पहलगाम हमला: लोगों को धर्म के नाम पर मारा गया, अब वक्त निंदा का नहीं, बल्कि आगे बढ़ने का

Swadesh Special Interview : स्वदेश, रायपुर। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हिन्दू पर्यटकों को गोलियों से भून दिया गया। इस सामूहिक नरसंहार से पूरा देश गुस्से में उबल रहा है। हर तरफ से एक ही आवाज उठ रही है...बदला...।
इस मसले पर लंबे समय तक भारत-पार्क सीमा पर तैनात रहे रिटायर्ड कर्नल सिद्धांत बोस से स्वदेश के संवाददाता आदित्य त्रिपाठी ने लंबी बातचीत की। पेश है बातचीत के अंश...।
प्रश्न- पहलगाम में हुए आतंकी हमले को आप किस रूप में देखते हैं?
उत्तर- यह हमला हमारे दिल पर गहरे जख्म छोड़ गया है। इसमें कई निर्दोष लोग मारे गए, जिनमें रायपुर का भी एक निवासी शामिल था। यह केवल हमला नहीं, बल्कि हमारी राष्ट्रीय अस्मिता पर चोट है।
प्रश्न- क्या यह पहली बार हुआ है जब पाकिस्तान की ओर से इस तरह की हरकत की गई है?
उत्तर- बिल्कुल नहीं। यह सिलसिला 1947 से चला आ रहा है, जब से पाकिस्तान का गठन हुआ। यह आतंकवाद हमारे लिए एक स्थायी नासूर बन चुका है। हर बार हम कड़ी निंदा करके चुप हो जाते हैं।
प्रश्न- क्या अब हमें निंदा करने से आगे बढऩा चाहिए?
उत्तर- हां, अब केवल निंदा करने का समय नहीं है। समय आ गया है कि हम कठोर जवाब दें। जो भी भारत की ओर आंख उठाए, उसकी आंखें निकाल देनी चाहिए। हमें अब ठोस कार्रवाई करनी होगी।
प्रश्न -इस हमले में धार्मिक भावनाओं को निशाना बनाया गया, इस पर आपकी राय?
उत्तर- इस हमले में लोगों को धर्म के नाम पर मारा गया। उनके कपड़े उतरवाकर जांच की गई और माथे पर गोली मारी गई। यह पाशविकता की पराकाष्ठा है। धर्म के नाम पर हत्या करना मानवता के खिलाफ है।
प्रश्न- आपने एलओसी और एलएसी पर ड्यूटी की है, उस अनुभव को कैसे जोड़ते हैं?
उत्तर- मैंने वर्षों तक सीमा पर सेवा दी है एवं एलओसी और एलएसी के फर्क को भलीभांति समझता हूं। जब किसी पोस्ट पर खतरा महसूस होता है, तो सेना तुरंत उसे अपने नियंत्रण में लेती है। लेकिन हमें अब स्थायी समाधान की दिशा में बढऩा होगा।
प्रश्न- क्या पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को लेकर भारत को और सक्रिय होना चाहिए?
उत्तर- बिल्कुल। कश्मीर के भारत में विलय के दस्तावेज जब हस्ताक्षरित हुए, तब ही यह स्पष्ट हो गया था कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है। फिर भी आज तक पाकिस्तान उसके हिस्से पर कब्जा किए बैठा है। अब समय आ गया है कि भारत इस पर ठोस दावेदारी करे।
प्रश्न- 1965 के युद्ध की चर्चा आपने की, उसका संदर्भ क्या है?
उत्तर- 1965 में देश की आर्थिक स्थिति खराब थी, फिर भी लाल बहादुर शास्त्री जी के नेतृत्व में पूरा देश एकजुट था। लोगों ने उपवास किया, मगर सैनिकों के हौसले बुलंद रहे। हमारी सेना लाहौर तक पहुंची थी और वही जज्बा आज भी जरूरी है।
प्रश्न- इस आतंकी हमले के बाद क्या ठोस कदम उठाए जाने चाहिए?
उत्तर- अब वक्त आ गया है कि पाकिस्तान को उसके अंजाम तक पहुंचाया जाए। उसे चार हिस्सों में बांटना चाहिए। अगर कोई पाकिस्तानी चूहा भी सीमा पर दिखाई दे, तो उसे गोली मार देनी चाहिए। अब ईंट का जवाब पत्थर से देना होगा।
