सर्वमान्य राजनेता, ओजस्वी कवि और एक कुशल वक्ता का ग्वालियर से रहा है विशेष नाता
प्रधानमंत्री बनने के बाद भी अटल बिहारी वाजपेयी के मुंह से ग्वालियर के लड्डू, जलेबी, मंगौड़े और कचौड़ी का जायका नहीं गया।
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स्वदेश वेब डेस्क। अटल बिहारी वाजपेयी । विराट व्यक्तित्व। कोई भी पत्रकार, राजनेता, व्यापारी, अधिकारी आदि जो बीते छह दशक से दिल्ली, लखनऊ, भोपाल, जयपुर, ग्वालियर में सक्रिय रहा है, हो नहीं सकता कि कोई इस विराट व्यक्तित्व से अछूता रहा हो। अपने को पसंद नहीं करने वाले घोर विरोधी को भी अपने व्यवहार से सहज संबंध बना लेने की क्षमता भारतीय राजनीति के शिखर के कुछ गिने-चुने नेताओं में रही है, उनमें से अटल बिहारी वाजपेयी का भी नाम है। असाधारण कार्यों के लिये 2014 दिसंबर में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उनको 1992 में पद्म भूषण 1994 में लोकमान्य तिलक पुरस्कार जैसे कई अन्य बड़े पुरस्कार भी दिए जा चुके हैं।
यूं तो उनके जीवन के बारे में जितना भी लिखा जाए कम होगा, फिर भी आईये पढ़ते है अटल जी के जीवन की कुछ झलकियाँ जिनमे ग्वालियर से विशेष नाता रहा है -
- ग्वालियर के मोतीझील मैदान में आयोजित संघ के शीत शिविर में भी निकट की पहाड़ी पर आयोजित 'आक्रमण और प्रतिरक्षा' इस सदण्ड खेल में अटल जी ने रौद्र रूप धारण किया था।
- 1977 में विदेश मंत्री बनने के बाद जब वाजपेयी ग्वालियर आये तो उन्होंने सरकारी लाल बत्ती गाड़ी की सवारी नहीं की थी।
- नया बाजार वाले बहादुरा के बूंदी के लड्डू हों या फिर दौलतगंज की मंगौड़े, अटल जी के प्रिय व्यंजनों में से हैं और ग्वालियर अधिकतर दुकानों से उनकी यादें जुड़ी हुई हैं।
- प्रधानमंत्री बनने के बाद भी अटल बिहारी वाजपेयी के मुंह से ग्वालियर के लड्डू, जलेबी, मंगौड़े और कचौड़ी का जायका नहीं गया। जब भी वे ग्वालियर आते, तो अपनी पसंदीदा चीजों को जरूर खाते। वहीं अपने प्रिय त्यौहार होली पर ठंडई भी पीते थे।
- अटल जी के पैतृक घर को उनके प्रधानमंत्री के कार्यकाल के समय से ही वाचनालय का स्वरूप दिया गया है। यहां आज भी पत्र-पत्रिकाओं के अध्ययन के लिए विद्यार्थी, पाठक, साहित्यकार इत्यादि नियमित रूप से आते हैं। यहां कंप्यूटर शिक्षण कार्य भी नि:शुल्क दिया जाता है।
- अटल जी जिस प्राइमरी स्कूल में पढ़ते थे वो उनके सहपाठी शंकर सहाय श्रीवास्तव के मकान में वर्ष 1960 से 2014 तक किराए के मकान में चलता रहा । वर्तमान में वह स्कूल पारदी मोहल्ला, शिंदे की छावनी में संचालित है।
- ग्वालियर में उनके नाम से एक स्वशासी तकनीकी कॉलेज - अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय सूचना प्रोद्योगिकी एवं प्रबंधन संस्थान जो मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संचालित किया जाता है।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का बाल्यकाल और आरंभिक से लेकर स्नातक तक शिक्षा ग्वालियर शहर के विद्यालयों और महाविद्यालय में हुई। ग्वालियर रियासत में अध्यापक अटल जी के पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी के निवास स्थान कमल सिंह के नजदीक शासकीय स्कूल में अटल जी ने प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की। खास बात यह रही कि प्रधानमंत्री बनने के बाद श्री वाजपेयी जब ग्वालियर प्रवास पर आए तो अपने स्कूल जाना नहीं भूले थे। प्रारंभिक शिक्षा के बाद माध्यमिक शिक्षा महाराज बाड़ा स्थित शासकीय गोरखी हायर सेकण्डरी स्कूल में हुई। अटल जी की स्नातक (बी.ए.) की शिक्षा ग्वालियर के तत्कालीन विक्टोरिया कॉलेज (वर्तमान में महारानी लक्ष्मीबाई महाविद्यालय) में हुई। छात्र जीवन में भी अटल जी राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रबल पक्षधर रहे। अटल जी 2005 तक भारतीय राजनीति में सक्रिय रहे। इसके अलावा उन्होंने लम्बे समय तक पाञ्चजन्य, राष्ट्रधर्म, दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन जैसे पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन का कार्य भी कुशलता पूर्वक किया।
Naveen Savita
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