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राहुल गांधी ने वक्त की सुई फिर चौरासी पर मोड़ दी

भारत में क्रिकेट और राजनीति में गजब का तालमेल माना जाता है। संसद से लेकर गांव की सड़कों, चौपालों तक दोनों की चर्चा बता देती है कि देश की जनता का मिजाज क्या है ?

राहुल गांधी ने वक्त की सुई फिर चौरासी पर मोड़ दी
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दक्षिण अफ्रीका के दिग्गज हरफनमौला क्रिकेटर लांस क्लूसनर ने अपनी खीज व्यक्त करते हुए कहा था कि क्रिकेटर की अनिश्चितता को देख लगता है कि क्रिकेट छोड़कर समुद्र में मछली पकडऩे के काम में लग जाऊं। लांस क्लूसनर महान खिलाड़ी थे। फील्डिंग से लेकर गेंदबाजी और अंतिम दसवें विकट पर उनकी कमाल की बल्लेबाजी उनकी धैर्य क्षमता का मिसाल थी। वे अकेले दम पर मैच को आखिरी गेंद तक ले जाते। मैदान पर ऐसा दृश्य बनवा देते कि मैच देखने वालों की सांसें थम जाती। क्लूसनर अगर पिच पर हों तो कोई भी क्रिकेट का जानकार यह मानने को तैयार नहीं होता कि अफ्रीका मैच हार जाएगा, स्थितियां भले ही कितनी भी प्रतिकूल क्यों न हों। हालांकि यह दीगर बात है कि दूसरी छोर पर रहने वाले साथी खिलाड़ी ने निराश किया। दक्षिण अफ्रीका ने कभी भी विश्व कप नहीं जीता। भारत में क्रिकेट और राजनीति में गजब का तालमेल माना जाता है। संसद से लेकर गांव की सड़कों, चौपालों तक दोनों की चर्चा बता देती है कि देश की जनता का मिजाज क्या है? कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पार्टी को सत्ता में लाने की जीतोड़ मेहनत कर रहे हैं। देश-विदेश की मंचों से नई-नई बहसों को जन्म दे रहे हैं। इसी प्रयास में वे शिखर तक पहुंचकर शून्य पर आ जाते हैं। वे राजनीति के देसी क्लूसनर तो नहीं हो सकते पर हां इसी तरह की गल्तियां उन्हें क्लूसनर की तरह मछलियां पकडऩे को मजबूर न कर दें।

राहुल गांधी देश की राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस के खेवनहार हैं। वे जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी के उत्तराधिकारी हैं। वे देश की मंचों से खुद की व पार्टी की फजीहत करवाते रहे हैं अब यह काम विदेशी मंचों से करने लगे हैं। हाल के दिनों में उनके कई बयानों ने पार्टी की खूब किरकिरी करवाई। विदेशी जमीन पर संघ की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड से करना, चौरासी के सिख दंगों में कांग्रेस को पाक-साफ करार देकर उन्होंने वक्त की सुई फिर चौरासी पर मोड़ दी और एक नई बहस छेड़ दी। क्या राहुल गांधी को याद है कि प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने 11 अगस्त..2005 को संसद में कहा था, 'चौरासी में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जो कुछ भी हुआ हमारा सिर शर्म से झुक गया ...। मुझे सिख बिरादरी से माफी मांगने में केाई संकोच नहीं है, मैं चौरासी की घटना के लिए सिर्फ सिखों से नहीं पूरे देश से माफी मांगता हूं।Ó यह कांग्रेस की ओर से बहुत देरी के बाद निभाया गया राजधर्म था। राहुल गांधी ने किस आधार पर उलटबासी की? उन्होंने एक ही झटके में सिखों की पीड़ा और दर्द पर नमक छिड़क दिया, जिस पर कभी मनमोहन सिंह ने मरहम लगाया था।

विदेशी जमीन पर राहुल गांधी आतंकवाद को बेरोजगारी से जोडऩे की अतिश्योक्ति कर डालते हैं। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी के कारण लोग आतंकवादी बन रहे हैं। क्या उन्हें अपनी अनभिज्ञता का मलाल नहीं कि अल जवाहिरी, बुरहान वानी, और वैसे कई आतंकवादी इंजीनियर से लेकर प्रबंधन तक की बेहतरीन नौकरी में थे। इन लोगों ने ग्लैमर की दुनिया छोड़ आतंकवाद की राह चुनी। क्या यह बेरोजगारी के कारण ? इनके दिमाग में धार्मिक कट्टरता का जहर वायरल हो गया था। इस उन्माद में ही कोई इंसान आतंकवादी बनकर अधिवक्ताओं, पत्रकारों, नेताओं, लेखकों, बुद्धिजीवियों का सिर काटते हुए वीडियो बनाकर दुस्प्रचार करने का दुस्साहस कर सकता है।

सरकार के खिलाफ राफेल का मामला भी वे विदेशी जमीन से उठाने से नहीं चूक रहे।

मजबूत विपक्ष की लोकतंत्र में उसी तरह आवश्यकता होती है जैसे शरीर के लिए आक्सीजन की। यह भारतीय लोकतंत्र की विशालता व महानता ही है कि राहुल गांधी खुद को स्थापित करने के लिए जमीन तलाश रहे हैं। उन्हें सोचना पड़ेगा कि वे जिन कदमों के साथ आगे बढ़ रहे हैं उनके साथ दूसरी छोर पर खड़े साथी सही दिशा दे रहे हैं या नहीं। कहीं ऐसा तो नहीं कि उनके सलाहकार कांग्रेस के साथ उनकी लुटिया भी न डुबो दें।

Updated : 3 Sep 2018 2:45 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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