संघ कार्य के 100 साल, बालाघाट: प्रारंभिक तीन सरसंघचालकों की कर्मभूमि

बालाघाट जिले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा का प्रारंभ 1926 में डॉ. केशव बलिराम पंत हेडगेवार ने ही किया था। उस समय डाक एवं तार विभाग में कार्यरत श्री महावादी जी ने शाखा प्रारंभ कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पहली शाखा गणपति राव पांडेय के बाड़ा में लगाई गई। यह बाड़ा आज केलकर के बाड़े के रूप में जाना जाता है। इस शाखा में दस बारह तरुण युवक आने लगे। जिसमें दत्तात्रेय धवड़गांव, अन्ना जी गाढ़वे, वासुदेव राव मंडलेकर, महादेव राव बाईकर, अन्ना जी देवपुजारी तथा भैया साहब इंदुरकर प्रमुख हैं। उस समय अन्ना जी जिला संघचालक थे तथा महादेव राव बाईकर नगर संघचालक और भैया साहब इंदुरकर शारीरिक प्रमुख थे। बालाघाट जिले में प्रारंभिक प्रचारक के रूप में नर्मदा प्रसाद सोनी, सुंदर सिंह शक्रवार तथा गोविन्द श्रीवास्तव आदि की सेवाएं प्राप्त हुई हैं।
बालाघाट जिले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
मध्य प्रदेश के बालाघाट का कस्बा रामपायली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आद्य सरसंघचालक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार की कर्मभूमि रही है। डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने अपना जीवन देश और स्वतंत्रता संग्राम के लिए समर्पित कर दिया था। वे कलकत्ता से एमबीबीएस करने के बाद और संघ स्थापना के पूर्व एक लंबे कालखंड में यहां रहकर अंग्रेजों के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की विभिन्न गतिविधियों को संचालित करते रहे। रामपायली में ही उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ उग्र आंदोलन एवं जंगल सत्याग्रह सहित अनेक क्रांतिकारी गतिविधियों का संचालन किया था। यहीं पर 1908 में हेडगेवार जी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ पुलिस स्टेशन पर बम फेंका था। इसके दो महीने बाद विजयादशमी के कार्यक्रम में जोशीला भाषण दिया। पूरा परिसर वंदे मातरम के नारों से गुंजायमान हो गया। बता दें कि रामपायली में डॉ. हेडगेवार के चाचा का पुराना घर और पूजन स्थल विठ्ठल रुकमई का मंदिर है, जो वर्तमान में जीर्ण-शीर्ण हो चुका है। अब संघ रामपायली में उनकी स्मृतियों को स्थाई रूप से सहेजने का काम कर रहा है। जिसके लिए रामपायली में एक स्मारक बनाया जाएगा।
महाकौशल प्रांत की प्रथम शाखा वर 1926 में बालाघाट जिले में ही लगाई गई। यहां पर डॉ. हेडगेवार जी के चाचा आबा जी के संबंधों का भी लाभ मिला। स्वयंसेवक जुड़ते गए। इसके बाद डॉ. हेडगेवार जी पूरे महाकौशल प्रांत की डगर को नापने के लिए निकल पड़े। प्रांत के कई वरिष्ठ स्वयंसवक इस बात को सौभाग्य के साथ स्वीकार करते हैं कि डॉ. हेडगेवार जी ने प्रांत के कई जिलों में स्वयं ही शाखा प्रारंभ करने के लिए प्रवास किया और उसमें सफलता भी प्राप्त की।
पूजनीय श्री गुरूजी के पिताजी श्री सदाशिव राव बालाघाट नगर के विद्यालय में शिक्षक थे। श्री गुरूजी प्रारंभिक काल खंड में बालाघाट में ही रहे हैं। इसलिए उनका बालाघाट से निकट का नाता है। श्री गुरूजी ने बालाघाट की गलियों में बचपन बिताया है। बालाघाट के देवरस परिवार के वरिष्ठ सदस्य श्रीरंग देवरस बताते हैं कि हमारे जिले को संघ के प्रारंभिक तीन सरसंघचालकों का सामीप्य प्राप्त हुआ है। इन्होंने डॉ. हेडगेवार जी को तो नहीं देखा, लेकिन श्री गुरूजी और श्री बाला साहब देवरस जी को बालाघाट जिले की धरती पर देखा है।
संघ के तृतीय सरसंघचालक मधुकर दत्तात्रेय देवरस उपाख्य बाला साहब देवरस और उनके भाई भाऊराव देवरस का गृह नगर बालाघाट ही है। श्री देवरस जी बालाघाट जिले की कारंजा तहसील के रहने वाले हैं, बाद में नागपुर चले गए। आज कारंजा में उनके नाम से एक न्यास बाला-भाऊ देवरस सेवा न्यास के माध्यम से कई प्रकार की सेवा गतिविधि संचालित की जाती हैं। जिसका गठन 13 दिसम्बर 1999 को किया गया था। न्यास के माध्यम से आर्थिक विकास, जैविक खेती, महिला बचत प्रशिक्षण, फलोद्यान प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य क्षेत्र में आरोग्य चिकित्सा शिविरों का आयोजन करता है।
बालाघाट में आज भी सक्रिय है श्री देवरस जी का परिवार
संघ विचार से पूरी तरह आप्लावित बालाघाट जिले की धरती संघ के तृतीय सरसंघचालक पूजनीय श्री बाला साहब देवरस जी और उनके भाई श्री भाऊराव देवरस जी की पैतृक भूमि है। उस परिवार के सदस्य आज भी चौथी पीढ़ी के साथ संघ में सक्रिय है। यह परिवार जिले की कारंजा तहसील में निवासरत रहा। पूजनीय श्री बाला साहब देवरस जी संघ की पहली शाखा के स्वयंसेवक हैं। वे 1926 में नागपुर में संघ के स्वयंसेवक बने। लेकिन उनके परिवार के सदस्य वसंत राव देवरस बालाघाट के कारंजा में निवास करते रहे। वसंत राव जी 1928 और इनके छोटे भाई मनोहर देवरस 1930 में पहली बार शाखा गए। मनोहर जी 1943 में प्रचारक निकले, जिनको पश्चिम बंगाल के कोलकाता भेजा गया। वहां पांच वर्ष प्रचारक रहे। पहले प्रतिबंध काल में कोलकाता जेल में रहे।
“दूसरों से सहायता की आशा करना या भीख माँगना दुर्बलता का चिन्ह है। इसलिए स्वयंसेवक बंधुओ, निर्भयता के साथ घोषणा करो कि हिन्दुस्थान हिन्दुओं का ही है।”
— डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार
