हाइप्रोफाइल मंत्रालय से नीतीश को परहेज, पासवान को मोह
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नई दिल्ली/विशेष प्रतिनिधि। एनडीए के सहयोगी दलों में जद (यू) जहां बहुत हाइप्रोफाइल मंत्रालय लेने इच्छुक नहीं है, वहीं लोजपा नेता रामविलास पासवान हाइप्रोफाइल मंत्रालय हाथ से जाने नहीं देना चाहते, इसलिए मंत्री नहीं बनने की इच्छा जताने के बाद अपनी पार्टी से अपना नाम भिजवाया है। शिवसेना इस बार दो कैबिनेट, दो राज्यमंत्री चाह रही है, वहीं अकाली दल और अपना दल एक-एक मंत्रालय पर रजामंद हो गए हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अपना समीकरण है। वह अपनी पार्टी से भारी-भरकम मंत्री नहीं बनने देना चाहते। कारण ये है कि यदि केन्द्र सरकार में मंत्री बनने वाले नेता का चेहरा बिहार में बड़ा हो गया तो वह उनके लिए कष्टप्रद बन जाएगा। इसीलिए पिछली सरकार में मंत्रिमंडल फेरबदल में हिस्सा होने के बाद भी नीतीश की तरफ से किसी को मंत्री नहीं बनाया गया और उसके बदले में उन्होंने भाजपा से राज्यसभा के उपसभापति का पद ले लिया। इस बार भी स्थिति कुछ इसी तरह की है। बुधवार को मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी को लेकर नीतीश कुमार और अमित शाह की बैठक हुई। नीतीश की तरफ से कोई सौदेबाजी नहीं की गई है। उन्होंने सारा कुछ भाजपा पर छोड़ दिया है।
लोजपा नेता रामविलास पासवान एनवक्त पर पलटी मार गए हैं। बताया जाता है कि पासवान की तरफ से पहले मंत्रिमंडल में शामिल होने से मना कर दिया गया था। वह बेटे चिराग पासवान को मंत्री बनाकर बढ़ाना चाहते थे। लेकिन अचानक उनका मन बदल गया और अब वह खुद मंत्री बनना चाहते हैं। इसके पीछे की वजह ये बताई जा रही है कि पासवान के मन में अचानक ये आशंका पैदा हो गई है कि भाजपा उन्हें राज्यसभा नहीं देगी और मंत्रालय में भी बेटे को राज्यमंत्री मिलेगा। यदि वह खुद मंत्री बनेंगे तो उन्हें राज्यसभा देना मजबूरी हो जाएगी। लिहाजा, पासवान में वापस लिया अपना नाम बढ़ाकर हाइप्रोफाइल मंत्रालय पर दावा कायम रखा है।
महाराष्ट्र से शिवसेना इस बार ज्यादा मंत्रालय का दबाव बना रही है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की तरफ से दो कैबिनेट मंत्री देने की बात कही गई है। इसके अलावा वह दो राज्यमंत्री का पद भी चाहते हैं। दरअसल, पिछली सरकार में शिवसेना-भाजपा के बीच जिस तरह तनातनी की स्थिति थी, उसमें शिवसेना को ना केन्द्र में ज्यादा हिस्सा मिल पाएगा और ना महाराष्ट्र सरकार में ज्यादा मंत्रालय मिले पाए थे। अब सुधरे हुए संबंधों में शिवसेना चाहती है कि भाजपा उसे पर्याप्त हिस्सा दे। अकाली दल से हरसिमरत कौर और अपना दल से अनुप्रिया पटेल का मंत्री बनना तय है। गठबंधन में वैसे तो 39 दल हैं, लेकिन मुख्यत: पांच दल ऐसे हैं, जिन्हें मोदी कैबिनेट में पर्याप्त स्थान मिलने वाला है।
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