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पुण्यतिथि : मनमौजी किशोर दा अद्भुत गायन की मिसाल

गीतों के लिए फिल्म फेयर अवार्ड से नवाजा गया

पुण्यतिथि : मनमौजी किशोर दा अद्भुत गायन की मिसाल
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-अशोक मनवानी

कई भारतीय भाषाओं में गाने वाले किशोर जी को जिन गीतों के लिए फिल्म फेयर अवार्ड से नवाजा गया उनमें मंजिलें अपनी जगह हैं... रास्ते अपनी जगह, हमें और जीने की चाहत न होती .. अगर तुम न होते, हजार राहें मुड़कर देखीं .... , खाई के पान बनारस वाला ... , पग घुंघरू बाँध मीरा नाची थी .. , दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा .. , सागर किनारे दिल ये पुकारे ...शामिल हैं.इसके अ लावा। .रिमझिम गिरे सावन,सुलग- सुलग जाए मन.... और एक पुराना मस्त गीत जो किशोर साहब की मस्तमौला वाली शख्सियत से मेल खाता है , शायद आप सभी इसे गुनगुनाते रहे हैं --- रूप तेरा मस्ताना , प्यार मेरा दीवाना .... . भूल कोई हमसे न हो जाए। इस गीत का फिल्मांकन भी राजेश खन्ना और शर्मिला जी के साथ बेजोड़ रहा।

गायक, अभिनेता, निर्देशक किशोर कुमार जैसी शख्सियत की याद दिलों में हमेशा बनी रहती है। इसे मध्य प्रदेश का सौभाग्य ही कहेंगे कि बहुमुखी प्रतिभा संपन्न पार्श्व गायक किशोर कुमार ने गायन, निर्देशन और अभिनय सभी क्षेत्रों में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। किशोर कुमार ने गायन के साथ ही अभिनय की दुनिया में भी झंडे गाड़े। जन्म भूमि खंडवा के लिए उनके मन में असीम प्रेम था उनके ह्रदय में। आज सहज ही उनके चाहने वाले यह विचार करते हैं कि किशोर कुमार हमारे मध्य प्रदेश के हैं, क्या खंडवा में समाधि के अलावा कोई ऐसा संग्रहालय प्रदेश में नहीं होना चाहिए जहाँ किशोर जी के गाये सभी गीत हों, उनकी फिल्मों की तस्वीरें हों और साथ ही किशोर कुमार अभिनीत और निर्देशित सभी फिल्में भी हों। हाल ही में किशोर कुमार के खंडवा के पुराने मकान को काश प्रशंसक एकजुट होकर खरीद लेते और शानदार संग्रहालय बनाते।

किशोर कुमार को मध्य प्रदेश सरकार की ओर से काफी सम्मानीय स्थान मिला। भोपाल और खंडवा में आयोजित समारोहों में राष्ट्रीय स्तर पर किशोर कुमार राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह आयोजित हुए। मध्य प्रदेश की धरती पर आभास कुमार गांगुली के रूप में 4 अगस्त 1929 में जन्म लेने वाले किशोर कुमार को आज भी अनेक गायक कॉपी करते हैं। लाखों गायक सिर्फ किशोर दा की बदौलत जीविका बखूबी चला रहे । दरअसल विविधता भरा गायन इस तरह कोई अन्य गायक पैदा न कर सका जो किशोर कुमार ने पैदा की। प्रशंसकों ने इस विलक्षण और मनमौजी गायक पर बहुत नाज भी किया है ,जो किया भी जाना चाहिए। इस बात का मप्र के लोगों को जरूर संतोष रहेगा कि पांच दशक की सुदीर्घ कला साधना के लिए वरिष्ठ सिने कलाकार किशोर कुमार के नाम से देश के अनेक अभिनेताओं,गायकों और सिने निर्देशकों को मध्य प्रदेश की धरती पर सम्मानित किया गया है। किशोर कुमार सम्मान राष्ट्रीय प्रतिष्ठा प्राप्त कर चुका है। किशोर दा ,जिन्दगी भर कहते रहे,दूध जलेबी खाएंगे, खंडवा में बस जायेंगे। अपनी पिता की कर्म भूमि के लिए अपनेपन की इस भावना को समझने की जरुरत है. किशोर जी ने आखिरी यात्रा खंडवा में पूरी की ,यह उनकी इच्छा भी रही थी. कोई ताज्जुब नहीं कि किशोर जी के गायक बेटे अमित कुमार खुद मध्य प्रदेश से लगाव कायम रखते हैं। तभी तो कुछ साल पहले पिता की जयंती पर भोपाल में परफार्म किया. मध्यप्रदेश में किशोर कुमार से जुड़ी स्मृतियों को ताजा करने के लिए अनेक लोग आगे आए हैं। हाल ही में भोपाल के स्व. एम.एम.गुप्ता जो इंदौर में उनके सहपाठी थे उनके परिजनों ने किशोर कुमार के कॉलेज जीवन की तस्वीरें शेयर की हैं। वो मनहूस साल 1987 था जब 13 अक्टूबर को इस बेमिसाल गायक ने आखिरी साांस ली। एक दिन पहले ही उन्होंने इंदीवर का लिखा गीत गाया था-मैं तो हूँ सबका, मेरा न कोई...। यह फि़ल्म वक्त की आवाज के लिए बप्पी लहरी के संगीत के साथ रिकॉर्ड हुआ था। फिल्म फेयर अवार्ड छह बार लेकर भी वे और उत्कृष्ट गायन के लिए सक्रिय रहते थे।

(लेखक जनसंपर्क विभाग भोपाल में उपसंचालक के पद पर पदस्थ हैं)

Updated : 13 Oct 2018 1:44 PM GMT
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Swadesh Digital

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