तकनीकी प्रतिभा व राष्ट्रीय सोच का युग्म जरूरी…

भारत में स्कूलों की प्राथमिक शिक्षा के साथ एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) जुड़ गया है। बच्चों को भविष्य के मानकों के अनुरूप एआई तकनीक के साथ कार्य करने की तैयारी के रूप में भी इसे देखा जा रहा है। लेकिन एआई के साथ भारत की मौलिक क्षमता, या कहें कि नैसर्गिक बौद्धिक सामर्थ्य की भी परीक्षा का यही समय है, क्योंकि सनातन काल से भारतवर्ष की सबसे बड़ी ताकत हमेशा से लोगों, संस्थानों और दूरदृष्टि के बीच संतुलन बनाए रखने की रही है।
यही सोच क्या अब एआई से जुड़े प्रत्येक क्षेत्र, या फिर एआई के प्रभाव से बदलाव की छटपटाहट से गुजरते क्षेत्रों में भी नहीं दिखनी चाहिए? क्योंकि आने वाले समय में भारत के युवा केवल एआई के उपभोक्ता नहीं, बल्कि निर्माता और नेता के रूप में देखे जा रहे हैं। ऐसे में जो पौथ अर्थात हमारी नौनिहाल पीढ़ी है, उसका मानस एआई के मानकों के अनुरूप तैयार करना समय की जरूरत है।
एआई को लेकर फैली आशंकाओं पर भी बात करते रहने की जरूरत है और इतिहास से जुड़े प्रत्येक पहलू पर भी ध्यान देना होगा, क्योंकि इतिहास ही हमें भरोसा देता है। हर बड़ी तकनीकी क्रांति, चाहे औद्योगिक युग हो या भारत की डिजिटल क्रांति, सभी ने मानव क्षमता को बढ़ाया है। एआई इस प्रक्रिया को और आगे ले जाएगा, जहां इंटेलिजेंस और प्रोडक्टिविटी आम लोगों तक पहुंचेगी और हर वर्ग का युवा देश की प्रगति में योगदान दे सकेगा।
एआई में नेतृत्व किसी और पर छोड़ा नहीं जा सकता। आज के समय में, जब तकनीकी बुद्धिमत्ता ही आर्थिक ताकत और वैश्विक प्रभाव तय कर रही है, तब विदेशी एल्गोरिदम पर निर्भर रहना जोखिम भरा हो सकता है। डेटा और उसकी निर्णय प्रक्रिया के साथ तकनीकी क्षमता भारत के हितों से जुड़ी होनी चाहिए। स्वदेशी एआई मॉडल, मजबूत कंप्यूटिंग क्षमता और आत्मनिर्भर इंटेलिजेंस सिस्टम ही भारत की आर्थिक सुरक्षा, सांस्कृतिक आत्मविश्वास और रणनीतिक स्वतंत्रता की नींव हैं।
इस कार्य में जितनी भूमिका नीति-निर्माताओं की है, उतनी ही उद्योगपतियों और उसे अमल में लाने वालों की भी है। इस संदर्भ में अडानी ग्रुप वैश्विक एआई इकोसिस्टम में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। ग्रुप डेटा सेंटर्स, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और ग्रीन एनर्जी में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है, जो बड़े कंप्यूटिंग सिस्टम को ऊर्जा प्रदान करता है।
इसी कारण भारत को एआई आधारित विकास के उभरते केंद्र के रूप में देखा जा रहा है और गूगल एवं माइक्रोसॉफ्ट जैसे ग्लोबल टेक लीडर्स भारत के साथ लगातार जुड़ रहे हैं। यह सही मायनों में भारत की वह तकनीकी सामर्थ्य है, जो उसकी युवा पीढ़ी के जरिए दुनिया के लिए एक नए अवसर का मैदान खोलेगी।
गत दिनों अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी ने महाराष्ट्र के बारामती में विद्या प्रतिष्ठान के शरद पवार सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन एआई के उद्घाटन मौके पर कहा कि भारत ऐसे दौर में पहुंच चुका है, जहां तकनीक, प्रतिभा और राष्ट्रीय सोच को एक साथ आगे बढ़ाना जरूरी है। यह सेंटर विद्या प्रतिष्ठान, बारामती के तहत स्थापित किया गया है, जिसमें अडानी ने 2023 में 25 करोड़ रुपये का योगदान दिया था।
उद्योगपति अडानी यहीं नहीं रुके। उन्होंने युवा भारत से आह्वान किया कि एआई को सिर्फ अपनाने वाला देश न बनें, बल्कि एज ऑफ इंटेलिजेंस का नेतृत्व करने वाला राष्ट्र बनें। इसमें कोई दो राय नहीं कि एज ऑफ इंटेलिजेंस सामर्थ्य के साथ स्वयं सोचने और साहस के साथ नवाचार करने, नया बनाने का हौसला मांगता है।
आज भारतीय युवा प्रतिभा के समक्ष एक स्वर्णिम अवसर है। यह इतिहास को सिर्फ देखने का नहीं, बल्कि इतिहास रचने का समय है। क्योंकि इस पहल का उद्देश्य क्वालिटी रिसर्च, स्किल डेवलपमेंट और इंडस्ट्री से जुड़ा प्रशिक्षण तो दक्ष होगा ही, कृषि, स्वास्थ्य, शासन और उद्योग जैसे अहम क्षेत्रों में एआई के उपयोग से भारत नई ताकत के रूप में उभरेगा।
लेकिन यह तभी संभव है, जब भारत की तकनीकी प्रतिभा और राष्ट्रीय सोच का संयुक्त युग्म बने।
