Premanand Ji Maharaj Tips: प्रेमानंद महाराज ने बताए प्रेम विवाह के लिए माता - पिता को मनाने के उपाय, मां - बाप को भी दी सलाह…

हिंदू पंचांग के अनुसार इन दिनों विवाह जैसे शुभ और धार्मिक कार्यों के लिए बेहद अनुकूल समय चल रहा है। यही वजह है कि देशभर में शादियों का सिलसिला जोरों पर है। आज के इस आधुनिक युग में युवाओं में प्रेम विवाह करने का ट्रेंड चल रहा है, लेकिन कुछ लोग अपने माता-पिता से इसके लिए स्वीकृति नहीं ले पाते। ऐसे में उन्हें क्या करना चाहिए? इस बात को फेमस संत प्रेमानंद जी महाराज ने बड़े ही सहज भाव से बताया है । उन्होंने यह भी बताया है कि ऐसी स्थिति में माता -पिता को क्या करना चाहिए?
कौन हैं प्रेमानंद महाराज?
वृंदावन के फेमस संत प्रेमानंद जी महाराज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं उनके यहां देश की जानी मानी हस्ती से लेकर दुनिया भर से लोग पहुंचते हैं। महाराज सभी लोगों को इस सांसारिक और आध्यात्मिक जीवन का ज्ञान देते हैं। अक्सर श्रध्दालु उनके पास अपनी समस्याओं को लेकर जाते हैं जिनका उत्तर महाराज बेहद सहज तरीके से देते हैं। ऐसा ही भक्त महाराज से पूछता है कि मैं प्रेम विवाह करना चाहता हूं लेकिन माता पिता नहीं मान रहे हैं, मुझे क्या करना चाहिए?
माता पिता को बच्चों के प्रेम विवाह के लिए क्या करना चाहिए?
इस प्रश्न का उत्तर देते हुए महाराज ने कहा आजकल माता-पिता को सोचना चाहिए कि नया जमाना है। अगर वो आपसे अनुमति ले रहे हैं, आपके पैर छू रहे हैं तो आप उसका आदर कीजिए। अगर ज्यादा बड़े वाले बनकर रहोगे तो फिर अपमान भी हो जाएगा। बच्चे हैं, नौजवान हैं आपकी बात नहीं मानेंगे।
वो आगे कहते हैं कि माता-पिता को भी चाहिए कि अगर बहू और बच्चा दोनों प्रेम करते हैं तो लड़ाई - झगड़ा न करके ये देखें कि लड़की कैसी है या लड़का कैसा है? दो चार बार लड़की से मिले, उसके घर वालों से मिले, उसका व्यवहार देखे, उसका चरित्र देखे। लड़की वाले लड़के से मिले। हां ऐसा चाहिए। ऐसे ही संबंध होता है और फिर ब्याह कर दे।
शादी के पहले साथ रहना चाहिए?
भक्त ने महाराज से पूछा कि महाराज जी हम अपना जीवन साथी स्वयं चुने और शादी होने तक पवित्रता के साथ रहे तो क्या यह गलत है? जिसका उत्तर देते हुए महाराज ने कहा दोनों शादी जब तक ना हो तब तक ब्रह्मचर्य से रहें पर माता-पिता का आशीर्वाद जरूर लें।
माता - पिता को कैसे मनाएं?
महाराज ने आगे कहा कि माता-पिता की अनुमति जरूर लें, जिस मां ने तुम्हें गर्भ में 9 महीने रखा, तुम्हें पालन पोषण करके इतना बड़ा बनाया। उसके अधिकार को मत छीनिए। दोनों मां-पिता के चरणों में झुकिए और कहिेए कि हमने दोस्ती कर ली है और हम दोनों आजीवन के लिए पाणिग्रहण करना चाहते हैं। आपकी अनुमति आपका आदेश आपका आशीर्वाद चाहिए। इतना जरूर करना चाहिए।