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मप्र : 1 जांच, 7 दिन, 3 चीफ और कई सवाल !

एसआईटी प्रमुख में बदलाव के अंदर की कहानी

मप्र : 1 जांच, 7 दिन, 3 चीफ और कई सवाल !
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भोपाल/प्रदीप भटनागर। मंगलवार देर शाम तक मध्यप्रदेश में भारतीय पुलिस सेवा अधिकारियों के तबादले की खबर सुनकर शायद ही किसी को आश्चर्य हुआ हो, क्योंकि पिछले एक अर्से से ये तबादले प्रदेश के सिस्टम का हिस्सा बन गया है। लेकिन इस बीच जैसे ही पता चला, कि इस तबादलों की सूची में हनी ट्रैप केस में गठित की गई एसआईटी के प्रमुख संजीव शामी का नाम भी शामिल है, तो एक बार के लिए हर कोई आश्चर्य में पड़ गया। क्योंकि यही वही शामी हैं, जिनको एसआईटी की कमान सिर्फ यह कहकर दी गई थी, कि वह इस मामले को बेहतर डील कर सकते हैं। लेकिन 6 दिन बाद जब शामी से ही यह भूमिका छीन ली गई, तो फिर सवाल उठे कि क्या 6 रोज पहले किए गए वादे झूठे थे ? और नए अधिकारी को लेकर जो दावे किए जा रहे हैं वो कितने सच्चे हैं ?

मध्यप्रदेश के हाई प्रोफाइल हनी ट्रैप मामले की जांच कर रही विशेष जांच टीम (एसआईटी) के प्रमुख को तीसरी बार बदल दिया गया है। सबसे पहले मामले की जांच श्रीनिवास वर्मा को सौंपी गई थी लेकिन 24 घंटे के अंदर ही उनसे यह जिम्मेदारी ले ली गई और संजीव शामी को एसआईटी प्रमुख बना दिया गया, लेकिन अब राजेंद्र कुमार को यह जिम्मेदारी दे दी गई। पुलिस मुख्यालय के अंडर में काम कर रही एसआईटी के प्रमुख में इस तरह के बदलाव से प्रदेश पुलिस की छवि तो खराब हुई ही, साथ ही यह मसला राज्य सरकार की किरकिरी का भी कारण बन रहा है। लेकिन ऐसे में यह सवाल उठना तय है, कि आखिर इस बदलाव के पीछे की कहानी क्या है ? और क्यों अचानक यह फैसला लिया गया। सूत्रों की मानें, तो प्रशासनिक हल्कों में इसके पीछे पुलिस के मुखिया वीके सिंह को ही जिम्मेदार माना जा रहा है। दरअसल सोमवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मुख्य सचिव एसआर मोहंती और पुलिस महानिदेशक वीके सिंह और एसआईटी प्रमुख संजीव शामी को तलब किया था। इस दौरान मुख्यमंत्री ने मामले में एटीएस के शामिल होने पर नाराजगी जताई। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, दो बड़े अधिकारियों और शीर्ष सलाहकारों ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को समझाया, कि इस मामले में इतने 'रहस्य' उजागर होंगे कि सरकार उसे संभाल नहीं सकेगी।

खबरों के मुताबिक, मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस सलाह को गंभीर तौर पर लिया और माना कि मामले की जांच में एटीएस को शामिल करना पुलिस महानिदेशक वीके सिंह की बड़ी गलती है, और मौजूदा वक्त में यह मामला एटीएस के हाथ में देने की नहीं, बल्कि किसी ऐसे हाथ में देने की जरूरत है, जो इस पूरे मामले को गंभीरता से ले सके, और पूरे घटनाक्रम को व्यवस्थित रख सके। जिसके बाद आनन-फानन इस एसआईटी के मुखिया में बदलाव कर राजेंद्र कुमार को इसकी जिम्मेदारी दी गई। गौरतलब है, कि राजेंद्र कुमार के पास कई गंभीर मामलों के निराकरण का अच्छा खासा रिकॉर्ड है।

मामले पर गंभीर सीएम कमलनाथ

दरअसल मुख्यमंत्री कमलनाथ इस बात को लेकर गंभीर हैं, कि दर्जनों राजनेताओं, नौकरशाहों और कारोबारियों की अश्लील फिल्में किसी भी तरह से लीक न हो पाएं। अगर ऐसा होता है, तो दूसरे रास्ते से ब्लैक मेलिंग का सिलसिला फिर शुरू हो जाएगा। चूंकि इस मामले का दायरा भी काफी बड़ा है, ऐसे में इसके साइड-इफैक्ट भी बड़े स्तर पर देखने को मिल सकते हैं। इसके लिए मामले की जांच को एक दिशा में गोपनीयता के साथ जारी रखने के लिए खुद सीएम इसकी मॉनीटरिंग करते नजर आ रहे हैं।

शुरू हुआ राजनीतिक टकराव ।

हनी ट्रैप केस में एसआईटी में हुआ फेरबदल एक मजाक की तरह है, जो गंभीर घटना के प्रति सरकार का दृष्टि उजागर करता है। मैं सरकार से अपील करता हूं कि वह कानून को अपना काम करने दें और इस मामले से दूर रहें। नहीं तो लोगों का एसआईटी से भरोसा उठ जाएगा

- शिवराज सिंह चौहान, पूर्व सीएम, मप्र

अगर शिवराज सिंह प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर इतना गंभीर हैं तो उनके राज में बड़े बड़े घोटाले कैसे हो गए। व्यापमं घोटाले से जुड़े दर्जनों लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन हैं। कमलनाथ सरकार अपना काम गंभीरता से कर रही है। हमें शिवराज सिंह की सलाह की जरूरत नहीं है।

- पीसी शर्मा, जनसंपर्क मंत्री, मप्र

Updated : 5 Oct 2019 2:47 PM GMT
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