स्वभाव की कमजोरी से पिट रहीं हैं राहुल की गोटें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जानते हैं कि विपक्ष की चुनौती में सेंधमारी के लिए राहुल गांधी सबसे सॉफ्ट टारगेट हैं।
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- केपी सिंह
राहुल गांधी राजनीतिक रणक्षेत्र में हथियार भांजने के शौकीन जरूर हैं, लेकिन उनके अंदर किलिंग स्टिंक्ट नहीं है। जबकि इसके बिना किसी भी लड़ाई को लड़ने की कोई सार्थकता नहीं होती। मोदी के सामने उनकी गोटियां पिट जाती हैं, क्योंकि उनको जोश ही नहीं आता। कांग्रेसष बनने के बाद उम्मीद की गयी थी कि सत्ता संघर्ष को लेकर राहुल गांधी शौकियापन के फोबिया से उबरकर जौहर की भावना के साथ कदम आगे बढ़ायेंगे। लेकिन अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में राहुल गांधी की स्वभावगत कमजोरी ने मोदी को बढ़त का अवसर मुहैया करा दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जानते हैं कि विपक्ष की चुनौती में सेंधमारी के लिए राहुल गांधी सबसे सॉफ्ट टारगेट हैं। इसलिए वे अन्य क्षत्रपों को नजरअंदाज कर जानबूझकर राहुल को निशाने पर रखकर तीरंदाजी करते हैं। कांग्रेस, तेलुगूदेशम और शरद यादव की पार्टी के 50 सांसदों द्वारा उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किये गये थे। पर अपने भाषण में मोदी ने शरद यादव का तो नाम भी नहीं लिया। जबकि चंद्रबाबू नायडू का जिक्र करते हुए वे उनके प्रति बहुत सहृदय और नम्र नजर आते रहे। दूसरी ओर राहुल गांधी का नाम उन्होंने भले ही न लिया हो पर राहुल गांधी की गले मिलने की गांधीगीरी पर उसे एक धूर्ततापूर्ण हरकत के रूप में व्याख्यायित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
मोदी ने राहुल गांधी के तमाम पिछले हवाले इस संदर्भ में ऐसे तरतीब से जोड़ डाले कि सुनने वाले को लगे कि वास्तव में प्रधानमंत्री का उलाहना कहीं से गलत नहीं है। मोदी ने कहा कि राहुल पहले ही कह चुके हैं कि अगर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरती है तो वे प्रधानमंत्री पद के दावेदार होगें। उन्होंने राहुल का मजाक उड़ाते हुए कहा कि जो गठबंधन उन्होंने बनाने की चेष्टा की है उसमें प्रधानमंत्री के बहुत दावेदार हैं। फिर भी अहंकार के कारण वे सोचते हैं कि सबको उनकी सर्वोच्चता स्वीकार हो जायेगी। उन्होंने कहा कि जो अविश्वास प्रस्ताव वे लाये हैं वह उनके खिलाफ नहीं है बल्कि उसकी वजह अपने सहयोगियों पर उनका अविश्वास है। इस तरह राहुल गांधी की सारी बातों का मोदी ने जैसा मटियामेट किया वह उनके बेजोड़ राजनैतिक कौशल के अनुरूप है। मोदी ने राजीव गांधी से अपनी तुलना करते हुए बोले कि वे नामदार हैं और मैं कामदार। मैं तो गरीब का बेटा हूं, पिछड़ी जाति से आया हूं, मेरी क्या औकात जो नामदार की आंखों में आंखे डालकर बात कर सकूं।
लोकसभा में किसी सरकार के खिलाफ 15 साल बाद कोई अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। इस संबंध में यह भी द्रष्टव्य है कि अविश्वास प्रस्ताव को लेकर विपक्ष की ओर से कहा गया कि हमें मालूम है कि संख्या बल में इसे पारित कराने की क्षमता हमारे पास नहीं है, लेकिन फिर भी हम इस प्रस्ताव को इसलिए लेकर आये क्योंकि तमाम मुद्दे हैं, जो जानबूझकर मुख्यधारा की मीडिया में ब्लैक आउट कर दिये जाते हैं। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के साथ यह बात भी जुड़ी है कि राहुल गांधी ने कहा था कि उन्हें नरेंद्र मोदी के सामने बात करने का 15 मिनट का मौका मिल जाये तो भूचाल आ जायेगा। लेकिन उनको 15 मिनट ही नहीं, मोदी के सामने मन मुताबिक बोलने का मौका दिया गया पर वे कोई भूचाल नहीं ला सके।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
Swadesh Digital
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