भारत-कनाडा संबंध

भारत-कनाडा संबंध
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मुनीष भाटिया

सुधार की दिशा में नई पहल और संभावनाएं

भारत और कनाडा के बीच संबंध ऐतिहासिक रूप से सौहार्दपूर्ण रहे हैं। दोनों देश लोकतांत्रिक मूल्यों, बहुसांस्कृतिक समाज और वैश्विक सहयोग की समान विचारधारा साझा करते हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यह संबंध राजनीतिक मतभेदों और कुछ विवादास्पद घटनाओं के कारण तनावपूर्ण दौर से गुजरा। इसका सबसे अधिक प्रभाव उन आम भारतीय नागरिकों, छात्रों और पेशेवरों पर पड़ा जो कनाडा में अपनी शिक्षा और रोजगार के माध्यम से जीवन निर्माण कर रहे हैं। अब जब दोनों देशों के बीच संबंध सुधार की दिशा में नई पहल दिखाई दे रही हैं, तो उम्मीद की किरण फिर से जाग उठी है।

भारत-कनाडा संबंधों में गिरावट की मुख्य वजह रही कनाडा में सक्रिय भारत-विरोधी गतिविधियाँ। भारत ने लगातार यह चिंता जताई कि कनाडा की भूमि का उपयोग भारत-विरोधी गतिविधियों के लिए किया जा रहा है। इस विषय पर कई बार राजनयिक स्तर पर असहमति और बयानबाजी हुई, जिसने द्विपक्षीय संवाद को प्रभावित किया। स्थिति तब और तनावपूर्ण हुई जब कुछ राजनीतिक समूहों ने कनाडा में देशद्रोही समर्थक प्रदर्शन और हिंसक गतिविधियाँ आयोजित कीं। भारत की नजर में यह न केवल उसकी आंतरिक सुरक्षा में हस्तक्षेप था, बल्कि द्विपक्षीय विश्वास को भी कमजोर करने वाला कदम था।

इन घटनाओं के चलते उच्च-स्तरीय वार्ता ठप पड़ गईं, निवेश और व्यापारिक समझौतों की गति धीमी हो गई, और शिक्षा व वीजा जैसे विषयों पर अप्रत्यक्ष असर पड़ा। हजारों भारतीय छात्र जो कनाडा में पढ़ाई या नौकरी की तलाश में थे, उन्हें वीजा प्रक्रियाओं में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

अब हालात धीरे-धीरे बदलते दिखाई दे रहे हैं। हाल के महीनों में दोनों देशों की सरकारों ने संवाद बहाल करने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की हैं। द्विपक्षीय वार्ता के पुनः प्रारंभ होने से यह संकेत मिला है कि भारत और कनाडा अब अपने मतभेदों को पीछे छोड़कर सहयोग की नई राह पर चलना चाहते हैं। सबसे उल्लेखनीय परिवर्तन यह है कि कनाडा सरकार ने भारत की सुरक्षा चिंताओं को अधिक गंभीरता से लेना शुरू किया है। आतंकी संगठनों की गतिविधियों पर निगरानी और नियंत्रण के संकेत मिले हैं। यह कदम न केवल भारत के हित में है, बल्कि कनाडा के अपने सामाजिक ताने-बाने की स्थिरता के लिए भी आवश्यक है। आतंक किसी भी लोकतंत्र के लिए घातक होता है, और यदि कनाडा इस दिशा में ठोस कार्रवाई करता है, तो यह संबंधों में भरोसे का नया अध्याय खोलेगा।

