भारत का अमेरिका को आखिरी प्रस्ताव

डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने के बाद से दोनों देशों के संबंधों में लगातार कटुता चली आ रही है। भारत और अमेरिका के लिए व्यापारिक और कूटनीतिक दृष्टिकोण से यह साल अच्छा नहीं रहा है। दोनों देशों के संबंधों में तनाव देखने को मिला है। इस बीच अमेरिका के जाने-माने सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने दोनों देशों के संबंधों और पुराने साझेदारों के बीच आर्थिक व सुरक्षा सहयोग को कमजोर करने के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है।
वहीं दूसरी ओर भारत ने अमेरिका के सामने व्यापार वार्ता में अपना आखिरी प्रस्ताव रख दिया है। भारत और अमेरिका ने आर्थिक संबंधों को और गहरा करने की दिशा में एक और कदम बढ़ाया है। वाशिंगटन में भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा ने सर्जियो गोर से मुलाकात की। इस बैठक में व्यापार संबंधों के साथ ही नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच व्यापक द्विपक्षीय साझेदारी पर ध्यान केंद्रित किया गया।
विनय मोहन क्वात्रा और सर्जियो गोर के बीच यह बैठक ‘मार-ए-लागो’ में हुई, जहां दोनों राजदूतों ने सौहार्दपूर्ण वातावरण में चर्चा की। व्यापार वार्ता में भारत चाहता है कि उस पर लगाए गए कुल 50 प्रतिशत टैरिफ को घटाकर 15 प्रतिशत किया जाए और रूस से कच्चा तेल खरीदने पर लगाई गई अतिरिक्त 25 प्रतिशत पेनाल्टी को पूरी तरह समाप्त किया जाए। दोनों देशों के बीच चल रही इस वार्ता से नए साल में किसी ठोस फैसले की उम्मीद है।
माना जा रहा है कि भारत की यात्रा पर आए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से व्यापारिक समझौतों के बाद पुरानी दोस्ती के कारण भारत उत्साहित है। वहीं इससे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प नए सिरे से सोचने को मजबूर हुए हैं। वाणिज्य मंत्रालय का मानना है कि समझौते पर जल्द सहमति बन सकती है, हालांकि कोई तय समय-सीमा नहीं बताई गई है।
दोनों देशों के बीच बातचीत दो मुद्दों पर हो रही है-स्थायी व्यापार समझौता और अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ को हटाने या कम करने पर। यदि अमेरिका भारत पर लगाया गया 50 प्रतिशत टैक्स घटाकर 15 प्रतिशत कर देता है और रूस से तेल खरीदने पर 25 प्रतिशत की पेनाल्टी हटा देता है, तो भारतीय सामान अमेरिका में सस्ता होगा, जिससे निर्यात बढ़ेगा।
अमेरिका का कहना है कि भारत के रवैये से रूस को यूक्रेन युद्ध जारी रखने में मदद मिल रही है। भारत का कहना है कि यह पेनाल्टी गलत है और इसे तुरंत हटाया जाना चाहिए। जनवरी में आने वाले आंकड़ों में भारत के रूसी तेल आयात में बड़ी गिरावट दिख सकती है। 21 नवंबर से रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों-रोसनेफ्ट और लुकोइल-पर अमेरिकी प्रतिबंध लागू हुए हैं। इसके बाद भारत का रूस से तेल आयात घटने लगा है।
नवंबर में भारत का रूसी तेल आयात करीब 17.7 लाख बैरल प्रति दिन था, जो दिसंबर में घटकर लगभग 12 लाख बैरल प्रति दिन रह गया। आने वाले समय में यह 10 लाख बैरल प्रति दिन से भी नीचे जा सकता है। यूक्रेन युद्ध के बाद भारत रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार बन गया था, जिस पर ट्रम्प प्रशासन ने कई बार सवाल उठाए हैं। अमेरिकी अधिकारियों ने आरोप लगाया था कि भारत रूस से तेल खरीदकर अप्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन पर हो रहे हमलों को फंड कर रहा है।
भारत की मंशा यूरोपीय यूनियन को मिली रियायतों जैसी है। ऐसे में अमेरिका को यह निर्णय करना है कि भारत के साथ दीर्घकालिक व्यापार के लिए कितनी रियायत दी जाए। इसलिए सबकी निगाहें अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के फैसले पर टिकी हैं। वैसे भी भारत की विदेश और व्यापार नीति के कारण कई बड़े देश उससे मधुर संबंध रखना चाहते हैं। यही कारण है कि अमेरिका, रूस, जर्मनी सहित कई देश भारत से व्यापार कर रहे हैं।
