पद्मश्री अब्दुल जब्बार का भोपाल गैस कांड से क्या है जुड़ाव, पढ़िए स्टोरी
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1984 में हुए भोपाल गैस कांड के बाद अब्दुल जब्बार ने न केवल भोपाल गैस पीडि़त महिला उद्योग संगठन की स्थापना की बल्कि इस संगठन के माध्यम से 2300 गैस पीडि़त महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लगातार पिछले 35 साल से काम किया। गैस पीडि़तों के हक के लिए लगातार लड़ाई करते करते विगत 14 नवंबर 2019 को उन्होंने आखिरी सांस ली, उनके संघर्ष को स्वीकारते हुए मरणोपरांत उन्हें इस वर्ष पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। जब्बार भाई के नाम से मशहूर अब्दुल जब्बार को मध्यप्रदेश शासन ने भी इंद्रा गांधी समाज सेवा पुरस्कार से सम्मानित किया है। गैस दुर्घटना के समय जब्बार भाई केवल 27 साल के थे और इस हादसे में उन्होंने अपनी मां और भाई को भी खो दिया, साथ ही उनकी आंखों की ज्योति भी 50 प्रतिशत रह गई, लेकिन इस सबके बावजूद उन्होंने यूनियन कार्बाइड के खिलाफ एक न्यायिक मुहिम शुरू कर दी और लगभग पांच लाख गैस पीडि़तों के मुआवजे के लिए लगातार कानूनी लड़ाई लड़ते रहे। 1987 में उन्होंने भोपाल गैस पीडि़त महिला उद्योग संस्थान, मुख्य रूप से गैस पीडि़तों की विधवाओं को संगठित कर शुरू किया और लगभग 5000 गैस पीडि़त महिलाओं को जीवन यापन के लिए विभिन्न उद्योग धंधे स्थापित करने का प्रशिक्षण दिया। भोपाल के अलावा उन्होंने दिल्ली में भी गैस पीडि़तों के लिए रैलियां आयोजित कर सरकार और सांसदों का ध्यान समस्या की ओर आकर्षित किया परिणाम स्वरूप 1989 में गैस पीडि़तों के लिए आंशिक मुआवजा मिला। मुआवजा मिलने के बाद जब्बार भाई ने मुख्य रूप से स्किल डेवलपमेंट का काम उन लोगों के लिए शुरू किया जो गैस हादसे के कारण किसी शारीरिक परेशानी से ग्रस्त हो गए थे। ज़हरीली गैस के प्रभाव से गंभीर बीमारियों और आर्थिक विपन्नता से जूझते हुए जब्बार भाई अपनी आखिरी सांस तक गैस पीडि़तों के लिए संघर्ष करते रहे।
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