स्वदेश विशेष: अपनी सादगी और सरलता के लिए जाने जाते हैं मध्यप्रदेश के नवनिर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल

भारतीय जनता पार्टी ने मध्यप्रदेश के नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में बैतूल विधायक हेमंत खंडेलवाल को निर्विरोध चुना है। यह नियुक्ति दर्शाती है कि पार्टी ने एक ऐसे नेता को जिम्मेदारी सौंपी है जो अपने सादे जीवन, मजबूत संगठनात्मक पकड़ और हर वर्ग में स्वीकार्यता के लिए जाने जाते हैं।
सादगी की मिसाल, विधायक होने के बावजूद भी करते हैं टोल टैक्स का भुगतान
हेमंत खंडेलवाल का जीवन और राजनीतिक शैली दिखाती है कि वे दिखावे से दूर, वास्तविकता से जुड़े हुए नेता हैं। वर्ष 2023 में जब वे छिंदवाड़ा के पर्यवेक्षक के तौर पर पहुंचे थे, तब एक किस्सा खूब चर्चा में आया था।
उनकी गाड़ी में Fastag लगा देखकर किसी ने पूछा, “आप तो विधायक हैं, टोल माफ होता है, फिर Fastag क्यों?”
उन्होंने सहजता से जवाब दिया – “भाईसाहब, जब सुविधा ले रहे हैं, तो भुगतान क्यों नहीं करें?”
उनका यह जवाब बताता है कि वे केवल जिम्मेदारी निभाते नहीं, बल्कि उदाहरण पेश करते हैं।
बिना गार्ड, बिना भव्य काफिले के चलते हैं
बैतूल भाजपा अध्यक्ष और पार्टी के बाकी कार्यकर्ताओं का यह कहना है कि हेमंत खंडेलवाल के पास न तो सरकारी वाहन है और न ही गार्ड। जो वेतन उन्हें मिलता है, वह भी ज़रूरतमंदों में बांट देते हैं। उनका विश्वास है कि सुरक्षा जनसेवा में नहीं, जनता के विश्वास में है। यही कारण है कि वे कभी VIP संस्कृति के हिमायती नहीं रहे।
40 साल से राजनीति में सक्रिय, लेकिन हमेशा लो-प्रोफाइल
हेमंत खंडेलवाल राजनीति में नए नहीं हैं। वे 1986 में ही भारतीय जनता युवा मोर्चा में ब्लॉक कोषाध्यक्ष बने थे। उस समय की एक घटना बताई जाती है जब चुनाव प्रचार के दौरान गाड़ी बंद हो गई थी, तब उन्होंने खुद उसे धक्का लगाकर बैतूल तक पहुंचाया। यह घटना बताती है कि वे हमेशा ज़मीन से जुड़े रहे हैं।
संगठन के सच्चे सिपाही, सबकी सहमति से बने अध्यक्ष
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो अध्यक्ष पद के लिए उनके नाम पर किसी को भी आपत्ति नहीं थी। वे संगठन के उन गिने-चुने नेताओं में शामिल हैं जिनका नाम सबकी सहमति से सामने आया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने खुद उनके नाम का प्रस्ताव रखा।
राजनीति में विरोधी भी करते हैं तारीफ
ऐसा कहा जाता है कि हेमंत खंडेलवाल उन विरले नेताओं में हैं जो "बोलने से ज्यादा करने" में विश्वास रखते हैं। उनके राजनीतिक विरोधी भी अक्सर उनके काम की सराहना करते हैं। चाहे विधायक रहें हों या सांसद, उन्होंने कभी ट्रांसफर-पोस्टिंग जैसे मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया।
सेवा भावना और संवेदनशीलता की जीवंत मिसाल
हेमंत खंडेलवाल के करीबी बताते हैं कि उन्होंने कभी यह नहीं देखा कि मदद मांगने वाला उनका समर्थक है या विरोधी। चाहे गरीब बेटियों की शादी कराना हो या आर्थिक संकट में फंसे छात्रों की मदद, वे हमेशा आगे रहते हैं।
उनकी 'स्वर्ग रथ' पहल, जिसके ज़रिए अंतिम संस्कार के लिए शव वाहन उपलब्ध कराए जाते हैं, उनकी सामाजिक सोच को दर्शाती है।
राजनीति में नहीं किया समझौता
अपने पूरे राजनीतिक जीवन में उन्होंने कभी अपने विचारों या संगठन के सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। यही कारण है कि वे विधायक, प्रदेश कोषाध्यक्ष से लेकर कुशाभाऊ ठाकरे ट्रस्ट के कामकाज तक सभी जिम्मेदारियां बेदाग़ रूप से निभाते रहे हैं।
हेमंत खंडेलवाल उन राजनेताओं में हैं जो राजनीति को सेवा मानते हैं, न कि सत्ता का साधन। वे दिखावे से दूर, विचारों और सिद्धांतों के साथ चलने वाले नेता हैं। उनके अध्यक्ष बनने से यह साफ है कि भाजपा को नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में एक योग्य और कर्मठ कार्यकर्ता मिला है।