाराज के हिंदवी स्वराज के स्वप्न की अंतरराष्ट्रीय मान्यता भी है। यह उन 12 किलों की कहानी है, जो केवल पत्थरों की दीवार नहीं, बल्कि आत्मबल, नीति और समरसता की मिसाल हैं।

शिवाजी: एक राजा नहीं, विचार

छत्रपति शिवाजी महाराज केवल तलवार चलाने वाले योद्धा नहीं थे। वे राजनीतिक नैतिकता, लोक कल्याणकारी शासन, और धर्मनिरपेक्ष भारतीय आत्मा के प्रतीक थे। उन्होंने शासन को सेवा का माध्यम बनाया और 'प्रजा' को 'राज्य' का मूलाधार।

उन्होंने अफजल खान को परास्त किया, औरंगजेब की नींव हिला दी, लेकिन कभी अपनी धार्मिक सहिष्णुता नहीं छोड़ी। उनकी सेना में सभी जाति-धर्मों के लोग थे। गुरिल्ला युद्ध (गणिमी कावा), खुफिया नेटवर्क, नौसेना की शुरुआत जैसे कदम उनकी दूरदर्शिता को दर्शाते हैं।

हिंदवी स्वराज: भारतीयता की अभिव्यक्ति

शिवाजी का स्वराज कोई साम्प्रदायिक प्रयोग नहीं था, बल्कि भारतीय अस्मिता, सांस्कृतिक मूल्यों और न्यायपूर्ण शासन का स्थापत्य था। यह उस कालखंड में एक क्रांति थी, जब भारत मुगल और बाहरी आक्रांताओं की छाया से ग्रस्त था।

अब विश्व धरोहर: मराठा सैन्य परंपरा के 12 अमर स्तंभ

1. सालहेर किला

सह्याद्रि की ऊँचाई पर स्थित यह किला मराठा-मुगल संघर्ष की ऐतिहासिक भूमि है, जहाँ 1672 में मुगलों को धूल चटाई गई थी।

2. शिवनेरी किला

शिवाजी का जन्मस्थल, जहाँ उनकी माताजी जीजाबाई ने एक संस्कारी सम्राट का सपना देखा।

3. लोहगढ़ किला

जहाँ शिवाजी ने अपने अभियान की नींव रखी और सूरत लूट से प्राप्त खजाना सुरक्षित किया।

4. खंडेरी किला

समुद्र के बीच मराठा नौसेना का गढ़। अंग्रेजों को पहली बार यहीं करारी शिकस्त मिली।

5. रायगढ़ किला

मराठा स्वराज की राजधानी। यहीं 1674 में शिवाजी का राज्याभिषेक हुआ।

6. राजगढ़ किला

शिवाजी की प्रारंभिक राजधानी, जिसने उनके प्रशासनिक दृष्टिकोण को दिशा दी।

7. प्रतापगढ़ किला

अफजल खान का वध यहीं हुआ, यह शिवाजी की रणनीति और साहस का स्मारक है।

8. सुवर्णदुर्ग किला

मराठा नौसेना का सुनहरा द्वार। समुद्र में बसाया गया यह किला आदिलशाही से छीनकर मराठों ने सुदृढ़ किया।

9. पन्हाला किला

जहाँ से बाजी प्रभु देशपांडे के बलिदान के साथ शिवाजी का पवनखिंड पलायन हुआ।

10. विजयदुर्ग किला

शिवाजी की समुद्री विजय का प्रतीक। इसकी तटबंदियाँ आज भी विदेशी हमलों की प्रतिरोधक थीं।

11. सिंधुदुर्ग किला

समुद्र के बीच स्थित यह किला, शिवाजी की योजना और वास्तुशिल्प समझ का चमत्कारी नमूना है।

12. जिंजी किला (तमिलनाडु)

शिवाजी का दक्षिण विजय का गवाह। ब्रिटिश इसे "ईस्ट का ट्रॉय" कहते थे, यह इसकी भव्यता का प्रमाण है।

यूनेस्को द्वारा मराठा मिलिट्री लैंडस्केप को विश्व धरोहर का दर्जा मिलना राजनीतिक, सैन्य और सांस्कृतिक दृष्टि से ऐतिहासिक निर्णय है। यह न केवल शिवाजी के पराक्रम को, बल्कि भारतीय शौर्य परंपरा को वैश्विक मंच पर सम्मान दिलाता है।

यूनेस्‍को के निर्णय का महत्‍व

राष्ट्रीय गर्व: मराठा विरासत की वैश्विक स्वीकृति

सांस्कृतिक पुनर्जागरण: हिंदवी स्वराज को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता

पर्यटन और शिक्षा: इन किलों को संरक्षित और प्रस्तुत करने के लिए पर्यटन का विस्तार और इतिहास शिक्षा को नया दृष्टिकोण मिलेगा

राजनीतिक चेतना: यह प्रमाणित करता है कि भारत की स्वराज अवधारणा यूरोपियन सामंतवाद की तुलना में कहीं अधिक समावेशी और न्यायपूर्ण रही है।

जब शिवाजी ने "हिंदवी स्वराज्य" का नारा दिया था, तब वह केवल किलों का निर्माण नहीं कर रहे थे— वह एक विचार, एक दर्शन और एक राष्ट्रभावना को जन्म दे रहे थे। आज जब उनकी बनाई गयी सैन्य व्यवस्था और किले विश्व मंच पर सम्मानित हो रहे हैं, तो यह केवल इतिहास नहीं, भविष्य की प्रेरणा है।

मराठा किलों की विशेषताएं

  • भूगोल-आधारित वास्तुशिल्प
  • गुरिल्ला रणनीति का केंद्र
  • जलदुर्ग और नौसेना की योजना
  • सांस्कृतिक व धार्मिक संरक्षण
  • न्याय और प्रशासन का संगठित रूप
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