राष्ट्रवाद की बयार के आगे क्या टिक पाएगा विपक्ष?

नई दिल्ली। पिछले साल तीन राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा चुनावों में भाजपा को मिली शिकस्त के बाद अब लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। हमने देखा किस तरह इन राज्य सरकारों के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी फेक्टर था लेकिन लोकसभा चुनाव में परिथितियां बदली हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनता के सामने ऐसी शख्सियत के तौर पर खड़े हैं, जिनके आगे अन्य नेता बौने दिखाई पड़ते हैं। भाजपा की तैयारियों का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने नाराज चल रहे अपने सहयोगी दलों के साथ मतभेदों को सुलझा लिया है और सीटों का बंटवारा भी।
पुलवामा आतंकी हमले के बदले जवाबी कार्रवाई में की गई एयर स्ट्राइक के बाद इस समय देश में प्रखर राष्ट्रभाव की बयार बह रही है। दो हफ्ते में ही राजनीतिक समीकरण बदल गए। हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी रफाल मामले को पुरजोर तरीके से उठा जरूर रहे हैं पर राष्ट्रवाद के आगे उसका टिकना कठिन ही लगता है। यही कारण है कि समूचा विपक्ष अपनी मांद में जा कर दुबक गया है।
विपक्ष के तरकस से न तो तीर निकल पा रहे हैं और न ही उन्हें अपना लक्ष्य ही समझ आ रहा है। कभी न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाने की बात की जाती है तो कभी महागठबंधन बनाने की। पर जमीनी स्तर पर असल स्वरूप दिखाई नहीं देता। इसके इतर, भाजपा का आत्मश्विस रातोंरात बढ़ गया है। उसके पास नरेंद्र मोदी जैसा दृढ़ व्यक्तित्व है जो सब पर भारी पड रहा है। ऐसे में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को अपना खता बही सुधारने के लिए वे मुद्दों को तलाशने में जुटे हैं। कांग्रेस अपने वजूद को बचाने और खोई हुई प्रतिष्ठा पाने के लिए वह किसी भी सूरत में गठबंधन को अपने पक्ष में करना चाहती है। इसके लिए वह अखिलेश यादव, मायावती, ममता बनर्जी, चंद्रबाबू नायडू पर निर्भर है।
उधर, चुनाव पूर्व बनने वाले तीसरे मोर्चे की चर्चा केवल हवा-हवाई ही नजर आती है। भाजपा के नेतृत्व में एनडीए और कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए का ही अस्तित्व दिखाई देता है। केरल में एलडीएफ और एनडीएफ का अस्तित्व है जरूर पर वहां तीसरे मोर्चे जैसी कसावट कम ही नजर आती है। विपक्ष में एका नहीं है। तीसरा मोर्चा अस्तित्व में नहीं है, राष्ट्रभाव की बयार बह रही है। तब क्या कोई मोदी के दावे को चुनौती देता दिखाई देता है? तभी भाजपा कार्यकर्ता तीन सौ प्लस का भरोसा लिए 'फिर एक बार मोदी सरकार' का नारा बुलंद कर रहे हैं।