भारत और कनाडा के बीच व्यापारिक संबंध लंबे समय से परस्पर लाभकारी रहे हैं। कृषि, तकनीकी, शिक्षा, ऊर्जा और खनन जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग की अपार संभावनाएँ हैं। भारतीय आईटी कंपनियाँ और स्टार्टअप कनाडा में अपनी उपस्थिति मजबूत कर रहे हैं, वहीं कनाडाई कंपनियाँ भारत के विशाल बाजार में निवेश बढ़ा रही हैं। 2023-24 के दौरान राजनीतिक तनाव के चलते व्यापारिक गतिविधियाँ प्रभावित हुईं। कई कंपनियों ने निवेश योजनाएँ रोक दीं और दोनों देशों के बीच निर्यात-आयात में गिरावट दर्ज की गई। लेकिन अब सुधार की दिशा में उठाए जा रहे कदम इन अड़चनों को दूर करने की क्षमता रखते हैं। जैसे ही राजनीतिक स्थिरता बढ़ेगी, निवेश का माहौल बेहतर होगा और नए व्यापारिक समझौते संभव होंगे।

कनाडा भारतीय छात्रों के लिए सबसे पसंदीदा शैक्षणिक गंतव्यों में से एक है। वर्तमान में लगभग तीन लाख से अधिक भारतीय छात्र वहाँ अध्ययन कर रहे हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में भारतीय पेशेवर वर्क वीजा पर कनाडा में कार्यरत हैं। इन छात्रों और कामगारों ने दोनों देशों के बीच न केवल आर्थिक बल्कि सांस्कृतिक पुल भी बनाया है। हालांकि, संबंधों में तनाव के चलते वीजा नीतियों और वर्क परमिट की प्रक्रियाओं में कठिनाइयाँ आने लगी थीं। इससे छात्रों की पढ़ाई और करियर पर असर पड़ा। यदि अब संबंधों में स्थिरता आती है, तो वीजा प्रक्रिया सुचारू होगी, शैक्षणिक अवसर बढ़ेंगे और पेशेवर सहयोग के नए रास्ते खुलेंगे।

भारत और कनाडा के बीच मानव संबंधों की जड़ें गहरी हैं। कनाडा में चौदह लाख से अधिक भारतीय मूल के लोग रहते हैं जो कनाडा के सामाजिक और आर्थिक जीवन में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। ये प्रवासी समुदाय दोनों देशों के बीच सेतु का काम करता है। जब राजनीतिक माहौल शांत होता है, तो इस प्रवासी भारतीय समुदाय के लिए अवसर बढ़ते हैं और दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक जुड़ाव मजबूत होता है।

भारत-कनाडा संबंधों का सुधार केवल एक राजनीतिक आवश्यकता नहीं, बल्कि दोनों देशों के नागरिकों की साझा आकांक्षा है। स्थिर और सहयोगी संबंध शिक्षा, रोजगार और व्यापार के अवसरों को बढ़ाते हैं, जबकि उग्रवाद और अविश्वास केवल नुकसान पहुँचाते हैं। यदि दोनों देश आपसी सम्मान और सुरक्षा चिंताओं को प्राथमिकता देते हुए आगे बढ़ते हैं, तो यह साझेदारी वैश्विक स्तर पर भी एक आदर्श उदाहरण बन सकती है।

आगामी वर्षों में उम्मीद की जा सकती है कि भारत और कनाडा आतंकवाद के विरुद्ध साझा नीति अपनाएँगे, व्यापारिक समझौतों को नई गति देंगे और शिक्षा व तकनीकी सहयोग के क्षेत्र में नई ऊँचाइयाँ प्राप्त करेंगे। भारत-कनाडा संबंधों का सुधार एक सकारात्मक संकेत है, जो केवल राजनीतिक लाभ तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि छात्रों, कामगारों, निवेशकों और आम नागरिकों के जीवन में भी स्थिरता, अवसर और विकास लेकर आएगा। यदि कनाडा खालिस्तानी तत्वों पर ठोस कार्रवाई कर भारत की चिंताओं को दूर करता है, तो यह न केवल राजनीतिक तनाव कम करेगा बल्कि विश्वास, सहयोग और साझेदारी के नए युग की शुरुआत भी करेगा।

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