सी सदानंदन मास्टर: एक शिक्षक जिसने राजनीतिक हमले में अपने दोनों पैर गंवा दिए लेकिन नहीं छोड़ा समाज सेवा का संकल्प

C Sadanandan Master
C Sadanandan Master : 25 जनवरी, 1994 की रात करीब 8:30 बजे एक तीस वर्षीय युवक अपने काम निपटा कर घर को लौट रहा था। तभी कुछ लोगों की भीड़ आई उसे रास्ते पर पटका और इसके पहले की वो कुछ समझ पाता उसके पैर, शरीर से अलग कर दिए गए। करीब पंद्रह मिनट तक यह युवक दर्द से कराहता रहा लेकिन किसी ने मदद का हाथ आगे नहीं बढ़ाया...जिस व्यक्ति की यह कहानी है उनका नाम है सी सदानंदन मास्टर। पेशे से शिक्षक सी सदानंदन केरल में जानामाना नाम हैं।
सी सदानंदन मास्टर अब राज्यसभा में दिखेंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। भाजपा की टिकट से वे चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके बाद अब वे सांसद के रूप में अपने जीवन की एक नई पारी शुरू करने की और आगे बढ़ गए हैं।
राष्ट्र विकास के प्रति अडिग :
जब राष्ट्रपति ने सी सदानंदन मास्टर को राज्यसभा भेजने की घोषणा की तो प्रधानमंत्री मोदी ने कहा - सी. सदानंदन मास्टर का जीवन साहस और अन्याय के आगे न झुकने की प्रतिमूर्ति है। हिंसा और धमकी भी राष्ट्र विकास के प्रति उनके जज्बे को डिगा नहीं सकी। एक शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी उनके प्रयास सराहनीय हैं। युवा सशक्तिकरण के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता है। राष्ट्रपति जी द्वारा राज्यसभा के लिए मनोनीत होने पर उन्हें बधाई। सांसद के रूप में उनकी भूमिका के लिए शुभकामनाएं।
सी. सदानंदन, जिन्हें "माश" (मास्टर) के नाम से जाना जाता है, केरल के त्रिशूर जिले के एक स्कूल में शिक्षक हैं। राज्यसभा के लिए उनका नामांकन विशेष है, क्योंकि यह न केवल सार्वजनिक जीवन और शिक्षा में उनके योगदान को मान्यता देता है, बल्कि उनके व्यक्तिगत संघर्षों को भी दर्शाता है।
केरल के भयावह इतिहास के गवाह :
सी. सदानंदन केरल के उथल-पुथल भरे इतिहास के सबसे भयावह राजनीतिक हमलों में से एक के जीतेजागते गवाह हैं। 25 जनवरी, 1994 की रात, 30 वर्ष की आयु में, सदानंदन पर उनके गृह ग्राम पेरिंचरी के पास माकपा के गुंडों ने घात लगाकर हमला किया। राजनीतिक हिंसा की एक चौंकाने वाली घटना में, माकपा के गुंडों ने उनके दोनों पैर काट दिए और उन्हें खून से लथपथ सड़क किनारे छोड़ दिया, ताकि राजनीतिक दल बदलने वालों को चेतावनी दी जा सके।
किसी ने मदद नहीं की :
उस रात को याद करते हुए, उन्होंने एक बार बताया था कि, कैसे डर के कारण किसी ने उनकी मदद करने की हिम्मत नहीं की। जब पुलिस घटनास्थल पर पहुंची, लगभग पंद्रह मिनट बाद, तभी मुझे अस्पताल ले जाया गया। तब तक मैं बेहोश हो चुका था।
1999 में अध्यापन के क्षेत्र में लौट आए :
राजनीतिक हमले की वह भयानक रात उन्हें आगे बढ़ने से नहीं रोक पाई। वह 1999 में अध्यापन के क्षेत्र में लौट आए और अभी भी पेरमंगलम के श्री दुर्गा विलासम उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में सामाजिक विज्ञान के शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं।
समय के साथ, वह भाजपा के भी सक्रिय सदस्य बन गए और 2016 और 2021 में कुथुपरम्बु निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़े।
कवि अक्कितम के लेख 'भारत दर्शनंगल' से प्रभावित :
अपनी युवावस्था में, सदानंदन केरल के कई युवाओं की तरह, कम्युनिस्ट विचारों की ओर झुके लेकिन जब उन्होंने आरएसएस और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर उसके विचारों के बारे में और पढ़ना शुरू किया, तो उनके लिए चीज़ें बदल गईं। वह कवि अक्कितम के लेख 'भारत दर्शनंगल' से विशेष रूप से प्रभावित हुए और साल 1984 में आरएसएस में शामिल हो गए, हालांकि उनके परिवार की वामपंथी जड़ें मज़बूत थीं। उनके पिता एक सेवानिवृत्त शिक्षक और माकपा समर्थक थे और उनके भाई भी उस समय एक सक्रिय पार्टी कार्यकर्ता थे।
आज, अध्यापन के अलावा, सदानंदन केरल में राष्ट्रीय शिक्षक संघ के राज्य उपाध्यक्ष हैं। वह इसकी पत्रिका देशीय अध्यापक वार्ता का भी संपादन करते हैं। उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों की प्रेमिका वनिता रानी से विवाह किया है जो एक शिक्षिका भी हैं, और उनकी बेटी यमुना भारती बीटेक की पढ़ाई कर रही हैं और एबीवीपी छात्र संगठन में सक्रिय हैं।
एक क्रूर हमले से बचने से लेकर राज्यसभा के लिए मनोनीत होने तक, सदानंदन मास्टर का जीवन शक्ति, आशा और परिवर्तन की कहानी है। वे उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा हैं जो कहीं न कहीं राजनीतिक हमलों का शिकार हुए हैं।
