Home > स्वदेश विशेष > नारदीय सूत्र-हिंदुत्व को जगाना आज का सर्वाेपरि युगधर्म है...

नारदीय सूत्र-हिंदुत्व को जगाना आज का सर्वाेपरि युगधर्म है...

मधुकर चतुर्वेदी, दैनिक स्वदेश के आगरा/झांसी संस्करण के संपादक

नारदीय सूत्र-हिंदुत्व को जगाना आज का सर्वाेपरि युगधर्म है...
X

नारद जयंती विशेष - राष्ट्र होम के प्रत्येक उपलक्ष्य में हमें देवर्षि नारद की तरह हर जगह उपस्थित होना पड़ेगा।

श्रीमदभगवद गीता के दसवें अध्याय में स्वयं योगेश्वर श्रीकृष्ण कहते हैं ‘देवर्षीणाम्चनारदः। अर्थात देवर्षियों में मैं नारद हूं। भगवान ने स्वयं को नारद कहा...क्यों? क्योंकि व्यक्ति और समाज को विश्वव्यापी समस्याओं का समाधान देने में त्रेता, द्वापर के बाद आज कलियुग में भी देवर्षि नारद के सूत्र प्रासंगिक हैं। धर्म, आध्यात्म, ईश्वर, जीव, प्रकृति, परलोक, पुनर्जन्म, कर्म, अकर्म, प्रारब्ध, पुरूषार्थ, नीति, सदाचरण, प्रथा, परंपरा, शास्त्र, धर्म और राष्ट्रभाव आदि गुण हमें देवर्षि नारद के चरित्र से सहज ही प्राप्त हो जाते हैं। सबमें अपनी आत्माओं को समाया देखकर सबके साथ अपनी पसंद जैसा सौम्य सज्जनता भरा व्यवहार करना देवर्षि नारद का स्वभाव है। अधिकार की अपेक्षा कर्तव्य की प्राथमिकता, आलस्य और अवसाद का अंत और प्रंचड पुरूषार्थ में निष्ठा-अपने लिए कम दूसरों के लिए ज्यादा, यही तो हम हिंदुओं की संस्कृति का मूल आधार है।

वास्तव में देवर्षि नारद कालातीत हैं। नरसिंह अवतार में, भक्त प्रह्लाद को उपदेश देने के लिए वे उपस्थित हैं। रामायण में उनका अस्तित्व है तो महाभारत में भी युधिष्ठिर की सभा में प्रश्नोत्तर के द्वारा सुशासन का पाठ पढ़ाने के लिए मुनिवर नारद उपस्थित हैं। राष्ट्र होम के प्रत्येक उपलक्ष्य में हमें भी देवर्षि नारद की तरह हर जगह उपस्थित होना पड़ेगा। देवर्षि नारद इतिहासकार हैं, पूर्व कल्पों (अतीत) की बात जानने वाले, शिक्षा, व्याकरण, आयुर्वेद, ज्योतिष, वास्तु, संगीत, नीतिज्ञ, योग बल से समस्त लोकों का समाचार जान सकने में समर्थ और सबके हितकारी हैं। ये सारे गुण एक आदर्श पत्रकार के भी हैं। इसलिए देवर्षि नारद जी को आद्य पत्रकार कहा जाता है। हिन्दी का पहला समाचार पत्र ‘उदन्त मार्तंड’ था। कलकत्ता से प्रकाशित होने वाला यह पत्र साप्ताहिक था। संपादक जुगलकिशोर सुकुल ने इसे नारद जयंती के दिन प्रकाशित करने की ठानी थी। 30 मई 1826 को। देवर्षि नारद के इन्हीं गुणों के कारण भारतीय समाज में पत्रकारों की भूमिका विद्वान, समाज को जोड़ने वाले, समाज हित के लिए आग्रही इस प्रकार की रही। अपने लेखन का उपयोग पत्रकारबंधुओं ने हमेशा लोकहित में किया है।

देवताओं के कहने पर एक पत्रकार के रूप में भक्त धु्रव के समक्ष उपस्थित हुए नारदजी से ध्रुव ने पूछा...अमृत क्या है? नारद कहते हैं-‘अमृतम् वै सोमः’ ज्ञान और तप से उत्पन्न आनंद ही अमृत है। ध्रुव को दिए इस सूक्ष्म उपदेश का सार है- राजनीतिक गुलामी से मुक्त होकर, अब सांस्कृतिक दासता से भी मुक्त होने का प्रयास करते हुए अपने राज्य का सुख प्रजाहित में भोगो। ध्रुव को दिए नारदीय सूत्र आज भी भारत के युवाओं से राष्ट्रदेव की जय बोलने के लिए कह रहे हैं। ‘सं गच्छध्वं सं वदध्वं सं वो मनांसि जानताम्’-एक साथ रहो, एक वाणी बोलो, सुख‘-दुःख में सब साथ रहो। राष्ट्रीय एकता को अविच्छिन्न बनाए रखो। आज की परिस्थितियों में नारदीय सूत्र पहले से और अधिक प्रासंगिक हो गए हैं, जहां राष्ट्रीयता के नाम पर ऐक्य होना चाहिए था, वहां मतों में भिन्नता पाई जाती है। जैस राजनीति में दलबल होती है, वैसे ही सांस्कृतिक क्षेत्र में एक से दूसरे, दूसरे से तीसरे में बदलने के ठेकेदार खड़े हो गए हैं। हिंदुओं को उनकी सनातन परंपरा से दूर करने के षडयंत्र चल रहे हैं।

सांस्कृतिक राष्ट्रीयता के इस परिप्रेक्ष्य में विवेचना से पूर्व जरा यह विचार करें कि धर्म की शास्वत परिभाषा एवं सनातन स्वरूप क्या है? संस्कृति वस्तुतः वह है जो हम सभी नागरिकों को समरस बनाएं। हिंदुओं का सदा-सदा से यही रूप रहा है। अन्यान्य धर्मवलंबी अपने-अपने धर्म-पैगंबरों की रट लगाते रहते हैं, जबकि मात्र हिंदू ही एक ऐसा है, जो हिंदू-हिंदू नहीं चिल्लाता, बल्कि ‘मानव-मानव’ कहकर संबोधित करता है। गौरवमयी परंपरा वाले इस समाज की आज की आत्मविस्मृति का कारण हमें नारदीय सूत्रों से ढूंढ़ना होगा, ताकि देव संस्कृति के आदिमूल्यों को पुनस्र्थापित कर विश्वधर्म को पुरातनकाल की तरह ही सम्मानस्पद बनाया जा सके, सांप्रदायिक अलगाववाद-विद्वेष से झुलसती मानवता को मुक्ति दिलायी जा सके। हिंदुत्व को जगाना आज का सर्वाेपरि युगधर्म है। पत्रकारिता के क्षेत्र में नारदजी द्वारा स्थापित आदर्शों पर चलने का प्रण करना, यही उनके प्रति आदरांजली होगी..!

Updated : 7 May 2023 5:22 PM GMT
Tags:    
author-thhumb

Swadesh News

Swadesh Digital contributor help bring you the latest article around you


Next Story
Top