Home > स्वदेश विशेष > मरना ही है तो राम के लिए मरेंगे

मरना ही है तो राम के लिए मरेंगे

मरना ही है तो राम के लिए मरेंगे
X

अयोध्या/विशेष प्रतिनिधि। प्रभु राम को अपनी गोद में खिलाने वाली अयोध्या नगरी की माटी और प्रतिदिन उनके पांव पखारने वाली सरयू मैया जहां रामलला को बरसों से टेंट में देखकर विलाप कर रही हैं, वहीं अब मंदिर निर्माण में विलंब को देखकर देश के विभिन्न भागों में लोगों का गुस्सा उफान मारने लगा है। उच्चतम न्यायालय के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा द्वारा रामजन्म भूमि विवाद की अंतिम सुनवाई निश्चित करने के बाद जो आस जगी थी, वह वर्तमान प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई द्वारा टालने से धूमिल होने के साथ ही अब निराशा व आक्रोश में बदलती दिख रही है। यह आक्रोश ही है कि अयोध्या में रविवार को होने वाली धर्मसभा के लिए देशभर से लोग जुटे हैं।

बिहार के जहानाबाद जिले पोंढरी गांव के जगदीश शर्मा आयु के अंतिम पड़ाव पर हैं, पर राम लला को भव्य महल में देखने की उनकी आशा आज भी जवान है। बैंक में मैनेजर पद से सेवानिवृत्त 90 वर्षीय शर्मा रामजन्म भूमि की यह स्थिति देखकर दुखी हैं और कहते हैं, धीरज की भी एक सीमा होती है। हमारी कितनी पीढय़िां रामलला का मंदिर देखने की आस संजोए चली गयीं। जब उच्चतम न्यायालय ने अंतिम सुनवाई की तिथि निश्चित की थी तो लगा था कि हम सौभाग्यशाली हैं और शीघ्र ही मंदिर बनेगा। लेकिन अब आस टूट रही है। इसलिए हम धर्मसंसद में भाग लेने अयोध्या चले आए। मरना तो है ही एक दिन, लेकिन मरना ही है तो रामलला के लिए मरेंगे।

दरअसल, अयोध्या में हो रहे धर्मसंसद को लेकर उत्तरप्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के विभिन्न राज्यों में हलचल तेज हो गयी है। उत्तरभारत के साथ ही दक्षिण भारत में भी रामलला के मंदिर के पक्ष में माहौल तेजी से बदल रहा है। दक्षिण के केरल में सबरीमलै मंदिर की पवित्रता को बचाए रखने के लिए केरल सहित तमिलनाडु, कर्नाटक व आंध्र प्रदेश के लोग पहले से ही संघर्षरत व आक्रोशित हैं। वे राम मंदिर पर लाए जा रहे अड़ंगे को सबरीमाला मंदिर मामले से जोड़ रहे हैं। चेन्नई निवासी जगन श्रीधर कहते हैं, सनातन धर्म की परंपराओं पर लगातार हमला हो रहा है। राम पूरे देश के हैं। सारा जगत जानता है कि अयोध्या का विवादित स्थल राम की जन्मभूमि है। फिर भी जो राम सारे जग को छत देते हैं, वही 26 बरस से टेंट में हैं। राम जन्मस्थान को जबरन विवादित बनाया गया है। जिस तरह केरल स्थित सबरीमलै हम सभी हिंदुओं का पवित्र स्थल है, लेकिन उसकी पवित्रता के विरुद्ध षडयंत्र किए जा रहे हैं। उसी तरह राममंदिर के विरुद्ध भी षडयंत्र हो रहा है। सबरीमाला में हमारा संघर्ष जारी है और अपवित्र नहीं करने देंगे और भगवान राम के मंदिर के लिए भी संघर्ष करेंगे। राममंदिर निर्माण को समर्थन देने के लिए हम लोग यहां से अयोध्या कूच करने की तैयारी कर रहे हैं। राममंदिर बनना चाहिए, चाहे न्यायालयीन निर्णय से अथवा कानून लाकर। न्याय प्रदान करने में इतना विलंब अन्याय के बराबर लगने लगता है।

बता दें कि गत 27 सितम्बर को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने 29 अक्टूबर से इस मामले की अंतिम सुनवाई की तिथि निश्चित की थी। नियत तिथि पर यह मामला अंतिम सुनवाई के लिए उच्चतम न्यायालय के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल व न्यायमूर्ति केएम जोसफ की पीठ के समक्ष जैसे ही प्रस्तुत हुआ, पीठ ने मामले की सुनवाई जनवरी के प्रथम सप्ताह तक टालने का निर्देश देते हुए नयी पीठ के गठन की बात कही।

Updated : 25 Nov 2018 2:19 PM GMT
Tags:    
author-thhumb

Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


Next Story
Top