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विवादों में रहा है रामपाल का जेई से संत बनने का सफर

- सात साल में अकूत सम्पति के मालिक बन गए रामपाल, - आर्य समाज पर की गई टिप्पणी पड़ी भारी, - संत कबीर को लेकर रामपाल ने शुरू किए थे धार्मिक प्रवचन, 1999 में शुरू किया था सतलोक आश्रम

विवादों में रहा है रामपाल का जेई से संत बनने का सफर
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रोहतक/स्वदेश वेब डेस्क। सतलोक आश्रम के संचालक रामपाल का सिंचाई विभाग में जेई पद से लेकर संत बनने का सफर विवादो में रहा है। छुड़ानी धाम गद्दी से लेकर सतलोक आश्रम करौथा-बरवाला हमेशा से ही सुर्खियों में रहा है।

मात्र सात साल की उम्र में जहां अनुयायियों की संख्या लाखों तक पहुंची, वहीं रामपाल की सम्पति भी अकूत हो गई। इस बीच आर्य समाज पर रामपाल की टिप्पणी उन्हें भारी पड़ गई। जिसके चलते वो अभी जेल में हैं। हिसार अदलात ने भी रामपाल को हत्या के दो अलग-अलग मामलो में दोषी करार दिया है, जबकि रोहतक में हत्या का एक मामला अभी अदालत में विचाराधीन है। जेल में होते हुए भी रामपाल के अनुयायियों की संख्या कम होने के बजाय इतनी बढ़ी कि विदेशों तक जा पहुंची।

मूलरूप से धनाना निवासी रामपाल का जन्म 08 सितम्बर,1951 में हुआ था। सिंचाई विभाग में जेई पद के दौरान कई बार विवाद हुआ और उन्होंने नौकरी से त्याग पत्र दे दिया। इसके बाद गरीब दास वाले 12वें पंथ से शिक्षा ग्रहण कर रामपाल ने संत की उपाधि ली। शुरुआत में झज्जर के छुड़ानी धाम की गद्दी को लेकर विवाद हुआ तो सन् 1999 में रामपाल ने करौथा में सतलोक आश्रम की स्थापना की और देखते ही देखते अनुयायियों की संख्या देश ही नहीं विदेशों तक जा पहुंची। रामपाल ने कबीर के प्रवचनों के साथ हिन्दू देवताओं पर भी टिप्पणी की थी। इस दौरान रामपाल ने कई पुस्तकें भी जारी की, जिनमें खतरा एक जान, श्रद्धा भक्ति, अवतार शामिल है।

एक पुस्तक में आर्य समाज पर की गई टिप्पणी पर जुलाई 2006 में विवाद शुरू हो गया। तत्कालीन उपायुक्त आरएस दून ने काफी हद तक मामले को शांत करने का प्रयास किया लेकिन करौथा स्थित आश्रम के आसपास के ग्रामीणों ने विरोध तेज कर दिया। सात जुलाई को शुरू हुआ यह विरोध 12 जुलाई तक खूनी संघर्ष में बदल गया, जिसमें गांव बाघपुर निवासी सोनू की गोली लगने से मौत हो गई, जबकि साठ लोग गोली लगने से घायल हुए थे। इस मामले में रामपाल सहित 33 अनुयायियों को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया था। हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद रामपाल ने हिसार के बरवाला में आश्रम शुरू किया।

वर्ष 2013 में एक बार फिर रामपाल सुप्रीम कोर्ट से रोहतक स्थित करौथा सतलोक आश्रम खोलने के आदेश लेकर आए लेकिन आर्य समाजियों के साथ फिर टकराव हो गया। इसके बाद सरकार ने आश्रम को सील कर दिया। बरवाला में शुरू किए गए आश्रम में सबकुछ ठीक चल रहा था लेकिन 18 नवम्बर,2014 में एक मामले को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने रामपाल को पेश होने के आदेश दिए। लेकिन रामपाल ने खुद को बीमार बताते हुए अदालत में पेश होने से इनकार कर दिया, जिसको लेकर अदालत ने पुलिस को आदेश दिए कि हर हाल में रामपाल को अदालत में पेश किया जाए। 18 नवम्बर से 21 नवम्बर तक चले पुलिस के साथ टकराव में छह लोगों की मौत हुई और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे। इस मामले में रामपाल व अन्य अनुयायियों के खिलाफ हत्या सहित विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया था। गुरुवार को बरवाला कांड को लेकर हिसार अदालत ने रामपाल को दोषी ठहराया है।

Updated : 11 Oct 2018 11:23 PM GMT
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