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कमलनाथ के लिए अपने बन रहे हैं मुसीबत

सबको साधना आसान नहीं, मंत्री पद नहीं मिला तो नाराज हुए कई विधायक

कमलनाथ के लिए अपने बन रहे हैं मुसीबत
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राजनीतिक संवाददाता भोपाल । प्रदेश में सत्ता के सिंहासन पर बैठते ही कांग्रेस को अपनों के ही विरोध का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश सरकार में शामिल नये मंत्रियों को विभाग बांटने को लेकर कांग्रेस के क्षत्रपों के बीच जारी दवाब की राजनीति के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जैसे ही विभागों का बंटवारा किया। मंत्री बनने से वंचित रह गए विधायक तथा मन चाहा मंत्रालय न मिलने से नाराज मंत्रियों की नाराजगी सामने आने लगी। विभाग आवंटन में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने वरिष्ठता-कनिष्ठता का समन्वय बनाने की कोशिश जरुर की, लेकिन विभागों बंटबारे पर नजर डालें तो वरिष्ठ मंत्रियों के मुकाबले कनिष्ठ मंत्री ज्यादा प्रभावशली होकर उभरे हैं। प्राथमिकता के आधर पर वरिष्ठ और दिग्विजय सिंह सरकार में मंत्री रहे विधायकों को कनिष्ठ मंत्रियों के मुकाबले अपेक्षाकृत कमजोर विभाग सौंपे गए हैं। विभागों के बंटवारे को लेकर जिस तरह पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का दबदबा दिखाई दे रहा है। उसके उलट पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थक मंत्रियों को मनचाहा विभाग दिलाने में नाकाम रहे। श्री सिंधिया ग्वालियर से विधायक प्रद्युम्न सिंह तोमर को नगरीय प्रशासन, तुलसी सिलसवट को गृह या वित्त, डॉ. प्रभुराम चौधरी के लिए स्वास्थ्य विभाग दिए जाने की सिफारिश कर रहे थे। कमलनाथ मंत्री परिषद में शामिल होने और मनचाहा विभाग न मिलने को लेकर फूटा गुस्सा फिलहाल भले ही मंद पड़ गया है, लेकिन आने वाले समय में यह बड़ा संकट बन सकता है।

इधर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह कड़ी मेहनत के बाद अपनी छवि बदलने में कामयाब रहे थे। लोग मानने लगे थे कि दिग्विजय सिंह ने संगठन के लिए काम किया और कांग्रेस की सरकार बनवाई लेकिन बेटे जयवर्धन सिंह और भतीजे प्रियवत सिंह को मंत्रीपद दिलाने व जयवर्धन को वित्त विभाग दिलाने की जिद में उनकी काफी किरकिरी हुई। हालात यह बने कि वो अपने ही नजदीकी विधायकों के निशाने पर आ गए। दिग्विजय बेटे जयवर्द्धन सिंह को वित्त दिलवाना चाहते थे। उनकी इस मांग के कारण मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा तीन दिन लटका रहा। मामला दिल्ली तक पहुंचा। पहली बार दिग्विजय सिंह के नजदीकी विधायकों ने भी दिल्ली पहुंचकर मंत्रियों के चयन पर सवाल उठाया। हालांकि उन्होंने दिग्विजय सिंह का नाम नहीं लिया लेकिन कांग्रेस में सभी जानते हैं कि वो किस पर उंगली उठा रहे थे। जयवर्धन को वित्त विभाग के नाम पर कई वरिष्ठ नेता अड़ गए। मामला राहुल गांधी के पास पहुंचा। उन्होंने अहमद पटेल को इसे सुलझाने को कहा। इधर दिग्विजय सिंह समर्थक विधायकों का विरोध मुखर हो गया। ऐंदल सिंह कंसाना, केपी सिंह और बिसाहूलाल तो दिल्ली जा पहुंचे। ऐंदल सिंह कंसाना ने अपने साथ 10 विधायकों के इस्तीफे की धमकी दे डाली। दिग्विजय सिंह को बैकफुट पर आना पड़ा और जयवर्धन सिंह को वित्त विभाग नहीं मिल पाया।

मालवा-निमाड़ क्षेत्र में जयस का है खासा प्रभाव

बता दें कि धार जिले के मनावर विधानसभा क्षेत्र से डॉ. अलावा कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीते हैं। जयस और कांग्रेस के बीच हुए गठबंधन के चलते यह विधानसभा क्षेत्र उन्हें दिया गया था। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पहली बार के विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल न किए जाने की बात कहने के बाद डॉ. अलावा के इस ट्वीट को काफी अहम माना जा रहा है। जयस का मालवा निमाड़ क्षेत्र में प्रभाव है और कांग्रेस ने जयस से समझौता कर एक सीट जयस को दी थी। जयस के साथ हुए समझौते से कांग्रेस को मालवा निमाड़ में बड़ी सफलता मिली है। जयस अब सरकार में हिस्सेदारी मांग रहा है।

