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अब लक्षद्वीप के मुद्दे से देश को भटकाने की कोशिश

अब लक्षद्वीप के मुद्दे से देश को भटकाने की कोशिश
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दुष्प्रचार अर्थ का अनर्थ कर देता है स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब लोगों को तथ्य के बारे में जानकारी ना हो और दुष्प्रचार करने वाले one sided picture दिखा कर लोगों को भटकाएं।इसका ताजा उदाहरण हाल ही के दिनों में देखने को मिला जब केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप में वहां के प्रशासक श्री प्रफुल्ल पटेल द्वारा तीन नए कानून बनाए गए। समूचे विपक्ष ने उसका विरोध करके विधवा विलाप किया। विपक्ष का तर्क है कि इन कानूनों से लक्षदीप की संस्कृति, सभ्यता और पहचान खत्म हो जाएगी। बड़े बड़े नेताओं को लक्षदीप बर्बाद होता दिख रहा है। सोशल मीडिया पर लिबरल्स के द्वारा ऐसा माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है जैसे लक्षदीप में अब कुछ नहीं बचेगा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस पर चिंता जाहिर करते हुए ट्वीट किया,

"Lakshadweep is India's jewel in the ocean

The ignorant bigots in power are destroying it".

पहले तो यह जानना जरूरी है की तीन नए कानून क्या कहते है-

1.गौ मांस पर पूर्ण प्रतिबंध

2.एंटी गुंडा एक्ट

3. जिस व्यक्ति के 2 से ज्यादा बच्चे होंगे वह नगर पालिका और पंचायत के चुनाव नहीं लड़ पाएगा ।

परन्तु विचार योग्य बात यह है कि इन तीनों कानूनों को देखकर ऐसा कुछ नहीं दिख रहा जिससे यह साबित हो कि लक्षद्वीप जैसे महान और ऐतिहासिक द्वीप की संस्कृति, सभ्यता और पहचान गौमांस के प्रतिबंधित होने, गुंडों का सफाया होने या दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने से रोक लगने से नष्ट हो सकती है। असल में तो इसमें से कुछ भी लक्षदीप की संस्कृति का हिस्सा नहीं है और न ही पहले कभी भी रहा है लेकिन फिर भी विपक्ष द्वारा सिर्फ इसलिए विरोध किया जा रहा है क्योंकि वहाँ रहने वाली आबादी मुस्लिम है और जो मुख्यतः गौमांस पर प्रतिबन्ध लगाने के फैसले से नाराज हैं ।

इस विरोध का दूसरा पहलू यह है कि लोग कानून से ज्यादा विरोध L.G. प्रफुल्ल खोड़ा पटेल का कर रहे है जो साबित करता है कि यह विरोध राजनैतिक और कटटरता का चोला ओढ़े है। यह विरोध मुझे 1990 की याद दिलाता है जब जगमोहन जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल बने थे तब कटटरपंथिओं ने उनका भीषण विरोध किया था। इसका कारण यह था कि जगमोहन वहां पर अलगाववादी गतिविधियों और आतंकवाद को रोकने के लिए कड़े फैसले लेने के लिए मशहूर थे। इसी तरह कुछ पटेल का मामला भी है , श्री पटेल कि भावनाओ को इस शेर से जाहिर किया जा सकता है

"अभी सूरज नहीं डूबा जरा सी शाम होने दो,

मैं खुद लौट जाऊंगा मुझे नाकाम तो होने दो,

मुझे बदनाम करने का बहाना क्यों ढूंढ़ते हो,

मैं खुद हो बदनाम हो जाऊंगा पर पहले कुछ अच्छा काम होने दो"

इस विरोध का मुख्य मुख्य कारण यह है कि जब भी भाजपा सरकार द्वारा कोई नया कानून लाया जाता है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मुस्लिमों पर असर करता है तो वहां स्वभाविक विरोध शुरू हो जाता है। इसी आग में कांग्रेसी, लेफ्ट सहित सभी दल केरोसिन डालने का काम करते हैं। इसका ताजा उदाहरण तीन तलाक और CAA (नागरिकता संशोधन अधिनियम) से हमें देखने को मिल चुका है जबकि सकारात्मक बदलाव के लिए विपक्ष को सरकार के साथ खड़ा कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होना चाहिए लेकिन विपक्ष तो संस्कृति की दुहाई दे रहा है। असल में विपक्ष लोगों की उन्नति नहीं चाहता है वह सिर्फ टकराव चाहता है और धर्म के साथ छेड़छाड़ के नाम पर मुस्लिमों को 70 वर्ष से मूर्ख बनाता है आ रहा है यदि विपक्ष मुस्लिम हितैषी होता तो लक्षद्वीप के लिए विज़न डॉक्यूमेंट में शामिल होकर विकास का पक्ष लेता अगर लक्षद्वीप में रोजगार मिलेगा तो पूरा विपक्ष बेरोज़गार हो जाएगा और यह बात लक्षद्वीप के लोगों को समझनी चाहिए।

कुछ ऐसे भी मंजर है तारीख़ की नज़रों में,

लम्हों ने खता की थी, सदियों ने सजा पाई।

लक्षद्वीप एक समुद्री द्वीप है, जहां मछली और sea food ज्यादा प्रचलित है बजाए कि गौमांस के दूसरा बच्चे कितने पैदा करने है, यह तय करना किसी भी देश, धर्म, स्थल और समुदाय में कोई फिक्स नहीं है परंतु भारत जैसे देश में बढ़ती आबादी को देखते हुए ऐसे प्रावधान किए जा रहे हैं जिससे लोग परिवार नियोजन पर ध्यान दें और ताजा कानून इसी का एक उदाहरण है । तीसरा Anti Goonda Act की बात है तो वह इसलिए भी जरूरी है क्योकि लक्षद्वीप को मालदीप से भी बेहतर बनाने का जो संकल्प केंद्र सरकार ने लिया है तो यह जरूरी है कि वहां Law and Order बिल्कुल दुरुस्त रहें इससे वहां आने वाले ना सिर्फ देसी बल्कि विदेशी पर्यटकों को भी सुरक्षित महसूस कर सकें। इसके लिए केंद्र सरकार ने एक योजना तैयार की है । इसके तहत लक्षद्वीप को मालदीव से भी बेहतर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा यहां न सिर्फ देश बल्कि विदेशी पर्यटकों का हुजूम रहेगा और इस विकास का सीधा लाभ यहाँ के आम नागरिकों को ही मिलेगा उन्हें रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध होंगे साथ ही बेरोजगारी भी कम होगी। पर्यटन से आर्थिक गतिविधियां, इंफ्रास्ट्रचर डेवलॅपमेंट, कम्युनिकेशन और निर्यात सहित कई विकास होंगे । लक्षद्वीप के लोगों को विपक्ष की चाल में नहीं फंसना चाहिए क्योंकि उनका स्वर्णिम दौर आने वाला है मुझे ऐसी उम्मीद है कि विकास के पथ पर लक्षद्वीप और वहां के लोग चलने को तैयार है और यही उसकी संस्कृति, सभ्यता की असली पहचान है ।

इस मोड़ पर घबरा के थम न जाइये आप,

जो बात नई है उसे अपनाइये आप,

डरते है नई राह पे क्यों चलने से,

हम आगे- आगे चलते है आजाइए आप ।

Updated : 5 Jun 2021 11:09 AM GMT
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Akhand Pratap Singh

Akhand is an advocate by profession currently practicing in Madhya Pradesh High Court at Gwalior bench. He did B.A.LL.B from Institute of Law Nirma University Ahmedabad. He is very active in writing on current affairs.


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