बाबरी युग की वापसी का खतरनाक संकेत

बाबरी युग की वापसी का खतरनाक संकेत
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सुरेंद्र किशोर

हमारे दुश्मन पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश और देश के भीतर बैठे बेवजह जिहादी तत्व हैं। जो लोग इस देश को बचाना चाहते हैं, वे कर चोरी न करके केंद्र सरकार को पूरा टैक्स दें, ताकि पर्याप्त मात्रा में हथियार आदि खरीदे जा सकें और अन्य तरह के साधन जुटाए जा सकें। आंतरिक और बाहरी खतरों से भारत को बचाने के लिए भारत सरकार के पास बहुत सारे पैसे चाहिए।

मनमोहन सिंह के शासनकाल में केंद्र सरकार को कर-राजस्व के मद में सन 2013–14 में 11.34 लाख करोड़ रुपये मिले थे। नरेंद्र मोदी के शासनकाल में यह राशि बढ़कर 24.99 लाख करोड़ रुपये (2024–25) हो गई। यह राशि लगातार बढ़ती जा रही है। हालांकि अब भी कर-वंचना काफी है। मैं लोगों से पूरा टैक्स देने की अपील करता हूं, अन्यथा साधनों के अभाव में केंद्र सरकार आपको बाहरी और भीतरी शत्रुओं से नहीं बचा पाएगी।

मध्ययुग की पुनरावृत्ति की कोशिश में, स्काउट-गाइड के नाम पर इस देश के कुछ जिहादी तत्व अपनी सेना तैयार कर रहे हैं। याद रहे कि बाबर के पास तोपें थीं और राणा सांगा के पास तलवारें, इसलिए हम हारे थे।

1961 में सेना ने नेहरू सरकार से कहा था कि राइफल कारखाने के आधुनिकीकरण के लिए एक करोड़ रुपये चाहिए, लेकिन केंद्र सरकार ने यह राशि नहीं दी।

कारण-

नेहरू अव्यावहारिक थे। वे शांति के कबूतर उड़ा रहे थे।

वे कहते थे कि हमें सेना की जरूरत नहीं है, पुलिस सब काम कर देगी। हमारे पास पंचशील का मंत्र है। सीमा पर बाड़ लगाने से दुनिया में हमारी छवि खराब होगी।

1948 में 80 लाख रुपये का जीप घोटाला करने के लिए नेहरू सरकार के पास पैसे जरूर थे। आरोप है कि उस घोटाले में मेनन, नेहरू और ब्रिटेन का एक व्यक्ति शामिल थे। परिस्थितिजन्य साक्ष्य इसकी गवाही दे रहे थे। घोटाले के बावजूद नेहरू ने मेनन को रक्षामंत्री बना दिया, ताकि पाप छिप सके।

1985 में राजीव गांधी ने कहा था कि सौ पैसे हम दिल्ली से भेजते हैं, लेकिन गांवों तक उनमें से सिर्फ 15 पैसे पहुंचते हैं। 85 प्रतिशत की लूट 1947 से 1985 के बीच हुई। इसलिए जब 1962 में चीन ने हमला किया, तो हमारे सैनिकों के पास न जूते थे और न ही गर्म कपड़े। बिहार के 1966-67 के भीषण अकाल के समय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पटना में प्रेस को बताया था कि हमारे पास उतना अनाज नहीं है, जो हम भूख से मरते बिहारियों को दे सकें।

मोदी शासनकाल में टैक्स राजस्व बढ़ने के कारण अब देश की वैसी कंगाल स्थिति नहीं है। मोदी सरकार को ठोस और सटीक शत्रु-बोध भी है। अब भारत सरकार पलटकर वार करती है। पर हमारे तीन दुश्मन-पाकिस्तान, चीन और बांग्लादेश-बाहर हैं, तो आधे दुश्मन देश के भीतर हैं। वे गजवा-ए-हिंद के लिए भारत में कातिलों के दस्ते तैयार कर रहे हैं। अपने देश के तथाकथित सेकुलर दलों का समर्थन उन्हें हासिल है। वोट के लिए साठगांठ उसी तरह है, जैसे जयपुर राज के लिए मानसिंह का समर्थन अकबर को हासिल था।

इतनी बड़ी बाहरी और भीतरी शक्तियों से लड़ने के लिए केंद्र सरकार के पास काफी धन और बेहतर व पर्याप्त मात्रा में हथियार चाहिए। उसके लिए आप वाजिब टैक्स दीजिए।

मुझे एक जमीन खरीदार ने कहा था कि वह जमीन की रजिस्ट्री दर वाली राशि बैंक के जरिए देगा और बाकी राशि नकद। मैंने उससे कहा कि पूरी राशि बैंक के जरिए ही दी जाए। ऐसा ही हुआ। मैंने उस पर पूरा आयकर दिया-कई लाख रुपये। देश और अपनी अगली पीढ़ी की रक्षा करनी हो, तो केंद्र सरकार को पैसे मिलना ही होगा।

मोदी अन्य अनेक नेताओं की तरह चोर नहीं है। वह पैसों का नाजायज इस्तेमाल नहीं करेगा। (मैंने “करेगा” इसलिए लिखा, क्योंकि वह उम्र में मुझसे छोटा है और मैं उसे छोटा भाई मानता हूं।) मोदी के हाथ मजबूत कीजिए, अन्यथा याद रखिए—पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में बाबर के नाम पर मस्जिद के निर्माण के लिए शिलान्यास हो चुका है। वे शक्तियां एक बार फिर भारत में बाबर युग लाना चाहती हैं।

उसी मुर्शिदाबाद के मुस्लिम-बहुल जिले से हिंदुओं को भगाया जा रहा है। देश के अन्य जिलों से भी। इस देश के हजारों गांव हिंदुओं से खाली हो चुके हैं। यह नौबत देर-सबेर अन्य जिलों में भी बारी-बारी से आने वाली है।उस नौबत को रोकने के लिए और अपने भले के लिए भी टैक्स चोरी बंद कीजिए। मुझे इस संबंध में बोलने का नैतिक अधिकार इसलिए है, क्योंकि अपने शुभचिंतकों की सलाह की उपेक्षा करके मैंने करीब दो साल पहले लाखों रुपये आयकर दिए थे।

खबर है कि इजराइल ने भारत को सलाह दी है कि जल्द से जल्द घुसपैठियों को देश से बाहर किया जाए, अन्यथा वे स्थानीय जिहादियों की मदद करेंगे और भारत की परेशानी बढ़ जाएगी। भारत सरकार ने इस दिशा में काम तेज कर दिया है।

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