Home > स्वदेश विशेष > चौसर नई, महाराज के सिपहसालार भी

चौसर नई, महाराज के सिपहसालार भी

अतुल तारे

चौसर नई, महाराज के सिपहसालार भी
X

एक समय था आज से लगभग ढाई दशक पहले से भी और पहले कांग्रेस के वरिष्ठतम नेता रहे स्वर्गीय माधवराव सिंधिया मध्यप्रदेश में अपनी राजनीति तीन क्षेत्रीय नेताओं को केंद्र में रख कर करते थे, आज 15 साल बाद कांग्रेस सत्ता में है और स्वयं ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के एक बड़े स्थापित नेता हैं। प्रदेश में मुख्यमंत्री बनने का उनका सपना फिर एक बार कांग्रेस की गुटीय राजनीति की भेंट चढ़ चुका है, जाहिर है बदले हालात में सिंधिया अब प्रदेश के चार नेताओं को जो उनके अपने कर समर्थक हैं, के जरिए प्रदेश को नियंत्रित करने का प्रयास करेंगे। यह संकेत मंत्रिमंडल के गठन से मिलता है, अब वह इस प्रयास में कितना सफल होंगे इसके लिए प्रतीक्षा करनी होगी।

उल्लेखनीय है कि स्वर्गीय माधवराव सिंधिया ओर स्वर्गीय अर्जुन सिंह में राजनीतिक मेल कभी नहीं रहा। यही रसायन शास्त्र राजनीति का श्री दिग्विजय सिंह के साथ स्वर्गीय माधवराव का रहा। तब श्री सिंधिया के प्रदेश में तीन नाक के बाल हुआ करते थे। एक महेंद्र सिंह कालूखेड़ा दूसरे शिवप्रताप सिंह और तीसरे बालेन्द्र शुक्ल। अब श्री माधवराव भी इस दुनिया में नहीं है और सर्वश्री कालूखेड़ा ओर शिवप्रताप सिंह भी। श्री शुक्ल भाजपा में। जाहिर है श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया इस लिहाज से अभी मध्यप्रदेश में खुद को सत्ता के गलियारों में अकेला पाते हैं। कारण जब श्री माधवराव सिंधिया का निधन हुआ था, श्री दिग्विजय सिंह ही मुख्यमंत्री थे और तब श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी राजनीतिक पारी शुरू की थी। जाहिर है श्री सिंधिया को 2000 से 2003 तक सिर्फ तीन साल ही मिले।

अब जब 2018 में कांग्रेस ने वापसी की है तो श्री सिंधिया ने ग्वालियर चंबल से प्रद्युम्न सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया, विंध्य से गोविंद राजपूत ओर मालवा से तुलसीराम सिलावट के जरिए प्रदेश में अपनी जमावट की है। यह चारों नेता विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में श्री सिंधिया के साथ रहे हैं। इनमें श्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने तो बाकायदा अपने नेता के नाम फेन्स क्लब भी बनाया था। गुना जिले में श्री दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्री रहते सिंधिया का झंडा उठाना आसान नहीं था पर यह श्री सिसोदिया ने किया। इसी तरह मालवा में सिलावट की निष्ठा निर्विवाद रही। यही तेवर गोविंद राजपूत के रहे। श्री तोमर की राजनीतिक पारी भी ऐसे ही आगे बढ़ी है। अब ये चारों नेता अपने नेता से मिली ऊर्जा को अपने लिए उपभोग करते हैं या अपने नेता को प्रदेश में और स्थापित करने के लिए इस पर सबकी निगाहें होंगी।

Updated : 27 Dec 2018 10:52 AM GMT
Tags:    
author-thhumb

Atul Tare

Swadesh Contributors help bring you the latest news and articles around you.


Next Story
Top