विद्रोह के बने हालात

पार्टी के ही वरिष्ठ विधायकों ने मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज होकर मोर्चा खोल दिया है। खास बात यह है कि नाराज होने वाले विधायकों में वे विधायक शामिल हैं जो अधिक मतों से जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। नाराज होने वाले कांग्रेस विधायकों में राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ही नहीं बल्कि ऐंदल सिंह कंसाना जैसे नाम शामिल हैं। इनमें से कंसाना समर्थक तो सडक़ पर उतरकर पनी नाराजगी तक जाहिर कर चुके हैं। माना जा रहा है कि यह दोनो ही विधायक इतने खफा हैं कि अगर उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया तो वे पार्टी को भी छोड़ सकते हैं। कई विधायकों के समर्थकों ने तो अपने गुस्से का इजहार कांग्रेस संगठन मंत्री चंद्र प्रभाष शेखर से किया है। इनके अलावा तीन निर्दलीय , बसपा और सपा के विधायक भी मंत्री पद न मिलने से नाराज चल रहे हैं। न केवल नाराज चल रहे हैं बल्कि उन्होंने राजधानी के पलाश होटल में बैठक कर अपनी आगे की रणनीति पर भी विचार किया है। इनके इस कदम ने कमलनाथ के लिए परेशानी ख?ी करने के संकेत दिए हैं। ज्ञात हो कि विधानसभा चुनावों में मुरैना जिले में कांग्रेस ने क्लीन स्वीप करते हुए छह की छह सीटों पर जीत का परचम लहराया था। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो सभी को उम्मीद थी कि सुमावली से विधायक बनें ऐंदल सिंह कंसाना को सरकार में मंत्री बनाया जाएगा वरिष्ठता के आधार पर भी उनका दावा मंत्री पद के लिए बनता था।लेकिन मुरैना से एक भी विधायक को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली।

यह विधायक हैं असंतुष्ट

प्रदेश सरकार में मंत्री पद न मिलने से केपी सिंह पिछोर, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, वीर सिंह भूरिया थांदला, झूमा सोलंकी भीकमगांव, दीपक सक्सेना छिंदवाड़ा, पंचीलाल मेडा धरमपुरी, ऐंदल सिंह कंसाना सुमावली, तथा बिसाहूलाल सिंह अनूपपुर शामिल है।

मंत्री पद को लेकर अड़े हीरालाल अलावा

जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन (जयस) के प्रमुख और कांग्रेस के विधायक डॉ. हीरालाल अलावा ने मंत्री न बनाए जाने पर अपनी ही पार्टी के लिए चेतावनी जारी कर दी थी। वहीं,ऐसा लग रहा है कि अब पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह भी हीरालाल के समर्थन में आ गए हैं। दरअसल, दिग्विजय सिंह ने हाल ही में एक ट्वीट किया है, जिससे लग रहा है कि सिंह जयस का साथ दे रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर जयस के डॉ. हीरालाल अलावा का इशारों ही इशारों में साथ दिया और कहा, प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने में आदिवासियों का बहुत बड़ा सहयोग रहा है। जिसमें जयस का सहयोग भी उल्लेखनीय रहा है। हम इसे स्वीकार करते हैं। अब मध्यप्रदेश शासन को अपने वचन पत्र में दिये गये वचनों को पूरा करने के लिये कोई कसर बाकी नहीं छोडऩी चाहिए। बता दें कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पहली बार विधायक बने सदस्यों को मंत्री न बनाए जाने का ऐलान किया था, उसके बाद से उन निर्वाचित सदस्यों में बेचैनी है जो मंत्री बनने का सपना संजोए हुए थे। जयस प्रमुख और कांग्रेस के विधायक डॉ. हीरा अलावा ने मंत्री न बनाए जाने पर अपनी ही पार्टी को चेतावनी देकर मुसीबत में डाल दिया है। जयस प्रमुख अलावा ने एक ट्वीट कर चेतावनी देते हुए कहा था, जयस ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। वादे के मुताबिक जयस की भागीदारी सरकार में होनी चाहिए, जयस को अनदेखा करना कांग्रेस की बड़ी भूल होगी।

Updated : 5 Jan 2019 9:42 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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