फौलादी जननायक सरदार पटेल 150वीं जयंती आज

फौलादी जननायक सरदार पटेल  150वीं जयंती आज
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डॉ. दिनेश पाठक

सर्वप्रिय सरदार वल्लभभाई पटेल का नाम आते ही एक फौलादी व्यक्तित्व और मजबूत इरादों वाले आजादी के महानायक का चेहरा उभरता है, जिसने आजाद भारत के एकीकरण का बेहद मुश्किल काम सरलता से किया। बारडोली सत्याग्रह में उनके संगठन कौशल ने उन्हें ‘सरदार’ बनाया, तो अडिग इरादों ने उन्हें ‘लौह पुरुष’ का खिताब दिलाया।

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि “सरदार पटेल मुझसे अधिक गांधी से प्रेम करते थे।” गांधी के मनोमस्तिष्क के साथ उनके गहरे एकाकार होने ने इसे सिद्ध किया। अहमदाबाद के इस समर्थ बैरिस्टर ने अपने जीवन को पूरी तरह गांधी के आदर्शों के लिए समर्पित किया। सादगी में उनकी जीवन शैली अनोखी थी; मृत्यु के समय उनके बैंक खाते में मात्र 160 रुपए थे।

सरदार पटेल अपने समय के कुशल संगठनकर्ता थे। 1936-37 से ही वे कांग्रेस पार्लियामेंट्री बोर्ड के अध्यक्ष रहे, जिसके कारण पार्टी उम्मीदवारों के चयन और प्रादेशिक मंत्रिमंडलों के गठन में उनका वर्चस्व बना रहा। जनता और धनवानों का उन पर इतना विश्वास था कि 1920 में गुजरात विद्यापीठ की स्थापना के लिए उन्होंने सिर्फ एक सप्ताह में 10 लाख रुपए जुटा लिए।

सन् 1917 में गांधी के चंपारण सत्याग्रह से प्रेरित होकर पटेल ने खेडा और बारडोली किसान आंदोलन चलाया। लंबे समय तक चले आंदोलन में एक भी अंग्रेज अधिकारी घायल नहीं हुआ, फिर भी प्रशासन ने वाइसराय को रिपोर्ट भेजी कि वल्लभभाई पटेल एक “फौलादी जननायक” हैं। उनकी सफलता और दृढ़ता का मूल आधार उनकी अडिग नैतिकता और गांधी के प्रति अपार श्रद्धा थी।

संविधान सभा के गठन में भी पटेल ने समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया। सिखों, मुसलमानों, पारसियों, आंग्ल-भारतीयों, महिलाओं, अनुसूचित जातियों और जनजातियों के उचित प्रतिनिधित्व को उन्होंने सुनिश्चित किया। संविधान निर्माण में उनका उद्देश्य सुशासन और प्रभावशाली सरकार प्रदान करना था।

सबसे महत्वपूर्ण उनका योगदान था 565 रियासतों का भारतीय संघ में विलय। 15 अगस्त 1947 तक पटेल के प्रयासों से अधिकांश रियासतें भारतीय संविधान में शामिल हुईं। इस उपलब्धि को “रक्तहीन क्रांति” कहा जाता है। इसके अलावा, उन्होंने संविधान सभा में मौलिक अधिकारों, संघ-राज्य संबंधों और प्रशासनिक सेवाओं की सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी अमूल्य योगदान दिया।

सरदार पटेल के व्यक्तित्व में दृढ़ता, संगठन कौशल और दूरदर्शिता का अद्भुत मिश्रण था। उनकी विरासत आज भी भारतीय राजनीति और प्रशासन में प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।

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