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पुरोवाक् : 'विमर्श' पाठकों के लिए एक संग्रहणीय ग्रन्थ

डॉ. मनमोहन वैद्य

पुरोवाक् : विमर्श पाठकों के लिए एक संग्रहणीय ग्रन्थ
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आप सभी सानंद स्वस्थ एवं सकुशल होंगे ही। स्वदेश, ग्वालियर के समूह संपादक श्री अतुल तारे द्वारा लिखित लेखों का संग्रह 'विमर्श' पाठकों के लिए एक संग्रहणीय ग्रन्थ बनेगा इसमें कोई संदेह नहीं है। वैसे देखा जाये तो दैनिक पत्रिका अल्पजीवी होती है। एक दिन के बाद वह कालबाह्य, अप्रस्तुत हो कर रद्दी बन जाती है. इसलिए दैनिक पत्रिका के लिए किये गए लेखन का महत्व एक दिन में ही समाप्त हो जाता है। ऐसे में दैनिक पत्रिका के संपादक की कुशलता इसमें है कि सामयिक विषयों पर लिखते हुए भी वह ऐसा लिखें जिस के जरिये कुछ शाश्वत तथ्य एवं विचार पाठकों के लिए प्रस्तुत हों। ऐसे शाश्वत तथ्य एवं विचारों से युक्त लेख सामयिक विषयों पर होने के कारण अल्पजीवी होने के बावजूद चिरजीवी भी होते हैं। ऐसे लेखों के द्वारा पाठकों का प्रबोधन भी होता है तथा भविष्य में सन्दर्भ के लिए उनका उपयोग भी, परन्तु ऐसा होने के लिए लेखक का बहुश्रुत और अध्ययनशील होना आवश्यक होता है. तभी तत्कालीन विषय या घटना के निमित्त लिखते समय कुछ महत्व के सन्दर्भों के साथ ऐसी ही पुरानी घटनाओं का उल्लेख होने से एक व्यापक चित्र पाठकों के सामने प्रस्तुत होता है तथा भविष्य की घटनाओं के बारे में भी समाज को जाग्रत तथा तत्पर रहने का संकेत भी मिलता है। सतत अध्ययनशीलता, पुराने सन्दर्भ का उपयोग और परिस्थिति का योग्य विश्लेषण करने की क्षमता के आधार पर ही ऐसे सामयिक लेखन का मूल्य बढ़ता है और वे संग्रहणीय हो जाते हैं।

श्री अतुल तारे द्वारा 'विमर्श' नामक स्तम्भ में लिखित ये सभी लेख इस श्रेणी में आते है. ये लेख पढ़ते समय लेखक की वैचारिक स्पष्टता, विश्लेषण क्षमता, अध्ययनशीलता तथा निर्भयता पूर्वक सत्य कहने का साहस इन गुणों का परिचय होता है। लेखक रा. स्व. संघ के स्वयंसेवक हैं, इसलिए संघ पर होने वाले आक्षेपों को लेकर लिखते समय उन्होंने संघ की विचारधारा तथा संघ की भूमिका को स्पष्ट किया है। शिवसेना, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना, कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी तथा दिग्विजय सिंह या अपने मीडिया सहकर्मियों को भी दो टूक बात कहने में वे हिचकिचाते नहीं हंै। उसी तरह भाजपा के लिए भी सावधानी बरतने की चेतावनी देने से वे चूकते नहीं हैं। इस अर्थ में समाज हित में पत्रकारिता धर्म का पालन करते हुए इतिहास के अनेक तथ्य भी वे पाठकों के सामने प्रस्तुत करते हंै। इसी कारण दैनिक पत्रिका के लिए किया हुआ यह लेखन होने के बावजूद ये सब लेख पठनीय एवं संग्रहणीय हुए हैं।

पाठक इस संग्रह का स्वागत करेंगे ऐसा मुझे विश्वास है

डॉ. मनमोहन वैद्य

सह सरकार्यवाह

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

Updated : 3 Sep 2018 6:57 PM GMT
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