Operation Sindoor: फेक न्यूज फैक्ट्री बंद, भारत सरकार ने 8000 से ज्यादा X अकाउंट पर लगाया बैन

भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण स्थिति लगातार बढ़ती नजर आ रही है। जिसके चलते भारत सरकार ने 8000 से ज्यादा X अकाउंट पर बैन लगाने का आदेश दिया है।
जानकारी के लिए बता दें कि बैन किए गए इन अकाउंट से लगातार फैक न्यूज शेयर की जा रही थी। जिसके चलते भारत सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है, जो जंग के दौरान फेक न्यूज को फैलने से रोकने में मददगार साबित होगा।
सोशल मीडिया प्लेटफार्म X का दावा है कि भारत सरकार के इस फैसले से हम सहमत नहीं है, और बैन किए गए अकाउंट सिर्फ भारत में नहीं दिखेंगे।
भारत सरकार ने क्यों उठाया यह कदम?
भारत सरकार ने 8000 X अकाउंटस के खिलाफ इसलिए एक्शन लिया है, क्योंकि इनके ज़रिए देश भर में फेक न्यूज और भड़काऊ बातें फैलाई जा रही थी। भारत-पाकिस्तान सीमा पर पहले से ही तनावपूर्ण हालात है, फेक न्यूज से हालात और भी ज्यादा खराब हो सकते है। मीडिया रिपोर्स की मानें तो इन अकाउंट को बंद करने के पीछे तीन मुख्य कारण है।
गलत जानकारी फैलाना: इनमें से कई अकाउंटस ने सेना से जुड़ी झूठी बातें पोस्ट कीं, हिंसा को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया। इसका मकसद लोगों को भड़काना और देश में अशांति फैलाना था।
हिंसा को बढ़ावा देना: कुछ अकाउंटस ने राजनीतिक विरोध के नाम पर कश्मीर और पंजाब जैसे संवेदनशील इलाकों में हिंसक प्रदर्शन और झगड़े की बातें फैलाई, जिससे देश के कई हिस्सों में हिंसा होने की संभावना बढ़ सकती है।
पाकिस्तान के समर्थन में बातें: बैन किए गए कई अकाउंटस भारत विरोधी पोस्ट डाल रहे थे और पाकिस्तान का समर्थन कर रहे थे। ये अकाउंट देश को बाँटने वाली जानकारी फैला रहे थे।
सरकार ने इन अकाउंट्स को ब्लॉक करना इसलिए ज़रूरी समझा ताकि देश की सुरक्षा बनी रहे और झूठी जानकारी से जनता गुमराह न हो।
अकाउंट बैन आदेश पर X की प्रतिक्रिया
ग्लोबल गवर्नमेंट अफेयर्स ने अपने X अकाउंट से जानकारी साझा करते हुए लिखा कि -
X को भारत सरकार से आदेश मिला है कि वह भारत में 8,000 से ज़्यादा खातों को ब्लॉक करे। ऐसा न करने पर कंपनी के कर्मचारियों पर जुर्माना या जेल हो सकती है।
इनमें कुछ अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ संगठनों और बड़े यूज़र्स के अकाउंट भी शामिल हैं। सरकार ने ज़्यादातर मामलों में यह नहीं बताया कि किस पोस्ट से कानून का उल्लंघन हुआ।
X ने भारत में इन खातों को ब्लॉक करना शुरू कर दिया है, लेकिन कंपनी इससे असहमत है।