अब अनुच्छेद 35a और धारा 370 पर करना होगा त्वरित विचार
नीरज मिश्रा
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14 फरवरी दिन गुरुवार को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में भारती सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए और कई जवान घायल स्थिति में अस्पतालों में भर्ती है पुलवामा में यह हमला उस वक्त हुआ जब सीआरपीएफ के करीब 25 सौ से ऊपर जवानों का काफिला अपनी 78 गाड़ियों में सवार होकर ड्यूटी में तैनात होने जम्मू कश्मीर के उस हाईवे से निकल जा रहा था जहां पर रात दिन चौकसी रहती है जगह जगह पर सेना के बंकर बने हुए हैं लेकिन यह हाईवे पिछले कुछ दिनों से बंद था इसी का फायदा उठाते हुए घात लगाए बैठे पाकिस्तान संरक्षित आतंकवादियों आस्तीन के सांप कहलाने वाले अनुच्छेद 35a और धारा 370 के संरक्षण में जीने वाले उन अलगाववादी पत्थरबाजों अफजल प्रेमी तथा टुकड़े टुकड़े गैंग जो भारत की सरजमी में रहकर कदम कदम पर भारत की आलोचना करने वाले हैं उन्हीं में से किसी एक को साजिश का हिस्सा बनाते हुए नापाक मंसूबों को अंजाम तक पहुंचाया और विस्फोटकों से भरी एक कार को काफिले का पीछा कराते कराते इन से टकरा दिया गया यह सब घाटी में बैठे भारत विरोधी लोगों की सूज भुज का ही परिणाम है जिसका श्रेय राज्य में व्याप्त अनुच्छेद 35a धारा 370 को जाता है जिसकी वजह से जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है और यही कारण है कि यहां पर अलग से निर्मित संविधान काम करता है यही कारण है कि यहां पर आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले और पाकिस्तान को अपना मसीहा मानने वाले लोग खुले तौर पर भारत विरोधी स्वरों को बुलंद कर आए दिन भारत का तरह तरह से विरोध कर नुकसान पहुंचाते हैं सेना के जवानों पर पत्थर बरसाते है अनुच्छेद 35a धारा 370 यहां की सरकारों को विशेष नियम कानून बनाने का दर्जा देता है जिसकी आड में अपने कायराना मंसूबों को बरकरार रखने के लिए यह राज्य भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति को यहां की स्थाई नागरिकता नहीं प्रदान करता है अलगाववादी हुर्रियत जैसे अनेक संगठन धारा खत्म ना की जाए समय समय से हैवानियत का पैगाम फैलाते रहते हैं और घाटी में विद्रोह की बात को करते हैं अनुच्छेद 35A के मुताबिक अगर जम्मू-कश्मीर की कोई लड़की किसी बाहर के लड़के से शादी कर लेती है तो उसके सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं. साथ ही उसके बच्चों के अधिकार भी खत्म हो जाते हैं. कारण स्पष्ट और साफ है आतंकवादी गतिविधियों को जन्म देने वाले और आतंकवादियों को पनाह देने वाले इनके नापाक मंसूबों की वजह से कहीं इनकी काली करतूतों का पर्दाफाश ना हो जाए अपने उन लोगों को भी त्याग देते हैं जो कुछ समय पहले इनके होते हैं
भारतीय संविधान के अनुसार भारत के ध्वज या सम्मानित चीजों की अवहेलना करने पर वह व्यक्ति दंड का भागीदार होता है लेकिन जम्मू कश्मीर में विशेष राज्य के दर्जे के कारण वहां के संविधान में इस तरह के कृत के लिए किसी भी दंड का प्रावधान नहीं है संपूर्ण विश्व में भारत की पहचान के रूप में लहराने वाले हमारे इस तिरंगे को जगह-जगह जम्मू कश्मीर के अंदर किया जाता है अपमानित धारा 370 की आड़ मे अलगाववादी अपने अलग झंडे को तिरंगे की बराबरी में लहराते हैं और वहां के सपोले धारा 370 का नाजायज फायदा उठा कर भारत की पीठ में बार-बार छुरा भोंकने वालों को फरिश्ता बताकर खातिरदारी के लिए बुलाते है और थमा दी जाती है वहां के युवाओं को