भारत के लिए ग्राम, प्रकृति और अध्यात्म पर आधारित हो विकास का मॉडल: डॉ. कृष्णगोपाल

भारत के लिए ग्राम, प्रकृति और अध्यात्म पर आधारित हो विकास का मॉडल: डॉ. कृष्णगोपाल
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स्व. डॉ. उर्मिलाताई जामदार की पुण्य स्मृति पर व्याख्यान माला आयोजित

जबलपुर | राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल ने कहा कि भारत के विकास की दिशा पश्चिमी मॉडल पर नहीं, बल्कि भारतीय चिंतन, ग्राम, प्रकृति और आध्यात्मिक मूल्यों के धरातल पर आधारित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर अपनाया जा रहा भौतिकतावादी विकास मॉडल भारत के सामाजिक-सांस्कृतिक ढांचे से मेल नहीं खाता। भारतीय दृष्टि में जीवन और जगत को एक परिवार की तरह देखने की भावना निहित है, जहां “सर्वे भवन्तु सुखिनः” का भाव सर्वोपरि है।

डॉ. कृष्णगोपाल जबलपुर में योगमणि ट्रस्ट द्वारा आयोजित स्व. डॉ. उर्मिलाताई जामदार की पुण्य स्मृति व्याख्यान माला में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। कार्यक्रम नेताजी सुभाषचंद्र बोस कल्चरल सेंटर में आयोजित किया गया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि आज की दुनिया उपभोक्तावाद और बाजारवाद पर टिकी हुई है, जिसके परिणामस्वरूप मानवता, परिवार व्यवस्था और पर्यावरण संकट में हैं। भारत गांवों का देश है, इसलिए केवल शहरों का भौतिक विकास भारत का वास्तविक विकास नहीं माना जा सकता।

उन्होंने कहा कि जब पूरी दुनिया भौतिकता से त्रस्त है, तब भारत को अपने मूल चिंतन ग्राम, प्रकृति, संस्कृति और अध्यात्म पर आधारित विकास मॉडल अपनाना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि यह दिशा नहीं बदली गई तो उत्तराखंड, पंजाब, पाकिस्तान सहित विश्व के अनेक हिस्सों में दिखाई देने वाले विनाशकारी दृश्य भारत में भी दोहराए जा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि भारत की विशेषता उसकी चिरंतनता है। दुनिया के हर देश की जन्मकुंडली बनाई जा सकती है, पर भारत की नहीं, क्योंकि भारत आदिकाल से जीवंत और चिरस्थायी रहा है। भारतीय चिंतन में धरती को माता का स्वरूप माना गया है, इसलिए भारतीय व्यक्ति धरती पर अधिकार नहीं जमाता, बल्कि पुत्रभाव से उसकी रक्षा का दायित्व निभाता है। उन्होंने कहा कि उपभोक्तावाद के कारण संयुक्त परिवार टूट रहे हैं, जबकि भारतीय संस्कृति की शक्ति ही परिवार व्यवस्था में निहित है।

उन्होंने कहा कि भारत केवल आध्यात्मिक उन्नति का देश नहीं है, बल्कि यहाँ आर्थिक समृद्धि और नैतिकता साथ-साथ चलती है। भारतीय कभी लूटने नहीं निकले, बल्कि “वसुधैव कुटुंबकम्” की भावना से मानवता के कल्याण की दिशा में कार्य करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज आवश्यकता है कि विकास की परिभाषा को धर्म, नैतिकता और प्रकृति संरक्षण के अनुरूप पुनः गढ़ा जाए।

कार्यक्रम में लेफ्टिनेंट जनरल पद्मसिंह शेखावत ने कहा कि भारत की सुसंस्कृत समृद्धि ही उसकी वास्तविक ताकत है। उन्होंने कहा कि आर्थिक प्रगति तभी सार्थक है जब वह नैतिक मूल्यों, सामाजिक एकता और पर्यावरण संरक्षण के साथ आगे बढ़े। उन्होंने समाज में जातिगत भेदभाव मिटाने और सामाजिक समरसता को पुनर्स्थापित करने पर बल दिया। इस अवसर पर पिछले वर्ष हुए आयोजन की स्मृतियों से जुड़ी एक पुस्तिका का विमोचन भी किया गया, जब संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत का जबलपुर आगमन हुआ था। कार्यक्रम का शुभारंभ भारत माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन से हुआ।

स्वागत गीत डॉ. जन्मेजय जामदार ने प्रस्तुत किया और डॉ. अनुश्री जामदार ने योगमणि ट्रस्ट की स्थापना एवं डॉ. उर्मिलाताई जामदार के जीवन पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ी एक डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन भी किया गया। मंच पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ महाकौशल प्रांत प्रचारक प्रदीप दुबे और योगमणि ट्रस्ट अध्यक्ष डॉ. जितेंद्र जामदार उपस्थित रहे।

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