Home > स्वदेश विशेष > खुद का लोहा मनवाने वाले रोहित, बहुत याद आओगे

खुद का लोहा मनवाने वाले रोहित, बहुत याद आओगे

डॉ. आशीष जोशी

खुद का लोहा मनवाने वाले रोहित, बहुत याद आओगे
X

करीब बारह बजे दिन का वक्त था... अचानक फोन पर मेसेज वाले टोन घनघनाने लगे... मैं विश्वविद्यालय के काम में लगा था, तो मैंने ध्यान नहीं दिया... तभी एक करीबी मित्र का दिल्ली से फोन आया... कोरोना काल में अचानक कोई फोन आए तो दिल ऐसे ही धड़कने लगता है... मैंने फोन उठाया तो जो खबर उसने दी, उसपर भरोसा करना संभव नहीं था... खबर थी - रोहित सरदाना नहीं रहे... सच कहता हूँ, करीब तीस सेकेंड तक मैं कुछ बोल ही नहीं पाया... मित्र दूसरी तरफ से हेलो-हेलो करते रहे और मैं बस खामोशी से इस खबर पर भरोसा करने की कोशिश करता रहा... फोन रखा... मेसेज बॉक्स खोला तो विधि के इस क्रूर फैसले पर यकीन करना पड़ा...

एक पल में जैसे डेढ़ दशक की पहचान के सारे पन्ने पलट गए... जिंदादिल... खुशमिजाज... मुखर... हमेशा मुस्कुराते रहने वाले... सकारात्मक सोच वाले... रोहित में क्या नहीं था... जिद-जुनून और जज्बा... सब तो था... हैदराबाद से दिल्ली तक... ज़ी न्यूज़ में ताल ठोकने के बाद आजतक में दंगल करने तक... रोहित का कोई सानी नहीं था... वो टीआरपी के मास्टर थे... दर्शकों के फेवरेट थे... और पत्रकारों की नई पौध के लिए प्रेरणा...

रोहित एक राष्ट्रवादी पत्रकार थे... असली राष्ट्रवादी पत्रकार... सच कहता हूँ... मैंने अपने जीवन में रोहित जितनी उम्र में उस जितना निडर पत्रकार आजतक नहीं देखा... सामने कोई भी बैठा हो... पर रोहित जब भी एंकर की कुर्सी पर होते थे, तो वो सिर्फ सवाल करते थे... और सवाल बेहद तीखे... मुझे याद है... कुछ महीने पहले की ही तो बात है... आजतक के एक कार्यक्रम में अमित शाह मेहमान थे और एंकर की कुर्सी पर थे रोहित सरदाना... उस दौर में बीजेपी नेता कुलदीप सेंगर पर रेप के आरोप का मुद्दा गरम था... पर रोहित ने बिना डरे अमित शाह से सवाल पूछ दिया... ये रोहित की हाजिरजवाबी, हिम्मत और बुद्धिमत्ता ही थी जो उन्हें बाकी लोगों से स्क्रीन पर बिल्कुल अलग करती थी...

हरियाणा के एक छोटे से कस्बे से निकलकर देश के बड़े न्यूज चैनल तक का सफर... ये आसान नहीं था... पर रोहित की शख्सियत भी कहां हार मानने वाली थी... वो सफर पर निकले थे... कुछ करने के लिए... खुद का लोहा मनवाने के लिए... और करीब दो दशक के अपने करियर में उन्होंने अपने इस संकल्प को सिद्ध भी किया...

रोहित सिर्फ एक एंकर या पत्रकार नहीं थे, बेहद अच्छे इंसान, बेहद अच्छे दोस्त और बेहद अच्छे मेजबान भी थे... जब भी उनसे मिलना होता, तो खूब बातें होतीं, खाना-पीना होता, हंसी-ठहाके होते... पर आज जिस तरह वो चले गए... ना आंसू थम रहे हैं और ना ही यादें...

-------

डॉ. आशीष जोशी,

पूर्व प्रधान संपादक एवं मुख्य कार्यकारी, लोक सभा टेलीविजन

वर्तमान में विभागाध्यक्ष, जन संचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल

Updated : 30 April 2021 3:48 PM GMT
Tags:    
author-thhumb

Swadesh News

Swadesh Digital contributor help bring you the latest article around you


Next Story
Top