आतंकवादी ट्रेनिंग के साथ निर्दोष लोगों की जान लेने वाली बंदूके और पीठ पीछे भोकने वाला खूनी खंजर आखिर कब तक झेला जाएगा इन अलगाववादियों के द्वारा इन पत्थरबाजों के द्वारा अफजल प्रेमियों और टुकड़े-टुकड़े गैंग के द्वारा किया जाने वाला यह भीतर धात अपमान और निर्दोषों के पीठ में छुरा और बिना संशोधन सर्वसम्मति वाली यह विशेष राज्य की धारा 370 को इस समय जब सारे दल सरकार के साथ खड़े हैं तब केंद्र सरकार को वीर जवानों की शहादत मैं श्रद्धांजलि रूप समर्पित करते हुए अपना अगला अहम और सख्त कदम उठाकर विशेष सत्र का आवाहन करके अनुच्छेद 368 के तहत संविधान संशोधन की प्रक्रिया को पूर्ण करके तत्काल प्रभाव से खत्म कर देना चाहिए विशेष राज्य की मान्यता देने वाली इस धारा 370 को जिसको हर भारतीय लगभग 7 दशक से ना चाहते हुए भी विभिन्न घातक रूपों में झेलते चला आ रहा है ताकि फिर कभी इस तरह से ना सुनी हो सके 40 माओं की कोख
क्या है अनुच्छेद 35A ....
अनुच्छेद 35A संविधान में शामिल प्रावधान है जो जम्मू और कश्मीर विधानमंडल को यह अधिकार प्रदान करता है कि वह यह तय करे कि जम्मू और कश्मीर का स्थायी निवासी कौन है और किसे सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में विशेष आरक्षण दिया जायेगा, किसे संपत्ति खरीदने का अधिकार होगा, किसे जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव में वोट डालने का अधिकार होगा, छात्रवृत्ति तथा अन्य सार्वजनिक सहायता और किसे सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों का लाभ मिलेगा. अनुच्छेद 35A में यह प्रावधान है कि यदि राज्य सरकार किसी कानून को अपने हिसाब से बदलती है तो उसे किसी भी कोर्ट में चुनौती नही दी जा सकती है.
अनुच्छेद 35A, जम्मू-कश्मीर को राज्य के रूप में विशेष अधिकार देता है. इसके तहत दिए गए अधिकार 'स्थाई निवासियों' से जुड़े हुए हैं. इसका मतलब है कि j& K राज्य सरकार को ये अधिकार है कि वो आजादी के वक्त दूसरी जगहों से आए शरणार्थियों और अन्य भारतीय नागरिकों को जम्मू-कश्मीर में किस तरह की सहूलियतें दे अथवा नहीं दे यही कारण है कि वहां के अलगाववादी नेताओं की वजह से इन विद्रोहियों के स्वर बुलंद रहते हैं और यहां के अलगाववादी नेता भारत की बड़ी से बड़ी क्षति के बदले विरोधी देश से बातचीत कर के मसले का हल निकालने की बात कहते हैं. दरअसल अनुच्छेद 35A, 14 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था. इस आदेश के जरिए भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद 35A जोड़ दिया गया. लेकिन सूत्रों के मुताबिक आपको बताते चलें कि इसका संविधान में कभी नहीं हुआ ज़िक्र संविधान के अनुच्छेद 35A को 14 मई 1954 में राष्ट्रपति के आदेश से संविधान में जगह मिली थी. संविधान सभा से लेकर संसद की उच्च या निम्न सदन के किसी भी कार्यवाही में, कभी अनुच्छेद 35A को संविधान का हिस्सा बनाने के संदर्भ में किसी संविधान संशोधन या बिल लाने का जिक्र नहीं मिलता है. अनुच्छेद 35A को लागू करने के लिए तत्कालीन सरकार ने धारा 370 के अंतर्गत प्राप्त शक्ति का इस्तेमाल किया था जिसको हटाने का वक्त अब आ चुका है इस तरह की शक्तियों का खत्म करना पाकिस्तान और उनके संरक्षित आतंकवादी संगठनों और अलगाववादियों पर करारा प्रहार होगा जिससे भीतरघात की स्थिति और आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम लगाई जा सकेगी जिससे मिल सकेगी देश की शहादत में शहीद जवानों को सही मायने में श्रद्धांजलि
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