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आंधी तो नहीं, हवा की तरह भाजपा की स्थिति मजबूत कर रही मोदी लहर
उम्मीदवार तो नहीं देखे, लेकिन वोट तो मोदी को ही देंगे
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लखनऊ। आपके क्षेत्र में कभी सासंद आये हैं। इसका जवाब मिला, नहिंन भइया, हम तो कबहुन ना देखिन हैं। फिर अपने सासंद को ही वोट देंगी, जवाब, नहीं, उनका हम ना देब, हम तो मोदी के ही देब। उनकर चुनाव निशान ह फूल। मोदी कै तो रोज टीवी पर देखत हैन। ये बातें लखीमपुर खिरी जिले की धौरहरा लोकसभा क्षेत्र के बेनीपुर राजा की लक्ष्मी बाई कहीं।धौरहरा में अभी भाजपा सासंद रेखा वर्मा चुनाव लड़ रही हैं, जबकि जितिन प्रसाद कांग्रेस उम्मीदवार हैं। इसी तरह गाजीपुर जिले के राम प्रकाश का कहना है कि जब मोदी ने दो हजार रुपये खाते में डाल दिये। पाकिस्तान को भी सबक सिखा दिया तो फिर दूसरे किसी को वोट क्यों दिया जाय।
ये स्थितियां अवध और पूर्वांचल क्षेत्र में देखने को मिल रही हैं। हालांकि ऐसा भी नहीं कहा जा सकता कि लड़ाई एक तरफा है। कुशीनगर लोकसभा क्षेत्र के राम किशुन का कहना है कि भैया अखिलेश को ही जानत हैं। उ युवा हैं। मोदी तो अब बुजुर्ग हो गये हैं, जबकि गोरखपुर के रवि शंकर तिवारी का कहना है कि भाजपा राष्ट्रवाद के नाम पर चुनाव लड़ रही है, जबकि अन्य पार्टियों की विचारधारा ही नहीं है। ऊपर से रविकिशन खुद भोजपुरी के स्टार हैं। उन्होंने इस क्षेत्र का नाम भोजपुरी के माध्यम से पूरे देश में रोशन किया है। ऐसे में दूसरों को वोट क्यों दें। वहीं राम स्वरूप में ने कहा कि कांग्रेस ही सबसे अच्छी पार्टी है। हम तो उसी को वोट देंगे।
इस संबंध में राजनीतिक विश्लेषक हर्षवर्धन त्रिपाठी का कहना है कि 2014 मेें कांग्रेस सोशल मीडिया पर ज्यादा सक्रिय नहीं हो पायी थी। इस कारण धरातल के साथ ही सोशल मीडिया पर भी भाजपा ही भाजपा था। इस बार कांग्रेस की भी सोशल मीडिया पर सक्रियता बढ़ी है लेकिन अवध और पूर्वांचल के गांवों में अभी तक उसकी पहुंच नहीं है। बसपा की तो सोशल मीडिया पर सक्रियता न के बराबर है। सपा कुछ सक्रियता दिखाती है लेकिन वह भी भाजपा के बराबर नहीं। यूपी में भाजपा और आरएसएस ने अपनी जमीनी धरातल को भी ज्यादा मजबूत किया है। पिछड़ी और दलित वर्ग में भी पहुंच बनाई है। इस कारण पांचवें, छठें और सातवें चरण के चुनाव में भाजपा ज्यादा अच्छा प्रदर्शन करेगी।
उन्होंने कहा कि अभी मीडिया का एक वर्ग गांवों के मतदाताओं तक पहुंच नहीं पा रहा है। इस कारण मोदी लहर का अंदाजा मीडिया लोग नहीं लगा पा रहे हैं। हकीकत तो यही है कि लोग अपने उम्मीदवार को नहीं पहचान रहे हैं। वे राष्ट्रीयता और अन्य मुद्दों पर ही मतदान कर रहे हैं। खीरी के वरिष्ठ पत्रकार अनिल सिंह राणा का कहना है कि 2014 और अब में अंतर यह है कि उस समय मोदी के नाम पर वोट पड़ रहा था। इस कारण मोदी का नाम बहुत और गुजरात में किये गये काम की चर्चा ज्यादा थी। अब तो हर व्यक्ति पांच साल में काम भी देख चुका है और उनकी दृढ़ निश्चयता भी। इस कारण यहां एक-दूसरे को बताने की मजबूरी नहीं है। हर व्यक्ति खुद ही निर्णय ले रहा है। इससे जमीन पर मोदी लहर वैसे ही दिख रही है, जैसे 2014 में थी। यह जरूर है कि यह लहर आंधी की तरह धूल नहीं उड़ा रही, बल्कि हवा की तरह भाजपा के लिए ठंडक देने का काम कर रही है।